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कोरोना पीड़ित मरीज 28 अप्रैल को दक्षिण दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती हुआ था और छह सितंबर को छुट्टी दी गई। इतने लंबे समय तक कोरोना मरीज के भर्ती रहने का यह दिल्ली-एनसीआर का पहला मामला है।
नई दिल्ली। दक्षिण दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल ने एक कोरोना मरीज का इलाज करने के बाद उसे एक करोड़ 80 लाख रुपये का बिल थमाने का मामला सामने आया है। मरीज विगत 28 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुआ था और उसके बाद से निरंतर उपचाराधीन था। छह सितंबर को उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई है। हालांकि अस्पताल का कहना है कि मरीज 75 दिन तक एक्मो सपोर्ट पर रहा और हमने मरीज के परिजनों को इलाज के खर्च के बारे में पहले ही बता दिया था। इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) विधायक सोमनाथ भारती ने ट्वीट कर अस्पताल के खिलाफ जांच की मांग करते हुए दिल्ली सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की है।
विधायक सोमनाथ भारती ने बताया कि उनके पास कुछ दिन पहले एक महिला आई थी जिनके पति कोरोना संक्रमित होने के बाद 28 अप्रैल को साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती हुए थे। उस दौरान दूसरी लहर के चलते अस्पतालों में बिस्तर पाना भी काफी मुश्किल था। उन्होंने बताया कि महिला ने जब एक करोड़ 80 लाख रुपये का बिल उन्हें दिखाया तो वे दंग रह गए। जब उन्होंने इस बारे में अस्पताल प्रबंधन से बात की तो पता चला कि अस्पताल ने मरीज को कई दिन तक एक्मो थैरेपी दी थी। इसके बाद विधायक भारती ने ट्वीट कर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ विरोध जताते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। इससे यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गया है। विधायक ने कहा कि सरकार को तत्काल मरीज के बिल का आडिट कराना चाहिए। साथ ही यह भी देखना होगा कि कोविड-19 के तहत सरकार ने जो मूल्य निर्धारण किया था उसका सही पालन हुआ या नहीं। आइसीयू से लेकर वेंटिलेटर तक के अधिकतम शुल्क सरकार ने निर्धारित किए थे।
अस्पताल ने 75 दिन तक मरीज को दिया एक्मो
मैक्स अस्पताल साकेत का कहना है कि 51 वर्षीय मरीज गंभीर रुप से बीमार थे। उन्हें 28 अप्रैल को आपातकालीन वार्ड में लाया गया। साथ ही 10 मई से लगभग 75 दिन तक एक्मो थैरेपी दी गई। उन्हें मधुमेह, रक्तचाप सहित कई बीमारियां थीं। 23 जुलाई को एक्मो हटाने के बाद भी मरीज 16 अगस्त तक आइसीयू में रहा। अस्पताल में चार महीने 15 दिन रहने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई। अस्पताल ने कहा कि एक्मो अत्याधुनिक तकनीक है जो कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है। मरीज और उनके परिजन उपचार को लेकर संतुष्ट थे और उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई, जबकि विधायक सोमनाथ भारती का कहना है कि परिजन काफी डरे हुए हैं इसलिए वह कुछ भी कहने से घबरा रहे हैं।
वहीं, मामले को लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख माडविया से को पत्र लिखकर शिकायत की है। साथ ही मामले में अस्पताल प्रबंधन से जवाब तलब करते हुए स्वतंत्र जांच समिति गठित कर सख्त कार्रवाई की मांग भी की
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ से भी दिल्ली से मिलता जुलता मामला सामने आ चुका है, जिसमें महिला को 100 दिनों तक अस्ताल में भर्ती रहना पड़ा था। बताया जा रहा है कि आक्सीजन के स्तर में लगातार गिरावट ने 45 वर्षीया इस महिला के स्वास्थ्य के लिए मुश्किलें पैदा कर दीं थीं। कोरोना पीड़ित महिला को मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। कोविड संक्रमण की पुष्टि की बाद महिला की हालत गंभीर हो रही थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। 21 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जुलाई महीने में इस महिला को अस्पताल से छुट्टी मिली थी। साभार-दैनिक जागरण
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