साहिल को मारने वालों में परवेज भी, भीम आर्मी ने RSS को बदनाम करने के लिए फैलाया झूठ: UP पुलिस ने ऐसे खोली पोल

पढ़िये ऑपइंडिया की ये खास खबर….

पूरे दावे की पोल उस समय खुली जब यूपी पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लिया और भीम आर्मी नेता के दावे का फैक्ट चेक किया। मुरादाबाद पुलिस ने कन्फर्म किया कि ये वीडियो हरियाणा के यमुना नगर की है और उनके अधिकार क्षेत्र में ये मामला नहीं आता।

31 अगस्त को ट्विटर पर भीम आर्मी भारत एकता मिशन के दिल्ली जिलाध्यक्ष और आईटी सेल व सोशल मीडिया इन्चार्ज शिव चावला एएसपी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए आरएसएस पर निशाना साधा। इस वीडियो में कुछ लोगों की भीड़ एक युवक को रॉड और लाठी से मारती नजर आ रही थी। चावला ने दावा किया कि ‘आरएसएस के गुंडे’ युवक को अंधाधुंध इसलिए मार रहे हैं क्योंकि वो ‘जय श्रीराम’ नहीं बोल रहा।

उन्होंने ये भी दावा किया कि ये पूरा मामला मुरादाबाद पुलिस थाने के नजदीक पुलिस बूथ के सामने घटित हुआ। उन्होंने यूपी पुलिस और डीजीपी को टैग करते हुए ‘आरएसएस गुंडों’ के ख़िलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की।

हालाँकि, पूरे दावे की पोल उस समय खुली जब यूपी पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लिया और भीम आर्मी नेता के दावे का फैक्ट चेक किया। मुरादाबाद पुलिस ने कन्फर्म किया कि ये वीडियो हरियाणा के यमुना नगर की है और उनके अधिकार क्षेत्र में ये मामला नहीं आता।

उन्होंने भीम आर्मी को अपने ट्वीट से यह भी बताया कि तथ्यों को गलत ढंग से प्रसारित किए जाने के मामले में उनके विरुद्ध आवश्यक विधिक कार्रवाई निर्देशित की गई है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने आधिकारिक फैक्ट चेक ट्विटर अकॉउंट पर इस पूरी खबर का फैक्ट चेक किया। उन्होंने दैनिक जागरण की रिपोर्ट शेयर करते हुए कहा कि ये वीडियो यूपी पुलिस से जुड़ी हुई नहीं है बल्कि यमुनानगर के थाना हमीदा की है।

दावा

उल्लेखनीय है कि यह वीडियो जिसमें कुछ युवक रॉड और छड़ी से एक युवक को पीटते दिख रहे हैं, उसे वॉट्सएप पर शेयर किया जा रहा है। इसके साथ शेयर मैसेज में लिखा है, “हरियाणा में मेवात की ये घटना है, जहाँ बजरंग दल के कुछ लड़के एक मुस्लिम लड़के की पिटाई कर रहे हैं, क्या कोई जबरदस्ती ‘जय श्रीराम’ कहकर हिंदू बन सकता है या कोई जबरदस्ती ‘अल्लाह-हू- अकबर’ कह कर मुसलमान बन सकता है, आइए हम अपने देश को हिन्दू राष्ट्र गुंडा राज बनने से रोकें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को संस्कार दें।”

व्हाट्सएप के संदेश में देखें तो उसमें लिखा है कि इस संदेश को कई बार शेयर किया गया है।

फैक्ट चेक

जागरण द्वारा 18 अगस्त को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, घटना 12 अगस्त को हुई थी। पीड़ित की पहचान साहिल अल्वी के रूप में की गई थी, जिसे हरियाणा के यमुनानगर जिले में युवकों के एक समूह ने पीटा था और उस समय हरियाणा पुलिस ने भी आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

उसी दिन ज़ी न्यूज़ जैसे मीडिया हाउस ने भी इस खबर को कवर किया था। उस समय रिपोर्ट्स में बताया गया था कि युवक को उस समय घेरा गया था जब वह 12 अगस्त को 4 अन्य लोगों के साथ अदालत की सुनवाई से लौट रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच अनबन कई साल पुरानी है। साहिल पर हमला करने वाले पुरुषों का समूह किसी विशेष धर्म से संबंधित नहीं था, जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है।

साहिल के चाचा आमिर ने भी इस मामले में सांप्रदायिक कोण का खंडन किया था। उन्होंने यह भी पुष्टि की थी कि एक समय था जब हमलावरों में से एक और साहिल दोस्त थे। साहिल ने भी इस दावे का खंडन किया था कि घटना सांप्रदायिक रूप से प्रेरित थी। उन्होंने कहा, “हमलावरों में एक मुस्लिम व्यक्ति भी शामिल है। उसका नाम परवेज था।”

हमीदा पुलिस स्टेशन के एसएचओ और यमुनानगर के एसपी कमलदीप ने भी सोशल मीडिया के इस दावे का खंडन किया था कि घटना में बजरंग दल शामिल था। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि घटना सांप्रदायिक नहीं थी। हरियाणा पुलिस ने तब एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया था और बाकी की तलाश कर रही थी।

कुल मिला कर कहें तो सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर घटना संबंधी जानकारी होने के बावजूद भीम आर्मी नेता ने पुरानी वीडियो शेयर करके झूठ फैलाया और अपराध की एक कहानी को दुर्भावनापूर्ण रूप से फैलाने के लिए इस्तेमाल किया, बिलकुल वैसे जैसे अक्सर लिबरल और इस्लामवादी करते हैं।

इससे पहले हमने आपको उन 20 घटनाओं की जानकारी दी थी जब जय श्रीराम नारे का इस्तेमाल एक सामान्य अपराध घटना को हेट क्राइम में बदलने के लिए किया गया।

साभार-ऑपइंडिया

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