नई दिल्ली। भारत में शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति की उम्र क्या होनी चाहिए, इसे लेकर हमेशा से सवाल उठते आए हैं। इसे लेकर केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने संसद को बताया कि सहमति से बने रिश्तों के लिए उम्र 18 से घटाकर 16 करने के किसी भी प्रस्ताव पर सरकार विचार नहीं कर रही है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार सहमति से संबंध बनाने की आयु सीमा को मौजूदा 18 साल से घटाकर 16 साल करने पर विचार कर रही है? इस पर ईरानी ने कहा कि इसका सवाल ही नहीं उठता। मंत्री ने कहा कि बच्चों को यौन शोषण और यौन अपराधों से बचाने के लिए लागू किया गया ”यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 ” स्पष्ट रूप से एक बच्चे को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है।
उन्होंने कहा कि अपराधियों पर अंकुश लगाने और बच्चों के खिलाफ ऐसे अपराधों को रोकने के उद्देश्य से दोषियों को मृत्युदंड सहित कठोर सजा देने के लिए 2019 में अधिनियम में संशोधन किया गया था। मंत्री ने कहा, ”बच्चे द्वारा किए गए अपराध के मामले में, पोक्सो अधिनियम की धारा 34 उसके अपराध और विशेष अदालत द्वारा उम्र के निर्धारण के मामले में प्रक्रिया प्रदान करती है।”
स्मृति ईरानी ने कहा ”यदि विशेष अदालत के समक्ष कार्यवाही में प्रश्न उठता है कि क्या अपराध करने वाला व्यक्ति बच्चा है या नहीं, तो ऐसे प्रश्न का निर्धारण विशेष अदालत द्वारा ऐसे व्यक्ति की आयु के बारे में उसे संतुष्ट करने के बाद किया जाएगा और वह इस तरह के निर्धारण के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करेगी।”
सरकार की यह टिप्पणी भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ के पॉक्सो एक्ट को लेकर दिए गए बयान के कुछ ही दिनों बाद ही आई है। चंद्रचूड़ ने कहा था कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत सहमति की उम्र 18 साल है और इससे ऐसे मामलों से निपटने वाले जजों के सामने कठिन प्रश्न खड़े हो जाते हैं। उनका मानना है कि इस मुद्दे पर बढ़ती चिंता तो देखते हुए विधायिका यानी संसद को विचार करने की जरूरत है।