गाजियाबाद। गाजियाबाद में पेट्रोल पंप कर्मचारियों से 25 लाख रुपए लूटने के मुख्य आरोपी आसिफ ने गुरुवार को स्थानीय अदालत में सरेंडर कर दिया। पुलिस उसकी तलाश में खाक छानती रही, लेकिन उसने पांच साल पुराने पशुवध के मामले में पुलिस को चकमा देकर गुरुवार को एसीजेएम-5 की कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
28 मार्च को डासना स्थित अरिहंत पेट्रोल पंप के दो कर्मचारी 25 लाख रुपये बैंक में जमा कराने के लिए गोविंदपुरम स्थित बैंक जा रहे थे। जबकि पंप मैनेजर समेत दो कर्मचारी उन्हें कवर करते हुए पीछे-पीछे आ रहे थे। गोविंदपुरम बी-ब्लॉक में पहुंचते ही दो बाइकों पर आए तीन नकाबपोश बदमाशों ने गोलियां बरसाकर 25 लाख रुपये लूट लिए थे। पुलिस की जांच में पेट्रोल पंप पर नौकरी करने वाला साहिबाबाद निवासी आसिफ नाम का कर्मचारी घटना का सूत्रधार निकला। घटना के बाद से मोबाइल बंद करके वह फरार हो गया था। पुलिस आसिफ की तलाश में खाक छान रही थी, लेकिन उसने चकमा देते हुए गुरुवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
पुलिस को जब आसिफ के सरेंडर करने की जानकारी हुई तो अफसरों में खलबली मच गई। क्योंकि उसे पकड़ने के लिए एसएसपी पवन कुमार ने क्राइम ब्रांच समेत तीन टीमें लगा रखी थीं। तीनों टीमें पिछले कई दिन से बदमाशों की तलाश में खाक छान रही थीं। सरेंडर की खबर मिलते ही पुलिस के कई अफसर कोर्ट में पहुंच गए। ऐन वक्त तक उन्होंने आसिफ को कस्टडी में लेने की कोशिश की, लेकिन तब तक कोर्ट उसको न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश कर चुकी थी। ऐसे में अब पुलिस को आसिफ से पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर लेना होगा और इसके लिए कोर्ट में एप्लिकेशन देनी होगी।
पुलिस के मुताबिक आसिफ पेट्रोल पंप पर नाम बदलकर नौकरी कर रहा था। वहां उसने अपना नाम राशिद बताया हुआ था। उसने कुछ दिन पहले पेट्रोल पंप से ढाई लाख रुपये भी साफ किए थे, जिसका पता लगते ही पुलिस को उस पर शक हो गया। इसके बाद घटना के अगले ही दिन से वह मोबाइल बंद करके फरार हो गया। असली नाम पता लगने पर पुलिस ने उसका आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला तो उस पर लूट व पशु वध समेत कई मामले दर्ज मिले। गुरुवार को वह वकीलों के साये में कोर्ट में सरेंडर करने पहुंच गया और पुलिस को भनक तक नहीं लग सकी।
पुलिस के मुताबिक आसिफ वर्ष 2017 में लूट के मामले में जेल गया था। इसके खिलाफ पशुवध के मामले भी दर्ज थे। साहिबाबाद थाने में दर्ज पशु वध के मामले में उसके गैर जमानती वारंट जारी होते आ रहे थे। हालांकि पुलिस अधिकारियों का तर्क है कि यह वार्ट सिर्फ कोर्ट में फाइलों में चले आ रहे थे। पुलिस को वारंट नहीं मिले थे। साहिबाबाद थाने में उसके वारंट का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। पांच साल पुराने इसी मामले में उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
सिफ की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता खालिद खान, मुमताज अहमद और अमित राणा समेत करीब दो दर्जन अधिवक्ता जिला जज से मिले। उन्होंने कहा कि पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर करने के लिए आसिफ का नाम लूट में घसीट रही है। अधिवक्ता खालिद खान का कहना है कि जिला जज ने एसीजेएम-5 को तलब कर लिया, जिसके बाद एसीजेएम-5 ने आसिफ के वारंट खारिज करते हुए उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। हालाँकि, आसिफ ने भी लूट में शामिल होने से इनकार किया है।