युवा देश में सेना के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी क्यों? CAG ने जताई चिंता

नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने थलसेना में भर्तियां कम होने पर चिंता प्रकट की है। समिति ने टिप्पणी की है कि अधिक युवा आबादी वाले देश में सेना के लिए योग्य उम्मीदवार ढूंढने में असमर्थता संतोषजनक स्थिति नहीं है।

संसद में बुधवार को पेश कैग की रिपोर्ट थल सेना में अधिकारियों के चयन में प्रशिक्षण की लेखा परीक्षा में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीएससी या गैर यूपीएससी सभी माध्यमों को मिलाकर युवाओं के लिए सैन्य अधिकारी के रूप में प्रवेश के कुल 21 बिंदु हैं। इसके अलावा, सेना में अफसर से नीचे के रैंक के लिए तीन विशेष प्रवेश मार्ग हैं। लेकिन इसके बावजूद सेना में अफसरों एवं अन्य रैंक में कमी चिंताजनक है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2019 तक सेना में अधिकारियों की 14.71 फीसदी की कमी थी। जबकि सहायक संवर्ग में जितनी रिक्तियां निकाली गईं उतनी भर्तियां नहीं की गईं। 2014-18 के बीच निकाली गई रिक्तियों की रेंज 830-1180 के बीच थी जबकि भर्तियां 522 एवं 607 के बीच ही हो पाईं। प्रतिवर्ष भर्ती होने वाले उम्मीदवारों की संख्या में कमी पाई गई। इसकी वजह एसएससी (तकनीकी) एवं गैर तकनीकी, राष्ट्रीय कैडेट कोर और शॉर्ट सर्विस कमीशन से उम्मीदवारों का कम चुना जाना प्रमुख वजह रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा प्रविष्टियों के माध्यम से भी कम भर्तियां हुईं। 2015 से 2019 के दौरान रिक्तियों के सापेक्ष औसत भर्ती सेना कैडेट कॉलेज (एसीसी) में 64.8 प्रतिशत, विशेष कमीशंड अधिकारी (एससीओ) में 26.7 प्रतिशत तथा स्थायी कमीशन (विशेष सूची) प्रवेश में 23.4 प्रतिशत ही भर्तियां हुईं। कैग ने सिफारिश की है कि सेवारत उम्मीदवारों की क्षमता को बढ़ाने एवं थलसेना के अधिकारी के रूप में प्रवेश के लिए संस्थागत प्रणाली की समीक्षा कर सुव्यवस्थित की जानी चाहिए।

थल सेना में सिर्फ चार फीसदी महिला
रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2020 तक थलसेना में कुल 1648 महिला अधिकारी थी, जो कि कमीशन अधिकारियों की कुल संख्या का महज चार फीसदी था। जबकि महिला उम्मीदवारों की संख्या उनके लिए उपलब्ध रिक्तियों से कहीं अधिक थी। महिलाओं के लिए चार प्रवेश पाठ्यक्रमों में लगभग शत-प्रतिशत उम्मीदवारों के नाम थे। ये मेधावी महिला उम्मीदवार चिकित्सीय रुप से योग्य पाई गईं। इनकी संख्या रिक्तियों के आधार पर अंततः चयनित उम्मीदवारों की अपेक्षा लगभग दो गुणा थी।

न्यायाधीश महाधिवक्ता प्रवेश में महिलाओं एवं पुरुषों के संबंध में निकाली गई रिक्तियों के अनुपात में 2015 में 29 प्रतिशत से 2019 में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं उसी अवधि के दौरान एसएससी महिला (तकनीकी) प्रवेश में 16 प्रतिशत से 8 प्रतिशत की कमी आई।

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