स्टॉकहोम। केमिस्ट्री (रसायन विज्ञान) में साल 2021 के लिए नोबेल पुरस्कार का ऐलान बुधवार को कर दिया गया। इस साल यह सम्मान जर्मनी के बेंजामिन लिस्ट और अमेरिका के डेविड मैकमिलन को दिया गया है। उन्हें ‘‘एसिमेट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस’’ नामक अणुओं के निर्माण के लिए एक नया तरीका विकसित करने में उनके उल्लेखनीय काम के लिए इस सम्मान के लिए चुना गया है।
नोबेल समिति ने कहा कि लिस्ट और मैकमिलन ने 2000 में स्वतंत्र रूप से कैटेलिसिस का एक नया तरीका विकसित किया था। नोबेल समिति के एक सदस्य, पर्निला विटुंग-स्टाफशेड ने कहा, ‘‘यह पहले से ही मानव जाति को बहुत लाभान्वित कर रहा है।’’ पुरस्कार की घोषणा के बाद लिस्ट ने कहा कि उनके लिए पुरस्कार एक ‘‘बहुत बड़ा आश्चर्य’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।’’ उन्होंने कहा कि जब स्वीडन से फोन आया तो वह अपने परिवार के साथ एम्स्टर्डम में छुट्टियां मना रहे थे।
लिस्ट ने कहा कि उन्हें शुरू में नहीं पता था कि मैकमिलन उसी विषय पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि जब तक यह काम नहीं करता है तब तक उनका यह प्रयास एक खराब विचार हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि यह कुछ बड़ा हो सकता है।’’
इन दोनों वैज्ञानिकों ने मॉलिक्यूलर कंस्ट्रक्शन के लिए एक सटीक और नया उपकरण विकसित किया है। इस उपकरण का फार्मास्युटिकल रिसर्च पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज, स्टॉकहोम, स्वीडन द्वारा प्रदान किया जाता है।
रायल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक बयान में कहा कि जैविक उत्प्रेरकों का उपयोग कई रासायनिक प्रतिक्रियाओं को चलाने के लिए किया जा सकता है। इन प्रतिक्रियाओं का उपयोग कर शोधकर्ता अब नए फार्मास्यूटिकल्स से लेकर अणुओं तक कुछ भी अधिक कुशलता से बना सकते हैं जो सौर कोशिकाओं में प्रकाश को पकड़ सकते हैं। इसने कहा कि ये उत्प्रेरक पर्यावरण के अनुकूल और उत्पादन के लिए सस्ते दोनों थे।
साल 1901 से शुरू हुआ नोबेल पुरस्कारों का सिलसिला
पहला नोबेल पुरस्कार साल 1901 में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेडिसिन, लिटरेचर और शांति के क्षेत्र में दिए गए थे। यह अल्फ्रेड नोबेल की पांचवी पुण्यतिथि थी। नोबेल स्टॉकहोम में 1833 में पैदा हुए थे। उनके पिता युद्ध के शस्त्र बनाने का काम करते थे। आगे चलकर नोबल भी रसायन शास्त्र के बड़े वैज्ञानिक हुए। साल 1867 में उन्होंने अत्यंत विस्फोटक डायनामाइट का अविष्कार किया था।
10 दिसंबर 1896 को इटली के सौन रेमो में नोबेल का देहांत हो गया। नोबल वास्तव में शांति के अनुयायी थे। अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्हें युद्ध में भारी तबाही मचाने वाले अपने अविष्कारों को लेकर भारी पश्चाताप था। इसी के प्रयश्चित स्वरूप उन्होंने नोबल पुरस्कारो की व्यवस्था अपने वसीयत में की थी और लिखा था कि उनकी संपत्ति के अधिकांश हिस्से से मानवजाति के कल्याण की दिशा में उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाए।
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