रामपुर। यूपी की रामपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत का सेहरा भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना के सिर बंध गया है। आकाश सक्सेना ने सपा प्रत्याशी आसिम रजा को हराया है। इस जीत के साथ ही उन्होंने अपने पिता की हार का बदला ले लिया।
रामपुर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां का मजबूत गढ़ रहा है। पिछले 42 साल से रामपुर की राजनीति में उनका सिक्का चल रहा था। 1980 में पहली बार विधायक बने और 10 बार जीते। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में तो सीतापुर जेल में बंद रहते हुए रिकार्ड वोटों से जीते। एक बार उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा भी शहर विधायक बनीं। लेकिन इस उपचुनाव में न तो आजम खां प्रत्याशी थे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य। आजम खां के करीबी आसिम राजा सपा प्रत्याशी बने, लेकिन रामपुर की जनता ने उनका साथ नहीं दिया। उन्हें मात्र 47296 वोट ही मिल सके, जबकि भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को 81432 वोट मिले। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में आजम खां को 1.31 लाख वोट मिले थे, लेकिन आसिम राजा उनसे आधे वोट भी नहीं पा सके।
आकाश सक्सेना का राजनीतिक सफर बहुत लंबा नहीं है। वैसे वो एक उद्यमी हैं। 2017 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो आकाश सक्सेना सक्रिय हुए। साल 2019 में उन्होंने आजम खां के साथ ही उनकी पत्नी पूर्व सांसद तजीन फात्मा और बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आजम खां व उनकी पत्नी ने अब्दुल्ला का जन्म प्रमाण पत्र फर्जी बनवाया है।
अब्दुल्ला के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि एक जनवरी 1993 है, जबकि साल 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान अब्दुल्ला ने दूसरा प्रमाण पत्र बनवा लिया, क्योंकि पहले प्रमाण पत्र में उनकी उम्र 25 साल से कम थी। दूसरे प्रमाण पत्र में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्शा दी गई। इसी मामले में अब्दुल्ला की विधायकी भी हाईकोर्ट से रद्द हो गई थी।
इसके अलावा जौहर यूनिवर्सिटी जमीन से जुड़े मामलों में भी उन्होंने शासन स्तर पर शिकायत की थी। उनकी शिकायत के आधार पर ही जौहर यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जाति के किसानों की जमीन को शामिल किए जाने और गूल की जमीन पर कब्जा किए जाने को लेकर प्रशासन ने कार्रवाईकी थी। 02 दिसंबर को मुख्यमंत्री रामपुर आए थे तो उन्होंने आकाश सक्सेना की मंच से प्रशंसा की थी। उन्होंने यह भी बताया था कि आकाश सक्सेना को क्यों टिकट दिया गया। सीएम ने खुलकर कहा था कि आकाश ने लंबी लड़ाई लड़ी है इसलिए पार्टी ने एक बार फिर से उन पर विश्वास किया है। सीएम के इस बयान से आकाश के हौंसले बुलंद हुए थे।
आकाश ने पिता की हार का भी बदला लिया
आकाश सक्सेना के पिता शिव बहादुर सक्सेना स्वार विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। वो प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। शिव बहादुर सक्सेना ने 2017 का विधानसभा चुनाव रामपुर सीट से भाजपा की टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में उनको आजम खां के मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था। उस वक्त आजम खां को 102100 और शिव बहादुर सक्सेना को 55258 वोट मिले थे।
इसके बाद आकाश सक्सेना 2022 के विधानसभा चुनाव में रामपुर से आजम खां के मुकाबले चुनाव लड़े और उनको हार का सामना करना पड़ा। आजम खां की विधायकी रद्द होने के बाद जब उपचुनाव का एलान हुआ तो भाजपा ने एक बार फिर से आकाश पर दांव खेला। इस बार मैदान में आसिम राजा थे। आकाश ने पुराना हिसाब बराबर करते हुए आसिम राजा को 34,136 वोटों से पराजित करके अपने साथ-साथ अपने पिता की हार का बदला भी ले लिया।
रामपुर के पहले गैर मुस्लिम विधायक बने आकाश
रामपुर विधानसभा सीट पर हमेशा मुस्लिम विधायक ही बने हैं। आकाश सक्सेना इस सीट से पहले ऐसे विधायक हैं जो गैर मुस्लिम हैं। रामपुर विधानसभा सीट के समीकरण कुछ ऐसे हैं जो मुस्लिम प्रत्याशियों के पक्ष में जाता है। यह एक मुस्लिम बहुल इलाका है। आजादी के बाद से 2022 के विधानसभा के चुनाव तक जो भी विधायक बने वो मुस्लिम थे। 2022 के उपचुनाव में जीत हासिल करने बाद आकाश इस सीट से जीत हासिल करने वाले पहले गैर मुस्लिम बन गए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि मुस्लिम मतदाताओं का साथ भी उनको मिला है।