गाजियाबाद। जनपद में ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इसमें साईबर ठगी के मामलों में भी खासी बढोत्तरी हुई है। लालच के चक्कर में पढ़े-लिखे व्यक्ति भी इन ठगों के चंगुल में फंस रहे हैं। कई मामलों का पुलिस ने हाल ही में पर्दाफाश किया है लेकिन उसके बाद भी ठगी से बचने के लिए आमजन को जागरूक होने की बेहद जरूरत है।
साइबर सेल ने गुरूवार को पैसेफिक मॉल में आठ साल से चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया है जिसमें लोगों को लोन दिलाने के नाम पर ठगा जा रहा था। पुलिस ने बताया कि ये आरोपी 30 हजार लोगों से करीब 50 करोड़ रुपये ठग चुके हैं। शास्त्रीनगर निवासी अमित गुप्ता से लोन दिलाने के नाम पर साढ़े 18 हजार रुपये की ठगी हुई थी। कविनगर थाने में दर्ज इस मामले की जांच साइबर सेल द्वारा की जा रही थी। जांच में पैसेफिक मॉल में कॉल सेंटर चलता मिला। छापामारी के दौरान मौके पर मिले जिला बक्सर, बिहार के गांव महुआर निवासी राघो उर्फ राघव और थाना सिंभावली, हापुड़ के गांव जमालपुर निवासी शिवकुमार शर्मा को गिरफ्तार किया गया। सीओ ने बताया कि राघव और शिवकुमार शर्मा बीए पास हैं। दोनों पूर्व में नोएडा में पॉलिसी सेक्टर में प्राइवेट नौकरी करते थे। यहीं उन्होंने करोड़पति बनने के लिए ठगी का धंधा करने की योजना बनाई।
पूछताछ में पता चला कि दोनों ने आठ साल पहले पैसेफिक मॉल में कॉल सेंटर खोलकर लोन दिलाने के नाम पर लोगों को ठगना शुरू कर दिया। राघव पते बदल-बदलकर फर्जी आईडी पर सिम लाने और बैंक खाते खुलवाने का काम करता था। लोगों को कॉल करने के लिए आरोपी फर्जी दस्तावेजों से सिम कार्ड खरीदते थे। पता बदल-बदलकर वह अपना फर्जी रेंट एग्रीमेंट तैयार कराते और आधार कार्ड को एडिट कर उसमें नाम-पता बदल लेते। इसी फर्जी आईडी पर सिम लिया जाता था। एक सिम कार्ड से सैकड़ों लोगों से ठगी करने के बाद वह उसे तोड़कर फेंक देते और मोबाइल भी बदल लेते थे। जबकि शिवकुमार शर्मा कॉल सेंटर का संचालन, फर्जी खातों के एटीएम व नेट बैकिंग का लॉगिन अपने पास रखकर पैसा निकालने व ट्रांसफर करने का जिम्मा संभालता था।
साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि आरोपित लोन के इच्छुक लोगों को अपनी टीम से कॉल करवाता था, जिसमें उन्हें ऑनलाइन ही कम से कम पेपर के साथ 10 दिन में 10 लाख रुपये का बिजनेस लोन देने का वादा किया जाता था। साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि आरोपियों के 25 खाते ट्रेस हुए हैं। अभी सिर्फ एक खाते की डिटेल मिल सकी है। इसमें सिर्फ एक साल में 60 लाख से अधिक की ट्रांजेक्शन मिली है। अन्य खातों की डिटेल मांगी गई है। एक अनुमान के मुताबिक, आरोपियों द्वारा आठ साल में करीब 50 करोड़ की ठगी की है। कॉल सेंटर की तलाशी में 11 मोबाइल, सात बैंक पासबुक, 19 डाटा पेपर शीट, 25 खाली लेटरपैड, छह एटीएम कार्ड, तीन आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, आठ चेक बुक, एक चेक और हाजिरी रजिस्टर बरामद हुआ है।
कॉल सेंटर की तलाशी के दौरान एक हाजिरी रजिस्टर भी मिला। उसे खंगालने के बाद सेंटर संचालकों के अलावा चार महिला कर्मचारी भी ट्रेस हुईं। सीओ का कहना है कि महिला कर्मचारी ठगी के धंधे में शामिल थीं या सिर्फ सैलरी बेस पर नौकरी कर रहीं थी, इसकी जांच की जा रही है। भूमिका मिलने पर इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
