श्रीलंका में सेना भेजने की पैरवी कर स्वामी ने किया मोदी सरकार को असहज, दूतावास को देनी पड़ी सफाई

कोलंबो। श्रीलंका में खराब होते हालात को संभालने और राजपक्षे सरकार की मदद के लिए भारतीय सेना भेजने की सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की मांग पर श्रीलंका के लोग भड़क गए हैं। यही नहीं श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने स्‍वामी के बयान से पल्‍ला झाड़ लिया है और कहा कि यह भारत सरकार की स्थिति के अनुरूप नहीं है।

राजपक्षे परिवार के बेहद करीबी स्‍वामी ने कहा कि गोटाबाया और महिंदा राजपक्षे स्‍वतंत्र चुनाव में शानदार बहुमत के साथ चुने गए हैं। उन्‍होंने सवाल किया कि कैसे भारत एक भीड़ को एक वैध सरकार को पलटने की अनुमति दे सकता है ? स्‍वामी ने यह भी कहा कि अगर ऐसा रहा तो पड़ोस में कोई भी लोकतांत्रिक देश सुरक्ष‍ित नहीं रहेगा। स्‍वामी ने कहा, ‘अगर राजपक्षे भारत की सैन्‍य मदद चाहते हैं तो हमें उन्‍हें निश्चित रूप से देना चाहिए।’

स्‍वामी के इस बयान पर श्रीलंका के सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार गरम हो गया। इन अफवाहों को खत्‍म करने के लिए श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने बयान जारी करके स्‍वामी के बयान पर सफाई दी। भारतीय दूतावास ने साफ किया, ‘उच्‍चायोग मीडिया और सोशल मीडिया के एक धड़े में अटकलों के आधार पर चल रही रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करता है कि भारत श्रीलंका में अपनी सेना भेजने जा रहा है। ये खबरें और इस तरह के विचार भारत सरकार की स्थिति के अनुसार नहीं हैं।’

भारतीय दूतावास ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने स्‍पष्‍ट रूप से जोर देकर कहा है कि भारत का रुख श्रीलंका के लोगों के साथ है जो समृद्धि के लिए अपनी आकांक्षाओं को वास्‍तविक रूप देना चाहते हैं और लोकतांत्रिक तरीके और मूल्‍यों के जरिए प्रगति चाहते हैं।’

स्‍वामी ने यह भी दावा किया कि श्रीलंका में वर्तमान संकट को पैदा किया गया है। भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह भीड़ भारत में शरणार्थी न बन जाए। भारतीय सेना को भेजने की सलाह पर स्‍वामी के खिलाफ श्रीलंका के लोग सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल करने लगे। इस पर स्‍वामी भड़क गए। उन्‍होंने कहा कि यह अच्‍छी बात है कि भारतीय ट्विटर पर आमतौर पर सभ्‍य भाषा का इस्‍तेमाल कर रहे हैं लेकिन श्रीलंकाई भीड़ बहुत क्रूर, अश्‍लील और असभ्‍य है।

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