नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की प्रस्तावित कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सिविल सोसाइटी के साथ ही भाजपा-संघ की विचाराधारा से लड़ने वाले अनेक दलों और संगठनों को भी इसमें शामिल होने का न्यौता दिया है। कन्याकुमारी से सात सितंबर को शुरू होने वाली पदयात्रा को उन्होंने जनयात्रा बनाने का आह्वान किया और कहा कि यह उनके लिए तपस्या है क्योंकि पूरे देश को जोड़ने में लंबा वक्त लगेगा।
पदयात्रा का मकसद साफ करते हुए राहुल ने कहा कि लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं पर कसे जा रहे शिकंजे, बेरोजगारी, महंगाई के साथ अर्थव्यवस्था के संकट और सामाजिक बंटवारे की कोशिशों की गंभीर चुनौती आज देश के सामने है। जनता को इसके खिलाफ जागृत करना अपरिहार्य हो गया है।
‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तैयारियों के क्रम में राहुल गांधी ने देश भर के करीब 20 राज्यों से आए सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के साथ कांस्टीट्यूशन क्लब में करीब डेढ़ घंटे तक चर्चा की और उनके करीब 40 सवालों के जवाब दिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस यात्रा के उद्देश्य के तीन स्तंभ हैं। पहला राजनीतिक। आप देख रहे हैं कि देश के लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं पर शिकंजा कर उसे ध्वस्त किया जा रहा है। संवैधानिक व स्वायत्तशासी संस्थाएं प्रभावहीन बनाई जा रही हैं और इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए जनता को साथ लेना ही होगा।
उन्होंने अर्थव्यवस्था के संकट, नोटबंदी के बाद एमएसएमई के ध्वस्त होने और युवाओं में भारी बेरोजगारी के साथ महंगाई की गंभीर स्थिति को यात्रा का दूसरा स्तंभ बताया। नफरत फैलाने की बढ़ती प्रवृत्तियों से लेकर खान-पान, पहनावे से लेकर संस्कृति और विचार सभी जगह एकरूपता लाने को देश के बहुलवादी स्वरूप के लिए गंभीर चुनौती बताते हुए उसे यात्रा का तीसरा लक्ष्य करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि देश को इस चुनौती से उबारने के लिए जनता को भी आगे आना होगा।