एक माह पहले सामने आया था ऐसा ही मामला
इससे पहले बीते माह 8 सितम्बर को गाजियाबाद आरडीसी में चल रहे ठगी के कॉल सेंटर का खुलासा करते हुए साइबर सेल और कविनगर पुलिस ने सरगना व उसके साथी जीजा-साले को गिरफ्तार किया था। आरोपी पॉलिसी व लोन दिलाने के नाम पर लोगों को झांसे में लेते थे और फर्जी पतों के खातों में रकम ट्रांसफर कराते थे। एक अनुमान के मुताबिक आरोपी ढाई माह में एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गयी थी। ठगी की सूचना पर पुलिस हापुड़ के बहादुरगढ़ निवासी जौनी, जिला मधुबनी बिहार निवासी हिमांशु शेखर और मोहल्ला कच्चन पूर्वा बांदा निवासी संदीप गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने जब उनके कॉल सेंटर पर छापा मारा तो वहां से 14 मोबाइल फोन, एक पासबुक, 5 डाटा पेपर शीट, 20 खाली पॉलिसी लैटर पैड, 6 एटीएम कार्ड, 2 आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, 6 चेक बुक, 10 पॉलिसी लैटर पैड, 85 विजिटिंग कार्ड बरामद हुए।
साइबर सेल के प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि आरोपी लोगों को फर्जी आईडी के सिम से फोन करते थे। वह खुद को लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी बनकर लोगों को पॉलिसी व लोन दिलाने का झांसा देते थे। जो लोग इनके झांसे में आ जाते, उनसे फर्जी पतों के खातों में रकम ट्रांसफर करा लेते थे। एक साथ कई लोगों को चूना लगाने के बाद वह मोबाइल बंद कर लेते थे, इससे उनकी लोकेशन मिलनी बंद हो जाती थी। आरोपियों ने पूछताछ में ढाई महीने के अंदर एक करोड़ से अधिक की ठगी की बात कबूल की है। बरामद पासबुक, एटीएम कार्ड के आधार पर आरोपियों के 13 बैंक खाते ट्रेस हुए हैं।
केवाइसी के नाम पर 50 करोड़ की ठगी
साइबर सेल ने पांच दिन पहले ही केवाइसी पूरी करने व क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाने के नाम पर एक हजार लोगों से करीब 50 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। ठगों ने दिल्ली के मवाना में काल सेंटर खोल रखा था। पुलिस ने वहां भी दबिश दी थी, लेकिन आरोपित फरार हो चुके थे। यहां से कई लोगों का डाटा मिला। इसके बाद पुलिस ने अलीगढ़ के बड़ागांव अकबरपुर निवासी राहुल कुमार व बहमती गांव निवासी पुष्पेंद्र को गिरफ्तार किया गया है। दोनों नामी कंपनियों में एजेंट हैं, जो ठगों को सिम चालू कर देते हैं। इन्हें ढाई हजार रुपये एक सिम के हिसाब से मिलते हैं। रुपये के लालच में आरोपित कई नंबर अपनी आइडी पर दे चुके हैं। गाजियाबाद में हुई दो लोगों से ठगी का पैसा जिन खातों में गया है, वे इन्हीं दोनों की आइडी पर जारी हुए नंबरों पर खोले गए हैं।
आरोपित सीरियल नंबर के आधार पर फोन करते थे और खुद को एसबीआइ से बताते थे। 100 में से एक व्यक्ति ठगों के चंगुल में फंस जाता था, जिसके फोन में क्विक सपोर्ट और एनीडेस्क रिमोट कंट्रोल एप डाउनलोड कराकर फोन हैक करते थे। इसके बाद डेबिट व क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन कर लेते थे। केवाइसी पूरी करने के नाम पर मसूरी के व्यक्ति 21 हजार रुपये और मोदीनगर के व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाने के नाम पर 63 हजार रुपये ठग लिए थे। इन रुपयों से तुरंत तीन मोबाइल भी खरीद लिए थे। ट्रांजेक्शन को ट्रेस कर पुलिस आरोपितों तक पहुंची।
