नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में अभी तक अमर जवान ज्योति इंडिया गेट की पहचान हुआ करती थी लेकिन अब यह इंडिया गेट की जगह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी। शुक्रवार को इसका विलय कर दिया जाएगा।
भारत ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर अब इस अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट करने का फैसला किया गया है। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के रूप में जलने वाली आग की लौ का गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलने वाली लौ में विलय कर दिया जाएगा। दोनों स्मारकों के बीच की दूरी बमुश्किल आधा किलोमीटर है। करीब तीन साल पहले, 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नैशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया, तो यह निर्णय लिया गया था कि अमर जवान ज्योति की मूल लौ यहीं जलाई जाएगी।
नैशनल वॉर मेमोरियल के अमर चक्र में भी अमर जवान ज्योति है। इंडिया गेट पर जल रही लौ को इसी में मर्ज किया जाना है। गणतंत्र दिवस परेड से पहले शहीदों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा अब यहां शिफ्ट हो गई है। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।
इंडिया गेट को ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों की याद में बनवाया गया था। इसके बाद 1972 में 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति जलाई गई। इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था।
इसके बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य गणमान्य हस्तियां अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण करती हैं। हर साल उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने भारत की रक्षा में जान कुर्बान कर दी। हालांकि फरवरी 2019 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के उद्घाटन के बाद से, यह परंपरा वहां शिफ्ट हो गई। इसके बावजूद इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर भारी भीड़ जुटा करती थी। फिलहाल यह एरिया सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट के निर्माण की वजह से बंद है।