केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, पीएफआई पर लगा पांच साल का प्रतिबंध

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया है। हाल ही में NIA और तमाम राज्यों की एजेंसियों ने PFI के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 250 से अधिक सदस्यों को हिरासत में लिया था।

नोटिस में कहा गया है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है। इससे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है। पीएफआई के संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी (SIMI) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात-उल-मुजाहिद्दीन यानी जेएमबी (JMB) से भी रहा है। ये दोनों संगठन प्रतिबंधित हैं। पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समहूों, जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी आईसआईएस (ISIS) के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं।

देश भर में हुई छापेमारी
पीएफआई के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की आशंकाएं के चलते पिछले कई दिनों से सरकारी एजेंसियों ने संस्था पर नकेल कसी हुई थी। ईडी और एनआईए ने देश भर में संस्था के तमाम ठिकानों पर छापे मारे, जिसको लेकर बड़े स्तर पर विरोध भी देखने को मिला। मंगलवार को भी सरकार की पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई जारी रही। कल सात राज्यों में स्थानीय पुलिस और आतंकरोधी दस्ते ने पीएफआइ से जुड़े ठिकानों पर छापा मारा और इससे जुड़े 170 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया। पूछताछ के बाद इनमें से कई को गिरफ्तार भी किया गया है। इससे पहले गुरुवार को एनआइए के नेतृत्व में 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापेमारी हुई थी।

PFI है क्या?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।

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