डेबिट कार्ड क्लोन कर ठगी
करीबन एक माह पूर्व गाजियाबाद में एटीएम बूथों के बाहर खड़े होकर कम जानकार लोगों के साथ जालसाजी कर पैसा निकालने वाले तीन आरोपियों को इंदिरापुरम पुलिस गिरफ्तार किया गया था। आरोपी कृष्णा मंडल, संदीप, नाजिम सैफी सेक्टर 63 नोएडा के रहने वाले है। इंदिरापुरम एसएचओ संजय पांडेय ने बताया कि लगातार मिल रही एटीएम क्लोन और जालसाजी कर ठगी, ओटीपी आते ही पैसा निकलने की शिकायतों के बाद टीम गठित कर सर्च अभियान चालू किया गया था। आरोपियों की पड़ताल के लिए पूरे क्षेत्र में हर एटीएम के बाहर पैनी नजर रखी जा रही थी। इस दौरान एक वरना कार को कई बार कई लोकेशन में ट्रैक किया गया
जिसके बाद प्रह्लादगढ़ी में इस कार को रोककर चेकिंग की गई तो गैंग हत्थे चढ़ गया और तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकी। सख्ती से पूछताछ और तलाशी के दौरान 65 डेबिट कार्ड प्लेन, अलग-अलग बैंक के 30 डेबिट कार्ड, एक डेबिट कार्ड स्कैनर, एक लैपटॉप, 6500 रुपये नकद, एक वर्ना कार और अवैध हथियार बरामद किए गए हैं।
एसएचओ ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ की गई तो बताया कि निजी इंटरनैशनल सर्विस देने वाली कूरियर कंपनी के माध्यम से विदेशों से प्लेन एटीएम जैसी डिवाइस को मंगाते थे। जिनको स्कैनर के माध्यम से असली डेबिट कार्ड से कॉपी कर उसे तैयार कर लेते थे। जिसका पूरा डेटा लेपटॉप के माध्यम से निकाल लेते थे और जालसाजी का खेल चालू कर देते थे।
जॉब और फिर क्रिप्टोकरंसी में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी
गाजियाबाद में एक माह पहले ठगी का ऐसा मामला सामने आया, जिसमें जालसाजों ने अमेरिका के स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग के लिए जॉब व क्रिप्टोकरंसी में निवेश के नाम पर 240 लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए। पुलिस ने पीड़ित विनीत नागर की शिकायत पर विजयनगर थाने में स्क्यूकस कंपनी के डायरेक्टर गोरधन पटेल, कंपनी के मैनेजर नौबत सिंह, अकलेश जोशी और नीरज पटेल के खिलाफ केस दर्ज किया है।
पीड़ित विनीत ने लॉकडाउन में काम प्रभावित होने के बाद वह जॉब की तलाश में थे। इस दौरान उन्हें ट्विटर पर दोस्त के माध्यम से नील पटेल नाम के व्यक्ति का अकाउंट मिला और उनकी उससे बात भी हुई। उसने बताया कि वह अमेरिका के केंटकी में रहता है। उसने अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज की ट्रेडिंग साइट पर ट्रेनिंग के बाद जॉब देने और 50 हजार रुपये महीने सैलरी देने की बात कही।
कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद मई में उन्हें जॉब दी गई। इसमें उन्हें वाल्वस स्टॉक जिनियस नाम के एक ऐप के लॉगिन राइट दिए गए। उन्हें एक टेलीग्राम ग्रुप में भी जोड़ा गया, जिसमें 240 लोग थे। उन्होंने बताया कि उस ऐप पर अमेरिका की बड़ी-बड़ी कंपनियां लिस्टेड थीं। कंपनी कस्टमर से पैसा लेती थी और उस पैसे को उसके अकाउंट में डालने की बात कहती थी। कस्टमर को अपने अकाउंट में रुपये डॉलर में दिखते भी थे।
