गाजियाबाद: अब्दुल समद पिटाई केस में ट्विटर इंडिया के पूर्व एमडी को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

गाजियाबाद। ट्विटर इंडिया के पूर्व एमडी मनीष माहेश्वरी के खिलाफ लोनी में FIR का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। यूपी के गाजियाबाद जिले में अब्दुल समद पिटाई केस में भ्रामक ट्वीट करने पर ट्विटर के खिलाफ एफआईआर हुई थी। इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने माहेश्वरी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी पुलिस सुप्रीम कोर्ट में गई थी।

मनीष माहेश्वरी के खिलाफ गाजियाबाद की पुलिस ने जून के महीने में एक मुस्लिम बुजुर्ग का वीडियो वायरल होने के बाद मामला दर्ज किया था। मुस्लिम बुजुर्ग से मारपीट और दाढ़ी काटने की घटना के वीडियो से जुड़े मामले में खुद को भेजे गए पुलिस समन के खिलाफ ट्विटर इंडिया के एमडी ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और गाजियाबाद पुलिस की ओर से सेक्शन 41ए के तहत मिले नोटिस को चुनौती दी थी। जिसे कोर्ट ने सही माना और समन को रद्द कर दिया। अदालत ने पुलिस से कहा है कि माहेश्वरी को पुलिस स्टेशन बुलाना जरूरी नहीं है, उनका बयान वर्चुअल माध्यम से या फिर उनके आवास जाकर दर्ज किया जा सकता है।

वहीं मनीष माहेश्वरी को राहत देने के खिलाफ यूपी सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। अदालत के नोटिस पर ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी को चार हफ्ते में जवाब देना है।

क्या है मामला?
यूपी में बुलंदशहर जिले के अनूपशहर कस्बा निवासी 72 वर्षीय अब्दुल समद पांच जून को गाजियाबाद आए थे। यहां एक कमरे में बंधक बनाकर उनको पीटा गया और कैंची से दाढ़ी काट दी गई। अब्दुल समद ने आरोप लगाया था कि उसे कुछ अन्य लोगों द्वारा पीटा गया था और “जय श्री राम” और “वंदे मातरम” के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था। इसके वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए। जब गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले की जाँच की तो यह मामला पूरी तरह से झूठा साबित हुआ था।

पुलिस ने मामले में किसी भी ‘सांप्रदायिक कोण’ से इनकार किया है, यह दावा करते हुए कि बुजुर्ग को उसके द्वारा बेचे गए ताबीज पर पीटा गया था। हमलवारों में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग शामिल थे जो अब्दुल समद को पहले से जानते थे।

इस मामले में सपा नेता उम्मेद पहलवान सहित 12 लोग जेल गए थे। गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर थाने में ट्विटर इंडिया सहित 9 लोगों के खिलाफ एक अन्य केस दर्ज हुआ था, जिसमें दंगा भड़काने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरेाप था। पुलिस का कहना था कि इस केस की सच्चाई कुछ और थी। इसके बावजूद ट्विटर ने भ्रामक ट्वीट नहीं हटाए थे।

मनीष माहेश्वरी को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किए गए थे। मनीष को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया। लोनी बॉर्डर थाने के जांच अधिकारी ने ट्विटर के एमडी मनीष माहेश्वरी को भेजे नोटिस में कहा है कि ‘हमारी जानकारी में यह तथ्य आया है कि टि्वटर इंडिया के एमडी होने के नाते आप भारत में ट्विटर के प्रतिनिधि हैं। इस कारण आप इस जांच में सहयोग करने के लिए भारतीय कानून के तहत बाध्य हैं। जनता और राज्य की सुरक्षा और सद्भाव बनाए रखने के लिए टि्वटर इंडिया के हैंडल के माध्यम से भारत में प्रसारित कौन-कौन सा ट्वीट हटाया जाना चाहिए इस बारे में आपको निर्णय लेने की शक्ति है। ट्विटर प्लेटफार्म पर प्रकाशित गाजियापबाद के विद्वेष पूर्ण ट्वीट के कारण समाज में तनावपूर्ण माहौल पैदा हुआ है।

इस नोटिस में कहा गया कि देश-प्रदेश में विभिन्न समूह के माध्यम से शत्रुता बढ़ी और सामाजिक सुधार को खतरा पैदा हुआ। गाजियाबाद पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर प्लेटफार्म से ट्वीट करके कहा था कि यह वीडियो फर्जी है। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी बनती थी और आपके अधिकार क्षेत्र में था कि आप इस झूठी सूचना को फैलाने से रोकते लेकिन आपने ऐसा नहीं किया और वीडियो को वायरल होने दिया। लेकिन मनीष ने इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया और उन्हें वहां से राहत मिल गयी थी।

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