नई दिल्ली। विश्व अंगदान दिवस प्रतिवर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को अंगदान के प्रति जागरुक करना और प्रेरित करना है। अंगदान दिवस दुनिया भर में अंग दान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और लोगों को इसके प्रति प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। अंगदान जीवन का सबसे बड़ा महापुण्य है।
विश्व अंग दान मनाने का उद्देश्य घायल और गंभीर रूप से बीमार (जिन्हें अंग की जरूरत है) लोगों की जान बचाना है। किसी व्यक्ति की जान बचाने में अंगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। चिकित्सा विज्ञान ने अंगदान के क्षेत्र में सुधार कर सभी मिथकों को समाप्त कर दिया है। अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है। मृत्यु उपरांत व्यक्ति के स्वस्थ अंगों से कई लोगों को अभयदान प्राप्त होता है। वर्तमान समय में लोग अंग दान के महत्व को समझकर अपने अंगों का दान कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा भी लोगों को अंगदान करने के लिए जागरूक किया जाता है।
हालाँकि भारत का अपना अंगदान दिवस है जो हर साल 27 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन, सरकार भारतीय नागरिकों को स्वेच्छा से अपने अंग दान करने और जीवन बचाने के लिए प्रोत्साहित करती है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो 65 वर्ष की आयु तक व्यक्ति अंग दान कर सकता है। इस साल की थीम “let’s pledge to donate organs and save lives” यानी आइए, ‘अंग दान कर लोगों की जान बचाने का संकल्प लें’ है।
पहली बार 1954 में हुआ था अंग प्रत्यारोपण
अंग प्रत्यारोपण के इतिहास को देखें तो पहली बार सफल जीवित दाता अंग प्रत्यारोपण 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। डॉ जोसेफ मरे ने 1990 में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच गुर्दा प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक करने के लिए फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबल पुरस्कार जीता था।
अंगदान में शामिल हैं 8 अंग
अंगदान में 8 अंग शामिल हैं जिन्हें दान किया जाता है। मृत व्यक्ति का किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्रदय, पैंक्रियाज और आंत दान में दिया जा सकता है। साल 2014 में इस सूची में हाथ और चेहरे को भी शामिल कर दिया गया। कोई जिंदा व्यक्ति चाहे तो वह एक किडनी, एक फेफड़ा, लीवर का कुछ हिस्सा, पैंक्रियास और आंत का कुछ हिस्सा दान कर सकता है।