दिल्ली में हर साल 1-15 नवंबर के बीच सबसे अधिक रहता है वायु प्रदूषण: डीपीसीसी

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दिल्ली। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा पिछले पांच वर्षों में एकत्रित किए गए आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में लोग हर साल एक से 15 नवंबर के बीच ‘‘सबसे खराब’’ हवा में सांस लेते हैं। राष्ट्रीय राजधानी का औसत पीएम 2.5 स्तर 16 अक्टूबर से 15 फरवरी के बीच ‘‘बहुत खराब’’ और ‘‘गंभीर’’ श्रेणी के बीच रहता है। वहीं एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच पीएम2.5 सांद्रता औसतन 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहती है।

ग्रेडड रिस्पांस एक्शन प्लान के अंतर्गत दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के विश्लेषण में पाया गया है कि 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच PM 2.5 का स्तर 285 के आसपास होता है। जो भी गंभीर श्रेणी में आता है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि 1 से 15 नवंबर के बीच राजधानी में प्रदूषण काफी गंभीर स्थिति में होता है। इसका मुख्य कारण है पंजाब और हरियाणा के खेतों से पराली का आया हुआ धुआं। वहीं दिवाली के दौरान पटाखों से स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है।

हालांकि पिछले साल पटाखों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध था, लेकिन फिर भी उल्लंघन के मामले सामने आए थे। क्योंकि प्रतिबंध की घोषण अंतिम समय में की गई थी। इसके अलावा लोगों ने गाजियाबाद और गुरुग्राम जाकर भी पटाखे खरीदे। पिछले साल 2020 में दिवाली 14 नवंबर, 2019 में 27 अक्टूबर, 2018 में 7 नवंबर, 2017 में 19 अक्टूबर और 2016 में 30 अक्टूबर को मनाई गई थी। यह सिलसिला इस साल भी जारी रह सकता है क्योंकि दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी।

दिल्ली में 16 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच दूसरा सबसे अधिक प्रदूषित समय होता है। इस दौरान पीएम 2.5 सांद्रता औसतन 218 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहती है। अधिकारी ने कहा कि वायु प्रदूषण स्तर अधिक होने का मुख्य कारण अपशिष्ट जलाना है, क्योंकि यही वह समय है, जब दिल्ली में तापमान काफी कम रहता है और त्योहार भी अधिक होते हैं।

पीएम 2.5 को 61 से 120 के बीच ‘मध्यम से खराब’, 121 से 250 के बीच ‘बेहद खराब’, 251 से 350 के बीच ‘गंभीर’ और 350 से अधिक होने पर ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘15 अक्टूबर से एक नवंबर के बीच प्रदूषण में व्यापक वृद्धि दर्ज की जाती है। पीएम2.5 का औसत स्तर 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 285 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच जाता है।’’

इसके बाद तीसरी अवधि जब प्रदूषण सबसे अधिक फैलता है, वह एक जनवरी से 15 जनवरी के बीच का समय है। इस दौरान पीएम2.5 सांद्रता औसतन 197 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहती है। अधिकारी ने कहा, ‘‘आंकड़ों के अनुसार सरकार प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए शीतकालीन कार्य योजना के तहत कार्रवाई करेगी।’’

एंटी डस्ट अभियान की शुरुआत
वहीं दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए आज से एंटी डस्ट अभियान की शुरुआत होगी। इसके अंतर्गत साइट पर निर्माण संबंधी नियमों को लागू करना जरूरी होगा। नियमों का पालन नहीं करने पर एनजीटी के दिशा-निर्देशों के अनुसार 10 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसकी निगरानी के लिए 31 टीमों का गठन किया गया है।

इसमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की 17 और ग्रीन मार्शल की 14 टीमें शामिल हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि निर्माण साइटों पर निर्माण संबंधी 14 नियमों को लागू करना जरूरी है। इसके संबंध में सार्वजनिक नोटिस जारी किया जा चुका है। इसी के साथ सीएंडडी वेस्ट के स्वयं ऑडिट और प्रबंधन के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले चरण के अभियान में टीमें मोबाइल वैन के साथ अलग-अलग इलाकों में निगारानी का काम करेंगी। इसके लिए पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी, शाहदरा, दक्षिण-पूर्वी, दक्षिण-पश्चिम में डीपीसीसी की एक-एक टीम लगाई गई है।

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