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Delhi Meerut Rapid Rail देश के पहली रीजनल रैपिड रेल के कारिडोर का निर्माण कार्य रफ्तार पकड़ रहा है। यह पहली बार है कि किसी परियोजना में 16 लांचिंग जेंटरी एक साथ कार्य कर रही हैं। इससे आरआरटीएस वायाडक्ट का निर्माण तेजी से संभव हो पाया है।
नई दिल्ली/गाजियाबाद। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रूट पर देश की पहली रीजनल रैपिड रेल के कारिडोर का निर्माण कार्य रफ्तार पकड़ रहा है। इंजीनियर और श्रमिक इसे तय समय सीमा के भीतर पूरा करने के लिए अलग-अलग शिफ्ट में दिन रात काम कर रहे हैं। खास बात यह कि न तो इस दौरान वायु प्रदूषण बढ़ने दिया जा रहा है और न ही कहीं यातायात अवरूद्ध करने की नौबत आने दी जा रही है।
एनसीआर परिवहन निगम के मुताबिक अब तक 40 किलोमीटर कारिडोर का फाउंडेशन कार्य पूरा हो चुका है। 900 से अधिक पिलर बनाए जा चुके हैं और नौ किलोमीटर से अधिक का वायाडक्ट तैयार किया जा चुका है। इतने निर्माण कार्य में अभी तक 2.65 लाख मीटिक टन सीमेंट और 1.2 लाख मीटिक टन स्टील का उपयोग किया जा चुका है। 1100 से भी अधिक इंजीनियर और करीब दस हजार कामगार दिन रात विभिन्न साइट पर कार्य कर रहे हैं।
न फैले प्रदूषण, रखा जा रहा खास ख्याल
एनसीआर परिवहन निगम इस बात का भी ख्याल रख रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान आस पास के क्षेत्रों में लोगो को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। आरआरटीएस निर्माण कार्य के लिए 10 कास्टिंग यार्ड स्थापित किए हैं, जो दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के विभिन्न भागों में स्थापित है। यहां बड़े स्तर पर सीमेंट, रेत और अन्य कच्चे माल का इस्तेमाल होता है और इनकी मदद से कारिडोर की विभिन्न प्री-कास्ट सरंचनाओं का निर्माण किया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाता है कि इससे किसी भी तरह का प्रदूषण न फैले। निर्माण सामग्री को ग्रीन नेट से ढक कर रखा जाता है। सड़कों पर नियमित रूप से एंटी स्माग गन का प्रयोग किया जाता है। आम लोगो को कोई असुविधा ना हो इसके लिए भारी कार्य रात के समय में किए जाते हैं।
बड़े ट्रक और ट्रेलर सड़क पर किसी प्रकार की गंदगी न फैलाएं, इसके लिए कास्टिंग यार्ड में हाइ प्रेशर वाटर पम्प स्थापित किए गए हैं। इनका मुख्य काम पानी के तेज प्रेशर से ट्रक के टायर और उनमे लगी मिट्टी की अच्छे से धुलाई करना है, जिससे मिट्टी, सीमेंट व अन्य सामग्री रास्ते और सड़क पर ना फैले।
16 लांचिंग जेंटरी एक साथ कर रही हैं काम
पहली बार है कि किसी परियोजना में 16 लांचिंग जेंटरी एक साथ कार्य कर रही हैं। इससे आरआरटीएस वायाडक्ट का निर्माण तेजी से संभव हो पाया है। एनसीआर परिवहन निगम ने शुरू से ही कई नई तकनीक अपनाई, जिसमें बिल्डिंग इन्फार्मेशन माडलिंग, कान्टीन्यूयस आपरेटिंग रेफ्रेंस स्टेशन, कामन डाटा एन्वायरनमेंट साफ्टवेयर प्रमुख हैं। कुछ अपनी तकनीक विकसित की गई हैं, जैसे स्पीड, जिसने कोरोना काल में भी परियोजना की गति कम नहीं होने दी। साभार-दैनिक जागरण
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