गाजियाबाद। वेस्टइंडीज में अगले महीने होने वाले अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का चयन कर लिया गया है। इस टीम की कमान दिल्ली के खिलाड़ी यश ढुल को दी गई है वहीं गाजियाबाद जिले के कोट गांव में रहने वाले का भी अंडर-19 क्रिकेट टीम में चयन हुआ है। सिद्धार्थ के घर के लोग ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लोग बेहद खुश हैं क्योंकि सिद्धार्थ ने गाजियाबाद का भी नाम रोशन कर दिया है।
सामान्य परिवार में जन्मे सिद्धार्थ के पिता श्रवण यादव कोट गांव में ही किराना की दुकान चलाते हैं। श्रवण बचपन से ही भारतीय टीम के लिए खेलना चाहते थे, लेकिन क्रिकेट में वो एक नेट बॉलर बन कर रह गए साथ ही घर की परिस्थिति के कारण अपने घर गृहस्थी में लग गए। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठानी। श्रवण ने क्रिकेट छोड़ किराने की दुकान खोली और अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया।
उन्होंने बताया कि सिद्धार्थ यादव 3 साल की उम्र से ही क्रिकेट के खेल को बहुत पसंद करते थे। अक्सर वह टेलीविजन पर क्रिकेट मैच बड़ी दिलचस्पी के साथ देखते थे। मैच देखने के बाद सिद्धार्थ का निशाना केवल एक बड़ा खिलाड़ी बनने पर रहा। सिद्धार्थ ने शुरुआती दौर में मोहल्ले की तंग गलियों में ही क्रिकेट खेलना शुरू किया।
बकौल श्रवण यादव, ‘ जब वह (सिद्धार्थ) छोटा था, मेरा सपना उसे क्रिकेट खेलते हुए देखना था। उसने जब पहली बार बैट बाएं हाथ से स्टांस लिया तब मेरी मां ने कहा, ‘ ये कैसा उल्टा खड़ा हो गया है। मैंने कहा कि यही अब उसका स्टांस होगा। उसके बाद से वह लेफ्ट हैंड से ही बल्लेबाजी करता है।’
सिद्धार्थ जब आठ साल के थे तभी से उनके पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। इसी समय से उन्होंने यह तय किया कि सिद्धार्थ को रोजाना कम से कम तीन घंटे प्रैक्टिस करानी है। इसके बाद वो रोजाना उन्हें मैदान पर लेकर जाने लगे और खुद थ्रो डाउन करके प्रैक्टिस कराने लगे। सिद्धार्थ की प्रैक्टिस के लिए श्रवण रोज दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक अपनी दुकान बंद कर देते थे और बेटे को प्रैक्टिस कराने ले जाते थे।
सिद्धार्थ ने कहा कि दादी चाहती थी कि मैं पढ़ाई पर ध्यान दूं। उन्हें लगता था कि अगर मैं पढ़ाई नहीं करूंगा तो मेरी जिंदगी खराब हो जाएगी, अवारा हो जाऊंगा। लेकिन मेरे पिता दृढ़ थे। यह उनका सपना था जिसे मुझे पूरा करना था।
सिद्धार्थ की दादी ने भी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि सिद्धार्थ बचपन से ही क्रिकेट के खेल को बहुत पसंद करता था। उनका कहना है कि सिद्धार्थ को क्रिकेट से इतना लगाव था कि जब क्रिकेट खेल कर घर पहुंचता था तो वह रात को भी अपना बल्ला और बॉल साथ रखकर ही सोता था।