गाजियाबाद। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 400 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के मुख्य आरोपित लक्ष्य तंवर की सहयोगी पीएनबी की बर्खास्त लोन मैनेजर प्रियदर्शनी के बाद पुलिस ने बर्खास्त एजीएम रामनाथ मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया है। एजीएम दिल्ली में अपने रिश्तेदारों के यहां छिपा था।
लोन के नाम पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा करने वाले लोन माफिया लक्ष्य तंवर के खिलाफ 39 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। जिनमें से 12 मामलों में रामनाथ मिश्रा भी आरोपी है। रामनाथ मिश्रा मूलरूप से बिहार के पटना जिले के थाना श्री कृष्णपुरी क्षेत्र का रहने वाला है। पुलिस के अनुसार रामनाथ मिश्रा 3 जून 2015 से 8 जून 2017 तक पीएनबी की चंद्रनगर शाखा में चीफ मैनेजर के पद पर तैनात था। जहां उस पर चार करोड़ रुपये तक का लोन करने का अधिकार था, लेकिन वो लक्ष्य तंवर के साथ मिलकर एक करोड़ की संपत्ति पर 4 करोड़ रुपये के लोन स्वीकृत कराए।
इसके बाद रामनाथ मिश्रा प्रमोशन पाकर पीएनबी आगरा का एजीएम बन गया। जहां उसे 10 करोड़ रुपये तक का लोन करने का अधिकार मिल गया। लेकिन वहां रहकर गाजियाबाद के लोगों को लक्ष्य तंवर के साथ मिलकर डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति पर 10-10 करोड़ रुपये तक के लोन कराए। लोन फर्जीवाड़ा मामला उजागर होने पर विभागीय जांच के बाद बैंक ने जुलाई 2021 में उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया।
रामनाथ पिछले काफी समय से फरार था, वह पुलिस से छिपकर दिल्ली में रह रहा था। पुलिस इसके खिलाफ गैंगस्टर की भी कार्रवाई कर चुकी है। वह गैंगस्टर में भी वांछित चल रहा था। जिसकी पुलिस को तभी से तलाश थी। पुलिस ने अब दिल्ली से रामनाथ को भी गिरफ्तार कर इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस का मानना है कि रामनाथ से पूछताछ के बाद घोटाले के तमाम राज सामने आ सकते हैं। इसके बाद इस मामले में अन्य बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी और इस मामले में फरार अन्य आरोपियों को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इससे पहले मंगलवार को पुलिस ने बर्खास्त मैनेजर प्रियदर्शिनी को गिरफ्तार किया था। प्रियदर्शिनी मूलरूप से बिहार के जिला आरा की रहने वाली है। पूर्व में वह अपने पति के साथ साहिबाबाद के वृंदावन ग्रीन राधेश्याम पार्क राजेंद्र नगर में रह रही थी। पुलिस से बचने के लिए वह अपना ठिकाना बदल कर गौतमबुद्ध नगर के बिसरख थानाक्षेत्र स्थित अरिहंत सोसाइटी में पति के रिश्तेदारों के यहां छिप गई थी। यहीं से पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है।
प्रियदर्शिनी ने लक्ष्य तंवर के साथ मिलकर पीएनबी को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। अगस्त माह में लक्ष्य की गिरफ्तारी के बाद मामला उजागर होने पर प्रियदर्शिनी की विभागीय जांच हुई, जिसमें दोषी पाए जाने पर बैंक ने करीब दो माह पूर्व प्रियदर्शिनी को बर्खास्त कर दिया था। लोन घोटाले में गठित एसआइटी में जांच कर रहे सदस्य उपनिरीक्षक श्री निवास यादव का कहना है कि प्रियदर्शनी के खिलाफ नौ मुकदमे दर्ज हैं। इनमें पांच मामलों में कोर्ट से रिमांड मंजूर हो चुकी है। अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
39 मुकदमों में मुख्य आरोपी है लक्ष्य
लोन फर्जीवाड़े में अब तक 39 मुकदमे दर्ज हुए हैं। जिनमें मुख्य आरोपी लक्ष्य तंवर, पिता अशोक, पत्नी प्रियंका, मां रेनू है। इसके अलावा शीलू, शीलू की पत्नी अलका, बेटी गौरी बहल, दामाद विशेष बहल, राजरानी कालरा, उसका सूरज कालरा, पुत्रवध सिंपी भी विभिन्न मुकदमों में आरोपी हैं। बैंक अधिकारियों ने सेवानिवृत्त मैनेजर रामनाथ मिश्रा, उत्कर्ष कुमार, बर्खास्त मैनेजर संजय तितरवे मैनेजर दुर्गा प्रसाद, बर्खास्त लोन मैनेजर प्रियदर्शिनी, लोन मैनेजर तारिक हुसैन भी मुकदमों में आरोपी हैं। सहआरोपियों में वरूण त्यागी, नरेश बग्गा, उसका बेटा दक्ष बग्गा, अनिल भारद्वाज, एसपी कपूर, यासू कौशिक भी नामजद हैं।
30 अगस्त से जेल में है लक्ष्य
कविनगर निवासी लक्ष्य तंवर अखबार बाटंने का काम करता था, जबकि उसका पिता अशोक कुमार कपड़ों पर प्रेस करता था। 30 अगस्त को नगर कोतवाली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अक्टूबर मध्य में लक्ष्य तंवर से जुड़े मुकदमों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी, जिसमें एक इंस्पेक्टर व तीन दरोगा शामिल किए थे। लक्ष्य समेत 12 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है