पढ़िये ऑपइंडिया की ये खास खबर….
दो दिवसीय दौरे पर जम्मू पहुँचे कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी ने शुक्रवार (सितंबर 10, 2021) को कहा कि जब वे जम्मू-कश्मीर आते हैं तो उन्हें लगता है कि वो अपने घर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार का जम्मू-कश्मीर से पुराना रिश्ता है।
इस सरकार ने जम्मू-कश्मीर के भाईचारे पर किया आक्रमण
राहुल गाँधी ने कहा, “मैं एक महीने में दो बार जम्मू-कश्मीर आया हूँ और जल्द ही लद्दाख भी जाना चाहता हूँ। मैंने श्रीनगर में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में आते ही मुझे लगता है कि मैं घर आया हूँ। ये प्रदेश (यूटी) पहले राज्य था, इसका मेरे परिवार से पुराना रिश्ता है। यहाँ आकार मुझे बहुत खुशी होती है। लेकिन दुख इस बात का है कि जो आपकी संस्कृति है, उसे भाजपा और आरएसएस तोड़ने का काम कर रही है। इस सरकार ने जम्मू-कश्मीर के भाईचारे पर आक्रमण किया है।”
घट गई है लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की ताकत
राहुल गाँधी ने कहा कि माता वैष्णो देवी के धाम में दुर्गा जी, लक्ष्मी जी और सरस्वती जी विराजमान हैं। दुर्गा वो शक्ति हैं जो रक्षा करती हैं। लक्ष्मी जी लक्ष्य को पूरा करती हैं और सरस्वती जी ज्ञान देती हैं। ये तीनों शक्तियाँ जब घर और देश में होती हैं तो तरक्की होती है। जीएसटी, नोटबंदी और किसानों के लिए लाए गए कानूनों से भारत में माता लक्ष्मी की शक्ति घटी है। हिंदुस्तान के हर संस्थान में आरएसएस के लोग बैठाए गए हैं, जिससे माता सरस्वती की शक्ति घटी है।
मैं और मेरा परिवार कश्मीरी पंडित, अपने भाइयों की हम मदद करेंगे
राहुल गाँधी ने कहा, “आज मैंने अपने कश्मीरी पंडित भाइयों से बात की। उन्होंने बताया कि भाजपा ने हम लोगों से केवल छलावा किया है। मैं अपने कश्मीरी पंडित भाइयों को विश्वास दिलाता हूँ कि हम आपकी मदद करेंगे। मैं भी कश्मीरी पंडित हूँ, मेरा परिवार भी कश्मीरी पंडित है।”
राहुल गाँधी के इस संबोधन के बाद सोशल मीडिया पर लोग उनकी जमकर क्लास ले रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं इससे पहले यही कॉन्ग्रेस और कभी खुद राहुल गाँधी ने जोर देकर अपनी पहचान ‘जनेऊधारी ब्राह्मण’, तो कभी ‘दत्तात्रेय गोत्र वाले ब्राह्मण’ बताई थी लेकिन अब ‘कश्मीरी पंडित’ पर जोर है।
सोशल मीडिया यूजर अमर्त्य भारद्वाज ने ट्वीट करते हुए पूछा, “जब कश्मीरी पंडित भगाए गए थे, तब कहाँ थी कॉन्ग्रेस।”
रवींद्र कुमार गुप्ता ने लिखा, “1990 के बाद से जब सत्ता में थे, तब कश्मीरी ब्राम्हण कभी याद नहीं आए। “घड़ियाली आँसू”
विपिन प्रधान लिखते हैं, “जब कश्मीरी पंडित अपने घर से बेघर हुए उनका कत्लेआम हो रहा था लाखों की तादाद में घर छोड़ कर भागे थे। तब कहाँ थे ये महाशय। ये तो एयर कंडीशन घर में बैठे सत्ता का सुख भोग रहे थे। ये महाशय बहुत दोगले और सत्ता के भूखे हैं। देश के जनता को अब मगरमच्छ के आँसू से नही बहका सकते।”
एक यूजर ने लिखा, “नौटंकी बंद करिए ..कश्मीरी पंडितों की इस दुर्दशा के ज़िम्मेदार भी आपका परिवार/पार्टी है।”
निर्भय सिंह ने सवाल दागते हुए पूछा, “%&ये जब 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को भगाया जा रहा था तब पप्पू की अम्मी और अब्बू क्या कर रहे थे?”
गौरव गुप्ता ने लिखा, “अरे कुछ तो शर्म कर दोगले इंसान, तुम्हारी सरकार के राज़ मे कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ना पड़ा! महिलाओं और लड़कियों के साथ क्या हुआ वो सब जानते है! अगर तुम कहते हो तुम कश्मीर पंडित हो तो बताओ, 1990 मे कहाँ थे तुम?”
आशीष कुमार शर्मा लिखते हैं, “परिवर्तन की लहर तो है, अभी तक जो महबूबा मुफ्ती, फारूख अब्दुल्ला, जिलानी से मिलते थे अब कश्मीरी पंडितों से मिलने लगे। मोदी जी सही जा रहे हो।”
आशु चौहान ने लिखा, “अरे वाह! कश्मीरी पंडितों को नरसंहार कराकर उनका बलात धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें कश्मीर से बेघर करके अब उनका हमदर्द बन रहे हो.. बेशर्मी की भी हद पार कर दी पप्पू ने तो..”
अखिलेश कुमार ने लिखा, “जिसका खून में ही मिलावट हो वो क्या पंडितो को सहयोग करेगा।”
बता दें कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद राहुल का जम्मू संभाग का यह पहला दौरा है। पिछले एक महीने में जम्मू-कश्मीर के दौरे पर वे दूसरी बार आए हैं। इससे पहले वे नौ व 10 अगस्त को श्रीनगर आए थे, जहाँ उन्होंने पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया था। इससे पहले उन्होंने गुरुवार (सितंबर 9, 2021) को माँ वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी लगाई थी। जिस पर भड़कते हुए लोगों ने कहा था, “पहले जो सिर्फ मस्जिद-मजारों पर ही नजर आते थे उन्हें अब हर चुनाव से पहले हिंदूओं को रिझाने के लिए मंदिर-मंदिर घूमना पड़ रहा है। मोदी है तो मुमकिन है।”
साभार-ऑपइंडिया।
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