‘स्किन टू स्किन’ फैसला सुनाने वाली न्यायाधीश नहीं बनेंगी स्थायी जज, कॉलेजियम ने रोकी सिफारिश

नई दिल्ली। अपने विवादित फैसलों के कारण सुर्खियों में रहीं जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति पुष्पा वी गनेडीवाला के नाम की सिफारिश बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नहीं करने का फैसला किया है। उनका कार्यकाल फरवरी 2022 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में डिमोशन होकर उनकी नियुक्ति वापस जिला न्यायाधीश के तौर पर हो जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने बांबे हाई कोर्ट के तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुआई वाले कोलेजियम ने 14 दिसंबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया। बांबे हाई कोर्ट के जिन तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी जज बनाने को मंजूरी दी गई है उनके नाम माधव जयाजीराव जामदार, अमित भालचंद्र बोरकर और श्रीकांत दत्तात्रेय कुलकर्णी हैं। कोलेजियम ने जस्टिस अभय आहूजा को बांबे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और एक साल के लिए नियुक्त किए जाने की सिफारिश का भी समाधान कर दिया। उनकी नई नियुक्ति चार मार्च, 2022 से प्रभावी होगी।

चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस यू यू ललित और ए एम खनविलकर के कलेजियम ने जस्टिस पुष्पा के कार्यकाल को विस्तार नहीं देने का फैसला किया है। उन्होंने 12 साल की लड़की के साथ यौन अपराध केस में आरोपी को बरी करते हुए उन्होंने कहा था कि बिना स्किन-टू-स्किन संपर्क में आए ब्रेस्ट को छूना पॉक्सो (Pocso Act) के तहत यौन हमला नहीं माना जाएगा। इस फैसले ने जस्टिस गनेडीवाला को आलोचना के केंद्र में ला दिया था। इस फैसले की देशभर में आलोचना हुई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर रोक लगा दी थी।

जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने इससे पहले भी एक विवादित फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा था कि पॉक्सो ऐक्ट के तहत पांच साल की बच्ची के हाथ पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना यौन अपराध नहीं है। अमरावती की रहने वाली जस्टिस पुष्पा ने 2007 में बतौर जिला जज अपने करियर की शुरुआत की थी।

‘पत्नी से पैसे मांगना उत्पीड़न नहीं’
जस्टिस पुष्पा ने दो दिन पहले फैसला देते हुए कहा कि पत्नी से पैसे मांगने को उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने शादी के 9 साल बाद पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी शख्स को रिहा करने का फैसला दिया। आरोपी पर दहेज की लालच में उत्पीड़न का आरोप था।

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