चीन को लेकर सैम पित्रोदा के बयान पर मचा राजनीतिक घमासान, कांग्रेस ने बनाई दूरी

चीन को लेकर दिए गए अपने हालिया बयान के कारण ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। उनके बयान से उपजे विवाद पर कांग्रेस ने खुद को अलग कर लिया है और इसे उनका “निजी विचार” बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर स्पष्ट किया कि पित्रोदा के बयान से कांग्रेस पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।
क्या कहा था सैम पित्रोदा ने?
सैम पित्रोदा ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है और भारत को चीन को दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि दोनों देशों को शांति और आपसी सहयोग की नीति अपनानी चाहिए। हालांकि, उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दे गया।
कांग्रेस ने बयान से बनाई दूरी
सैम पित्रोदा के बयान के बाद कांग्रेस ने तुरंत सफाई देते हुए इससे किनारा कर लिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “सैम पित्रोदा द्वारा चीन पर व्यक्त किए गए कथित विचार निश्चित रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि चीन आज भी भारत की विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
जयराम रमेश ने यह भी उल्लेख किया कि कांग्रेस पार्टी ने चीन के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर बार-बार सवाल उठाए हैं। उन्होंने 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीन को दी गई “क्लीन चिट” का भी जिक्र किया और कहा कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की अनुमति न दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बीजेपी ने किया जोरदार हमला
सैम पित्रोदा के बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेर लिया। बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह बयान भारत की संप्रभुता और कूटनीति के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि सैम पित्रोदा की टिप्पणी से कांग्रेस और चीन के बीच “गुप्त समझौते” की पोल खुल गई है। त्रिवेदी ने कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है। सैम पित्रोदा ने जिस तरह की बात कही है, वह भारत की अस्मिता, कूटनीति और संप्रभुता पर गहरा आघात है। राहुल गांधी भी विदेशों में इसी तरह के बयान देते रहे हैं।”
राजनीतिक निहितार्थ और संभावित प्रभाव
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। लद्दाख में सीमा विवाद और अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की आक्रामकता के चलते भारत में चीन को लेकर सख्त रुख अपनाया जा रहा है। ऐसे में सैम पित्रोदा का यह बयान कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट पैदा कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का सैम पित्रोदा से दूरी बनाना यह दर्शाता है कि पार्टी किसी भी तरह के विवाद से बचना चाहती है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर।
सैम पित्रोदा के बयान से उत्पन्न विवाद ने एक बार फिर से भारत की राजनीति में विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। कांग्रेस ने इस बयान से दूरी बना ली है, लेकिन बीजेपी इसे कांग्रेस की चीन नीति से जोड़कर हमलावर बनी हुई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का राजनीतिक असर कितना गहरा होता है और क्या यह आगामी चुनावों में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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