शिवपुरी। मध्यप्रदेश के शिवपुरी में किसानों के नाम पर फर्जी ऋण और अमानतदारों की राशि में करोड़ों रुपये का गबन करने के मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला सहकारी बैंक के 14 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। वहीं, गबन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की संपत्ति को भी बैंक ने सीज कर लिया है। शाखा के कैशियर और घोटाले के मास्टरमाइंड राकेश पराशर, दो प्रबंधक सहित 3 पर एफआईआर हो चुकी है। इसके बाद से फरारी के चलते तीनों पर दो-दो हजार का इनाम भी घोषित है। इस बड़े घोटाले में सबसे बड़ी भूमिका कैशियर राकेश पराशर की है। पराशर इसी बैंक में चपरासी था, उसे कैशियर का चार्ज दिया गया था।
शिवपुरी जिला सहकारी बैंक में गबन का मामला सामने आने पर सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने 13 सदस्यीय समिति बनाकर जांच कराई थी। इसमें गड़बड़ी के सभी पहलूओं और उससे जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका की जांच कराई गई थी। समिति ने एक माह में जांच करके प्रतिवेदन दिया।
इसके आधार पर बैंक में वर्ष 2006 से 2020 तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी पद पर रहे चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। जांच दल ने इन सभी अधिकारियों को कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही और उपेक्षापूर्ण कार्यप्रणाली से बैंक में गबन और घोटाला होने के लिए जिम्मेदार माना है। वहीं, शिवपुरी बैंक के प्रबंधक, लेखापाल और लिपिक संवर्ग के 10 कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। इसके आधार पर इन्हें भी निलंबित कर दिया है। साथ ही गबन करने वालों की संपत्ति को भी बैंक द्वारा सीज कर लिया गया है। डॉ.भदौरिया ने बताया कि भ्रष्टाचार के मामले में सरकार की नीति बिल्कुल स्पष्ट है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड चपरासी से कैशियर बना राकेश पराशर है। इसे पकड़ना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह परिवार के साथ घर से गायब है। इसकी गिरफ्तारी के बाद ही बहुचर्चित घोटाले की परतें और राज खुलेंगे। राकेश पराशर फरार है, इसकी वजह से पुलिसिया जांच अटकी हुई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह किसी दूसरे राज्य में छिपकर रह रहा है। शिवपुरी एसपी राजेश सिंह चंदेल ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दो-दो हजार रुपये के इनाम की घोषणा की है।
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