टेलीग्राम ग्रुप पर बीच-बीच में कंपनी की ओर से स्टॉक को खरीदने व बेचने की सलाह दी जाती थी। कस्टमर टिप्स के हिसाब से खरीद व बिक्री करते थे, लेकिन अकाउंट में दिखने वाले डॉलर को वह निकाल नहीं पाते थे। विनीत ने बताया कि ठगी का पता चलने के बाद जब उन्होंने चेक किया तो पता चला कि ट्रेडिंग भी हकीकत में नहीं होती थी। कंपनी ने ट्रेडिंग का फर्जी सिस्टम बना रखा था। उन्होंने बताया कि काम करने के 2 महीने बाद भी उन्हें एक भी रुपये नहीं मिले।
विनीत ने दिसंबर और जनवरी के बीच 5 हजार 68 डॉलर (3 लाख 70 हजार रुपये) क्रिप्टोकरंसी में निवेश कर दिए। ठगों ने उन्हें ऐप के माध्यम से कंपनी के अकाउंट में 10 हजार 800 डॉलर दिखाए भी लेकिन वह रुपये निकाल नहीं पाए। इसके बाद एक-एक करके आरोपियों ने अपने नंबर बंद कर लिए। उन्होंने बताया कि मथुरा, दिल्ली, हरियाणा व साउथ इंडिया के कुछ राज्यों में भी इन लोगों द्वारा ठगी के केस दर्ज हुए हैं।
जमीन दिलाने के नाम पर ठगी
जनपद में मसूरी में दो दिन पहले जमीन दिलाने के बहाने महाराष्ट्र के कारोबारी से 60 लाख की ठगी का मामला सामने आया था। पीड़ित का कहना है कि आरोपियों ने उनके साथ साझेदारी में जमीन खरीदी और मुनाफे से दिल्ली के दो लोगों को बेच भी दी। बाद में पता चला कि विक्रेता और खरीदार एक ही गैंग के हैं। जिन्होंने उन्हें 60 लाख की चपत लगा दी। मसूरी पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
ठगी के नए नए हथकंडे
साइबर ठगी के कारण तलाशने पर पुलिस के हाथ ठगी करने में अपनाए जाने वाले हथकंडे हाथ लगे हैं। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक साइबर ठगी करने वाले सबसे पहले फोन कर किसी स्कीम का लालच देकर मैसेज भेजते हैं। इसके बाद ओटीपी पूछकर, लिंक भेजकर, एनी डेस्क एप डाउनलोड करवाकर, या क्यूआर कोड स्कैन कराकर ठगी करते हैं। लकी ड्रा में नाम आने या अन्य लालच देकर एटीएम कोड पूछ लेते हैं। ऑनलाइन पेमेंट एप के माध्यम से भी जालसाज खाते की जानकारी लेकर नगदी उड़ा लेते हैं।
साइबर ठगी से कैसे बचें
. किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजी गई एप्लीकेशन या अन्य सामग्री का इस्तेमाल न करें।
. ऑनलाइन लेनदेन के समय लैपटॉप अथवा मोबाइल पर खुली हुई अन्य एप्लीकेशन को बंद कर दें।
. किसी भी ब्राउजर का उपयोग करने पर रिमेंबर पासवर्ड ऑप्शन का चयन न करें।
. किसी अनजान की बातों में न आकर अपने विवेक से काम लें
. किसी प्रकार से किसी को भी पेमेंट करने से बचें।
. सोशल मीडिया पर डाली गई एप्लीकेशन को डाउनलॉड न करें।
. सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल फोन में सर्च करने पर आने वाले वाईफाई या ब्लूटूथ, सिग्नल को एक्सेप्ट न करें।
. अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
इस तरह के ठगों से भी रहें सतर्क
फेसबुक यूजर की आइडी को हैक करके ठग मैसेंजर पर पैसे की मांग करते हैं, ऐसे मैसेज के झांसे में न आएं।
बैंक अधिकारी बनकर ठग ग्राहकों से एटीएम से संबंधित सारी जानकारी लेते हैं, किसी भी व्यक्ति को एटीएम व बैंक संबंधित जानकारी न दें।
मोबाइल टावर लगाने का लालच देकर ठगी हो रही है, इनके झांसे में न आएं।
ओएलएक्स पर महंगा सामान सस्ते दामों पर बेचने का लालच दिया जा रहा है, ऐसे ठगी करने वालों के चंगुल में न फंसे।
विदेश से पार्सल आने और उसे कस्टम से छुड़वाने के नाम से भी ठगी की जाती है। ऐसे ठगों से बचें।
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