नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। 2016 में 500 और 1000 के नोट को वापस लेने के फैसले का बचाव करते हुए केंद्र ने कहा है कि ये जाली नोट, टेरर फंडिंग, काले धन और टैक्स चोरी के खतरे से निपटने के लिए बड़ी बड़ी आर्थिक रणनीति का हिस्सा था।
केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने और नोटबंदी का निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक के साथ गहन विचार- विमर्श के बाद लिया गया था। यही नहीं, नोटबंदी से पहले इसकी सारी तैयारियां कर ली गई थीं। केंद्र ने नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दायर हलफनामे में यह बात कही है।
जाली नोट समेत कई समस्याओं का खात्मा
अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा, ‘‘नोटबंदी करना जाली करेंसी, आतंक के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था। लेकिन यह केवल इतने तक सीमित नहीं था। परिवर्तनकारी आर्थिक नीतिगत कदमों की श्रृंखला में यह अहम कदमों में से एक था।’’
संविधान पीठ कर रही है सुनवाई
इस मामले पर सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है और अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि नोटबंदी का निर्णय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की विशेष अनुशंसा पर लिया गया था। आरबीआई ने इसके क्रियान्वयन के लिए योजना के मसौदे का प्रस्ताव भी दिया था।