भारत में इंटरनेट मीडिया और ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ते अश्लील कंटेंट के प्रसार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह इन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इंटरनेट मीडिया साइट्स पर कुछ पेज या प्रोफाइल बिना किसी फिल्टर के अश्लील कंटेंट प्रसारित कर रहे हैं, जबकि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बाल अडल्ट कंटेंट भी मौजूद है, जो बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
याचिका में उठाए गए प्रमुख मुद्दे याचिका में कहा गया है कि ऐसी सामग्री युवाओं, बच्चों और वयस्कों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह विकृत और अप्राकृतिक यौन प्रवृत्तियों को बढ़ावा देती है, जिससे अपराध दर में वृद्धि हो सकती है। यह भी कहा गया है कि अश्लील सामग्री का अनियंत्रित प्रसार समाज के नैतिक मूल्यों को नुकसान पहुँचा सकता है और इससे मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
इस याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि पहले सक्षम अधिकारियों को इस संबंध में शिकायतें भेजी गई थीं, लेकिन अब तक इन शिकायतों पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इसके कारण, याचिकाकर्ता अब सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध कर रहे हैं कि राज्य अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण का गठन याचिका में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि एक राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण (National Content Regulatory Authority) का गठन किया जाए, जो ओटीटी और इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री की निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित करे। यह प्राधिकरण ऐसी सामग्री के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा, ताकि समाज पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण कदम सुप्रीम कोर्ट की पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह शामिल हैं, जो इस याचिका की सुनवाई करेंगे। याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाए, जिसमें क्षेत्र के विशेषज्ञ भी शामिल हों। यह समिति केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की तर्ज पर ओटीटी और इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री के प्रकाशन और स्ट्रीमिंग की निगरानी और प्रमाणन करेगी।
मनोविज्ञानियों और विशेषज्ञों की समिति इसके अलावा, याचिका में एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें मनोविज्ञानियों और अन्य विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की मांग की गई है। यह समिति राष्ट्रव्यापी अध्ययन करेगी और अश्लील सामग्री के उपभोग के मानसिक प्रभावों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस अध्ययन में यह मूल्यांकन किया जाएगा कि समाज पर इस तरह की सामग्री का क्या प्रभाव पड़ रहा है और इससे बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
केंद्र सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील याचिका में केंद्र सरकार से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह इन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाए, जब तक ये प्लेटफॉर्म्स यह सुनिश्चित नहीं करते कि उनकी सामग्री विशेष रूप से बच्चों और नाबालिगों के लिए सुरक्षित हो। यह कदम डिजिटल स्पेस को विकृत व्यवहार का प्रजनन स्थल बनने से बचाएगा और समाज में नैतिक मूल्यों की रक्षा करेगा।
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