यूपी चुनाव: कल गाजियाबाद में जनसभा को संबोधित करेंगे ओवैसी

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गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में चार महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। बीजेपी अपनी सत्ता को बरकरार रखने की जद्दोजहद कर रही है तो विपक्षी दलों ने योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोल रखा है। वहीं इस चुनाव में एक मोर्चा असदुद्दीन ओवैसी ने भी खोल दिया है। ओवैसी रविवार को गाजियाबाद के मसूरी में एक जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं।

यूपी के विधानसभा चुनाव में ओवैसी अपनी पार्टी को एक अहम प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश कर रही रहे हैं। अपने भाषणों में वो जो तेवर दिखा रहे हैं, उससे साफ लग रहा है कि चुनावों में खूब गरमी पैदा होने वाली है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल धौलाना विधानसभा सीट पर आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की नजर है। वर्तमान में बसपा से हाजी असलम यहां के विधायक हैं। इससे पहले यह सीट सपा के खाते में थी।

धौलाना विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3.78 लाख मतदाता हैं और इनमें से 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं। मुस्लिम डेढ़ लाख, ठाकुर 90 हजार, दलित 50 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, वैश्य 25 हजार, यादव आठ अजार, जाट सात हजार व अन्य 40 हजार मतदाता हैं। ओवैसी की नजर यहां के मुस्लिम और दलित मतदाताओं पर है। माना जा है इसी वजह से ओवैसी दूसरी बार मसूरी आ रहे हैं। इससे पहले 15 जुलाई को औवेसी मसूरी में पार्टी कार्यालय का शुभारंभ करने आए थे। इस दौरान उनके समर्थकों की खासी भीड़ जुटी थी, सपा और बसपा के कार्यकर्ताओं ने मसूरी में ओवैसी के आने का विरोध किया था।

बता दें 2017 के चुनावों में यूपी की 38 सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने उम्मीदवार उतारे थे और तब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के 38 उम्मीदवार मिलकर यूपी के 14 करोड़ मतदाताओं के बीच 2 लाख वोट जुटा पाए थे।

मुस्लिम प्रभाव वाली विधानसभा सीटें
यूपी में करीब 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो सूबे की कुल 143 सीटों पर अपना असर रखते हैं। इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी बीस से तीस फीसद के बीच है। 73 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान तीस फीसद से ज्यादा है। सूबे की करीब तीन दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर जीत दर्ज कर सकते हैं जबकि करीब 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता चुनावी नतीजों को खासा प्रभावित करते हैं। इनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश की हैं।

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