आज की पॉजिटिव खबर:जयपुर की जागृति पिता के साथ मिलकर बना रहीं गाय के गोबर से हैंडमेड डायरी और कैलेंडर, सालाना 1 करोड़ टर्नओवर, विदेशों में भी मार्केटिंग

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क्या आपने गाय के गोबर से बने हैंडमेड पेपर, बुक्स, डायरी, कैलेंडर, मास्क और ग्रीटिंग कार्ड जैसी चीजें देखी हैं? शायद नहीं। बहुत कम लोग ही होंगे जिन्होंने इस तरह के प्रोडक्ट के बारे में सुना भी होगा। ज्यादातर लोगों को हैरानी भी होगी और यकीनन यह जानने में दिलचस्पी भी कि गोबर से इतने सारे प्रोडक्ट कैसे बनते हैं…? तो चलिए आज हम आपको एक ऐसी पिता-पुत्री की जोड़ी से मिलवाते हैं, जो अपनी अनोखी पहल से पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।

जयपुर में रहने वाले भीम राज शर्मा और उनकी बेटी जागृति शर्मा पिछले चार साल से गोबर से अलग-अलग वैराइटी के प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। फिलहाल उनके पास 70 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं। जिसकी मार्केटिंग वे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी कर रहे हैं। पिछले साल उनकी कंपनी का टर्नओवर एक करोड़ रुपए से ज्यादा रहा था।

50 साल के भीम राज प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं। पिछले 20 साल से वे जयपुर में प्रिंटिंग का काम कर रहे हैं। जबकि 24 साल की जागृति ने विजुअल आर्ट में बैचलर्स की पढ़ाई की है।

गोबर को आमदनी का जरिया बनाना था, इंटरनेट से तलाशा आइडिया

इस आइडिया को लेकर भीम राज बताते हैं कि बचपन से ही हमारा गाय से लगाव रहा है। हम लोग गाय पालते आ रहे हैं। कुछ साल पहले मैंने अपनी बेटी के साथ पंचगव्य में डिप्लोमा कोर्स किया। तब हमें गाय के बारे में और अधिक जानकारी हो गई और हमारी आस्था भी बढ़ गई। इसके बाद से मैं अक्सर सोचता रहता था कि आखिर क्या किया जाए जिससे सड़कों पर गायों की मौत नहीं हो, लोग बूढ़ी और बिन दूध वाली गायों को सिर्फ दया की चीज नहीं समझें बल्कि वे उनके लिए उपयोगी और आमदनी का जरिया भी हों।

भीम राज कहते हैं कि गाय का गोबर ही वह चीज है जो उसके साथ हमेशा रहता है। चाहे वह दूध दे या न दे या कितनी भी बूढ़ी क्यों न हो जाए। ऐसे में हमें गोबर को ही आमदनी का जरिया बनाना होगा, लेकिन कैसे ये हम तय नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच जागृति ने इंटरनेट से जानकारी जुटाने के बाद यह आइडिया दिया कि गोबर से हम हैंडमेड पेपर बना सकते हैं।

दोस्त की मदद से तैयार किए हैंडमेड पेपर और किताबें

भीम राज बताते हैं कि मेरा एक दोस्त ईकोफ्रेंडली हैंडमेड पेपर बनाता था। मैंने उससे अपना आइडिया साझा किया और उसके साथ काम करना शुरू किया। लगातार रिसर्च और ट्रायल के बाद हमारा प्रयोग सफल रहा और हमारा फॉर्मूला भी डेवलप हो गया। इसके बाद हमने एक के बाद एक कई एक्सपेरिमेंट किए और गोबर से अलग-अलग तरह की वैराइटी तैयार करने लगे। वे कहते हैं कि हमारा आइडिया नया था और प्रोडक्ट यूनीक था। इसलिए शुरुआती दिनों में ही हमें लोगों से बेहतर रिस्पॉन्स मिलने लगा।

इसके बाद हमने 2017 में गौकृति नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की और नए-नए प्रोडक्ट तैयार करने लगे। फिलहाल हमारे पास पेपर, डायरी, किताब, कैलेंडर, ग्रीटिंग कार्ड, राखी, मास्क सहित 70 से ज्यादा वैराइटी के प्रोडक्ट हैं। ये सभी पूरी तरह ऑर्गेनिक और ईकोफ्रेंडली हैं। इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंकने की जरूरत नहीं होती। इन्हें सीधे खाद के रूप में खेतों में या किचन गार्डन में डाला जा सकता है। कोविड के दौरान उन्होंने गोबर से बने मास्क बड़े लेवल पर मुफ्त में बांटे हैं।

कहां से लाते हैं गोबर, कैसे तैयार करते हैं प्रोडक्ट?

भीम राज कहते हैं कि हमने जयपुर के कुछ लोगों के साथ मिलकर एक गोशाला खोली है। जिसमें हजारों गायें हैं। इसमें कुछ हिस्सा मेरा भी है। यहीं से मैं गोबर कलेक्ट करता हूं। काम के प्रोसेस को लेकर जागृति बताती हैं कि हैंडमेड पेपर तैयार करने के लिए सबसे पहले हम ताजा गोबर कलेक्ट करते हैं। ताकि उसमें किसी तरह के कीड़े नहीं लगें। इसके बाद गोबर में प्योर कॉटन वेस्ट को अच्छी तरह मिक्स कर लेते हैं। इसमें करीब 40 से 50% तक गोबर होता है। इसके लिए ऊपर से पानी की जरूरत नहीं होती है।

इसके बाद इसकी प्रोसेसिंग और ग्राइंडिंग करके एक लिक्विड तैयार करते हैं। फिर उस लिक्विड को हम एक फ्रेम पर अच्छी तरह से फैलाते हैं और उसे सूखने के लिए छोड़ देते हैं। 24 घंटे में वह अच्छी तरह सूख जाता है। इसके बाद मशीन की मदद से प्रोसेसिंग करके इससे पेपर तैयार किया जाता है। इसी तरह बाकी के प्रोडक्ट भी बनते हैं। कलर करने के लिए हम हल्दी और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें किसी तरह का केमिकल नहीं मिलाते हैं। हर दिन करीब 2 हजार शीट पेपर हम तैयार करते हैं।

जिन महिलाओं के पास कोई काम नहीं था, आज वे अच्छी कमाई कर रही हैं

प्रोडक्ट की डिजाइनिंग और क्रिएटिविटी का काम जागृति करती हैं। वे हर दिन कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करती रहती हैं। जबकि प्रोडक्शन का दारोमदार भीम राज के कंधों पर होता है। 30 सेज्यादा लोग उनकी टीम में काम करते हैं। जो प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक का काम देखते हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। ये वे महिलाएं हैं, जिनके पास रोजगार का कोई जरिया नहीं था। इस काम से उन्हें ठीक-ठाक आमदनी हो जाती है।

मार्केटिंग को लेकर भीम राज बताते हैं कि फिलहाल हम लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मोड में मार्केटिंग कर रहे हैं। कई शहरों में हमारे डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं। जो हमसे प्रोडक्ट खरीदकर दूसरे लोगों को बेचते हैं। इसके साथ ही अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी हमारे प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। कई लोग सोशल मीडिया के जरिए भी ऑर्डर करते हैं। हाल के दिनों में हमने भारत के बाहर अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों में अपने प्रोडक्ट भेजे हैं। जल्द ही हम अपनी वेबसाइट भी लॉन्च करने वाले हैं।

साभार : दैनिक भास्कर

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