नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के पदाधिकारी मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने हिजाब विवाद का हवाला देते हुए कहा कि धार्मिक परंपराओं पर खतरे के हिसाब से मुसलमानों के लिए 1857 और 1947 से भी बुरा दौर है।
एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुसलमानों खासकर महिलाओं से अपील की है कि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ फैलाए जा रहे ‘प्रोपेगेंडा’ के झांसे में ना आएं। उन्होंने कहा कि चरमपंथी ताकतें मुस्लिम युवाओं को सड़कों पर उतारने के लिए गुमराह कर रही हैं और भड़का रही हैं। कर्नाटक में हिजाब मुद्दे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य में मुसलमानों के लिए बड़ी परीक्षा है।
रहमानी ने कहा, ”ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले पर नजर रख रही है और कानूनी रास्ता अपना रही है।” उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है और बोर्ड शरियत प्रभाव डालने वाले किसी मुद्दे को नजरअंदाज नहीं कर रही है।
रहमानी ने कहा कि कुछ लोग बोर्ड के प्रति गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”मैं मुसलमानों खासकर मुस्लिम बहनों से अपील करता हूं कि इस तरह के प्रोपेगेंडा से प्रभावित ना हों और नाराजगी पैदा करने की कोशिशों को न होने दें।” एक वीडियो संदेश में रहमानी ने कहा, ”धार्मिक परंपराओं पर संकट के हिसाब से भारतीय मुसलमान 1857 और 1947 से भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं। शरियत-ए-इस्लामी पर कई तरफ से हमले हो रहे हैं और मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि 1857 में ब्रिटेश शासन से आजादी के लिए पहला संग्राम हुआ था, जबकि 1947 में देश को आजादी मिली थी। कर्नाटक में हाल ही में लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल में आने से रोक दिया गया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी राहत देने से इनकार किया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
Discussion about this post