नई दिल्ली। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे जुड़े कई अन्य संगठनों पर प्रतिबंध को लेकर एसडीपीआई ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। एसडीपीआई का कहना है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का यह फैसला सीधे तौर पर लोकतंत्र और भारतीय संविधान में निहित लोगों के अधिकार पर हमला है।
पीएफआई की शाखा एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष एमके फैजी ने कहा है कि भाजपा शासन की गलत और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जिसने भी बात की, उसे गिरफ्तारियों और छापेमारी की धमकियों का सामना करना पड़ा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विरोध और संगठन को भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ शासन की ओर से बेरहमी से दबा दिया गया है।
फैजी ने आगे कहा कि यह समय है कि सभी धर्मनिरपेक्ष दलों और लोगों को तानाशाही शासन का विरोध करने और भारतीय संविधान के लोकतंत्र और मूल्यों को बचाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना चाहिए। सरकार जांच एजेंसियों और कानूनों का दुरुपयोग विपक्ष को चुप कराने और लोगों को असंतोष की आवाज व्यक्त करने से डराने के लिए कर रही है। देश में एक अघोषित आपातकाल स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
बता दें केंद्र की मोदी सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया है। हाल ही में NIA और तमाम राज्यों की एजेंसियों ने PFI के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 250 से अधिक सदस्यों को हिरासत में लिया था।