नई दिल्ली। पेट्रोल डीजल की कीमतें बीते एक साल से आम आदमी को सता रही हैं। कोविड की दूसरी लहर के बाद से कीमतें 70 रुपये से 100 रुपये के पार पहुंच चुकी हैं। लेकिन कीमतें बढ़ने के बावजूद तेल की मांग में कोई कमी नहीं आ रही है। क्या आपको पता है कि हम भारतीय देश भर के हजारों पेट्रोल पंप पर हर दिन कितने रुपये पेट्रोल और डीजल कार और बाइक की टंकी में भरवाते हैं?
पेट्रोलियम कंपनियों की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में मार्च के महीने में 29.9 लाख टन पेट्रोल की बिक्री हुई। यदि मार्च में हम दिल्ली में पेट्रोल की औसत कीमत 100 रुपये मान लेते हैं तो प्रति दिन पेट्रोल की खपत के अनुसार यह आंकड़ा करीब 10 अरब बैठता है। खासबात यह है कि इतनी महंगाई के बाद भी देश में तेल की मांग में कोई कमी नहीं आई है। भारत में ईंधन बिक्री मार्च में महामारी से पहले के स्तर को पार कर गयी है। जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.7 प्रतिशत और 2019 की समान अवधि के मुकाबले 14.2 प्रतिशत अधिक है।
हर महीने 70 लाख टन डीजल की बिक्री
देश में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल की बिक्री मार्च में सालाना आधार पर 10.1 फीसदी बढ़कर 70.5 लाख टन हो गई, जो मार्च 2019 के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक है। मार्च के पहले पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की बिक्री क्रमश: 18 प्रतिशत और 23.7 प्रतिशत बढ़ी। समीक्षाधीन अवधि में मासिक आधार पर पेट्रोल की बिक्री 17.3 प्रतिशत और डीजल की बिक्री 22.3 प्रतिशत बढ़ी।
चुनाव बाद लोगों ने किया ईंधन स्टॉक
महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये प्रतिबंधों को हटाने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी को दर्शाता है। इसके अलावा बिक्री बढ़ने की एक वजह कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका भी रही, जिसके चलते लोगों ने ‘स्टॉक’ जमा किये। डीलरों के साथ ही जनता ने उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों के बाद कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका में स्टॉक जमा किये। तेल कंपनियों ने कीमतों में दैनिक संशोधन 22 मार्च से शुरू किया। कीमतों में बढ़ोतरी ने खपत को नियंत्रित किया।