नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) ने हैदराबाद की दवा कंपनी बायोलाजिकल ई लिमिटेड को कुछ शर्तों के साथ अपनी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन का पांच से 18 वर्ष की आयु के बच्चों पर दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण को मंजूरी दे दी ही। सूत्रों के मुताबिक बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की वैक्सीन ‘कार्बेवैक्स’ का क्लीनिकल परीक्षण देश में 10 स्थानों पर किया जाएगा। टीके का दूसरे/तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण का उद्देश्य बच्चों और किशोरों में इसकी सुरक्षा और प्रभाव के अलावा यह पता लगाना है कि यह कितनी मात्रा में एंटीबाडी विकसित करता है। उम्‍मीद जताई जा रही है कि यह टीका अक्‍टूबर तक आ सकता है।

दिसंबर तक 30 करोड़ टीके की आपूर्ति करेगी कंपनी

नीति आयोग के सदस्‍य डा वीके पाल ने बताया कि बायोलॉजिकल ई के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। हमें रिजल्‍ट की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि यह अगले महीने या दो महीने में रिजल्‍ट आ जाएगा। उन्होंने व्यापक प्रतिबद्धता की है कि वे साल के अंत तक एक बड़ी संख्‍या में टीके की आपूर्ति करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जून में घोषणा की थी कि बायोलाजिकल ई लिमिटेड दिसंबर तक भारत को कार्बेवैक्स की 30 करोड़ खुराक की आपूर्ति करेगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 30 करोड़ टीकों के लिए बायोलॉजिकल ई को 1,500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया है।

जाइडस कैडिला के टीके को मिल चुकी है मंजूरी

डीसीजीआइ की ओर से टीके के क्लीनिकल परीक्षण की अनुमति कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिशों के आधार पर दी गई।अब तक डीसीजीआइ की ओर से देश में विकसित किए गए जाइडस कैडिला के टीके जाइकोव-डी के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी प्रदान की गई है जो देश में 12 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों के लिए उपलब्ध होने वाला यह पहला कोविड-19 रोधी टीका बन गया है। साभार-दैनिक जागरण

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