कैनबरा। आस्ट्रेलिया ने सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता दी है। ऑस्ट्रेलिया के थेरेप्यूटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन (TGA) ने सेफ्टी डेटा का मुल्यांकन करने के बाद भारत की कोविशील्ड और चीन की कोरोनावैक (सिनोवैक) वैक्सीन को “मान्यता प्राप्त टीके” के रूप में सूचीबद्ध किया।
ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को एस्ट्राजेनेका टीके के भारतीय एडिशन कोविशील्ड को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए ‘मान्यता प्राप्त वैक्सीन’ के रूप में घोषित किया। मीडिया को दिए एक बयान में, देश के प्रधान मंत्री स्काट मारिसन ने शुक्रवार को कहा कि कोविशील्ड को आस्ट्रेलिया में ‘मान्यता प्राप्त टीकों’ के हिस्से के रूप में माना जाएगा। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि भारत निर्मित टीके की मान्यता से भारतीय पर्यटकों और छात्रों को आस्ट्रेलिया जाने में मदद मिलेगी या नहीं क्योंकि भारतीय टीकाकरण प्रमाणपत्रों के सत्यापन का पेच फंस सकता है।
नवीनतम घोषणा का उद्देश्य आस्ट्रेलिया में पर्यटकों का स्वागत बताते हुए पीएम मारिसन ने कहा, ‘आज, टीजीए (चिकित्सीय सामान प्रशासन) ने कोरोनावैक (सिनोवैक) और कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका/सेरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया) टीकों द्वारा दी गई सुरक्षा पर डेटा का अपना प्रारंभिक मूल्यांकन प्रकाशित किया है और कहा कि इन टीकों को ‘मान्यता प्राप्त’ माना जाना चाहिए।’
बयान में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दुनिया को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आने वाले परिवर्तनों के लिए उठाए जाने वाले अगले कदमों को रेखांकित किया गया है। बयान में कहा गया है कि हमारी सरकार आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा कैसी दिखेगी, इसके लिए रूपरेखा तैयार कर रही है।
अधिकारियों ने पहले कहा था कि ऑस्ट्रेलिया में विदेशी छात्रों का प्रवेश 2022 में पहले सेमेस्टर के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है। 70% आबादी का पूरी तरह से टीकाकरण हो जाने के बाद ही ऑस्ट्रेलियाई सरकार की विदेश यात्रा पर आगे बढ़ने की योजना है। 78 फीसदी से अधिक आस्ट्रेलियाई लोगों ने पहली खुराक ले ली है और दूसरी खुराक की दर 55 है। माना जा रहा है कि कुछ इलाकों में अगले सप्ताह में 70 फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो जाएगा।
बता दें कि भारत ऑस्ट्रेलियाई पक्ष पर भारतीय यात्रियों, विशेष रूप से विभिन्न विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यक्रमों में शामिल होने के इच्छुक छात्रों के लिए यात्रा की अनुमति देने के लिए दबाव डालता रहा है। ऑस्ट्रेलिया में विदेशी छात्रों के लिए भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। 2019-20 के दौरान भारतीय छात्रों ने ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था में $6.6 बिलियन का योगदान दिया।
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