ब्रेस्‍ट कैंसर के लक्षण को कैसे पहचानें? डॉक्‍टर से जानिए इससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी

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जब महिलाओं के ब्रेस्‍ट के सेल्‍स में कैंसर होता है तो उसे ही ब्रेस्‍ट कैंसर कहते हैं। पहले भारतीय महिलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर के मामले कम आते थे, लेकिन अब इसमें लगातार तेजी देखने को मिल रही है। जानकार का कहना है इस बीमारी को कम जागरुकता की वजह से भी यह तेजी से फैल रहा है। भारत में ब्रेस्‍ट कैंसर के मामले 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि 2025 तक हमारे देश में ब्रेस्‍ट कैंसर के 16 लाख मामले होंगे। इसमें से ज्‍यादातर मामले 30 से 40 साल की महिलाओं में देखने को मिलते हैं। टीवी9 हिंदी ने आर्टेमिस हॉस्पिटल के डॉक्‍टर दीपक झा, सीनियर कंसल्‍टेंट व क्लिनिकल हेड, ब्रेस्‍ट सर्जरी से बातचतीत की।

सवाल: आखिर शहरों में क्‍यों ब्रेस्‍ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं?

जवाब: ग्रामीण इलाकों की तुलना में देखें तो शहरों में ब्रेस्‍ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देखा जाए तो केवल मामले ही नहीं बढ़ रहे हैं, बल्कि जिस उम्र में इस तरह के कैंसर देखे जाते हैं, वो भी अब कम होता जा रहा है। इसका सही कारण तो अभी भी नहीं पता है, लेकिन शायदा जो गांव के अंदर महिलाओं की फिजिकल एक्टिव‍िटी ज्‍यादा होती है। इस तुलना में देखें तो शहरों में तनावपूर्ण जीवन होता है, अल्‍कोहल और स्‍मोकिंग का इस्‍तेमाल सबसे ज्‍यादा होता है। शहरों में प्रदूषण भी ज्‍यादा है और शहरों मोटापा की समस्‍या थोड़ी ज्‍यादा है।

सवाल: क्‍या होती है ब्रेस्‍ट कैंसर की वजह और क्‍या किसी प्रकार से इस तरह के खतरे से बचा जा सकता है?

जवाब: अगर पूछा जा रहा है कि क्‍या हम पूरी तरह से इससे बच सकते हैं तो इसका जवाब होगा की नहीं. अगर किसी ब्रेस्‍ट कैंसर होना है तो वो होगा। हां, अपने जीवन में कुछ बदलाव कर सतके हैं ताकि ब्रेस्‍ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सके। इसमें सबसे पहली बात है कि एक्‍सरसाइज ही है। ऐसा देखा गया जो म‍हिलाएं एक सप्‍ताह में कम से कम 150 मिनट एक्‍सरसाइज करती हैं, उनमें ब्रेस्‍ट कैंसर की समस्‍या कम होती है।

इसके अलावा भी बच्‍चों को दूध पिलाने का चलन कम होना भी एक कारण है। आजकल पहली प्रेंग्‍नेंसी में देरी होना भी ब्रेस्‍ट कैंसर का कारण बन सकता है। डायट से अल्‍कोहल और स्‍मोकिंग पर खास ध्‍यान दिया जाए, तेल या घी या तलाभुना खाने को कम करने पर भी बहुत हद तक ब्रेस्‍ट कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है।

सवाल: ब्रेस्‍ट कैंसर से बचने के लिए कौन-कौन से लक्षण हैं, जिसपर एक महिला को ध्‍यान देने की जरूरत?

जवाब: ब्रेस्‍ट कैंसर में कोई अलग से लक्षण नहीं होता है। इसीलिए कहा जाता है कि ब्रेस्‍ट में किसी भी तरह के बदलाव पर ध्‍यान देकर एक्‍सपर्ट से इसकी सलाह लिया जाए। आमतौर पर यह देखा जाता है कि ब्रेस्‍ट पर गांठ पर सबसे कॉमन लक्षण माना जाता है। कोई भी गांठ पहले नहीं थी या फिर कोई ऐसी गांठ जो पहले छोटी थी लेकिन अब वो जल्‍दी-जल्‍दी बढ़ना शुरू हो गई है तो इसे लेकर सावधान हो जाना चाहिए।

सवाल: कोई महिला खुद से ही कैसे इसका पता लगा सकता है?

जवाब: यह एक बेहद महत्‍वपूर्ण पहलू है। हमलोग काफी दबाव देते हैं कि सालाना तौर पर होमोग्राफी की जाए। यह भी बहुत जरूरी है कि साल एक बार जांच हो ताकि हमें पता चल सके कि अंदर कोई गांठ नहीं बन रही है। लेकिन इसके अलावा हर महिला को सेल्‍फ एग्‍जामिनेशन करना चाहिए। इसका सबसे सही समय पीरियड के 10 दिन बाद होता है। इसमें एक बार लेटकर या खड़े होकर अपनी ऊंगलियों से दोनों साइड के ब्रेस्‍ट को अच्‍छे तरह से चेक करना होता है कि कहीं किसी तरह की गांठ तो नहीं बन रही है।

इसे रेगुलर करने पर कुछ गांठों को आप महसूस कर पाएंगी और इसे लेकर एक्‍सपर्ट की राय ले सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फायद होता है कि ब्रेस्‍ट कैंसर को बहुत जल्‍दी पकड़ा जा सकता है। इसके इलाज पर समय, खर्च और अन्‍य तरह की परेशानियां भी कम होती हैं और ब्रेस्‍ट भी पूरी तरह से हटाने की जरूरत नहीं होती है।

सवाल: ब्रेस्‍ट कैंसर के कितने स्‍टेज होते हैं?

जवाब: अधिकतर कैंसर की तरह ही ब्रेस्‍ट कैंसर की भी चार स्‍टेज होती हैं। पहले और दूसरे स्‍टेज को हम शुरुआत ब्रेस्‍ट कैंसर मानते हैं। इस स्‍टेज में सिर्फ ब्रेस्‍ट के अंदर छोटी गांठ बनी होती है या फिर ज्‍यादा से ज्‍यादा बगल के अंदर कोई एक छोटी सी गांठ होती है। तीसरे स्‍टेज को लोकली एडवांस यानी थोड़ी सी बड़ी बीमारी मानते हैं। इस स्थिति में गांठ की साइज 5 सेंटीमीटर से ज्‍यादा बड़ी होती है कि या कई तरह गांठे होती हैं। चौथे स्‍टेज में कैंसर ब्रेस्‍ट से निकलकर शरीर के बाकी हिस्‍सों में फैल चुका होता है।

स्‍टेज 1, 2 और 3 में हम कैंसर को ठीक कर सकते है. स्‍टेज 1 और 2 में हम 90 फीसदी से भी ज्‍यादा चांस होता है कि कैंसर ठीक हो जाएगा और फिर दोबारा नहीं आएगा। चौथे स्‍टेज में जब कैंसर शरीर के अन्‍य हिस्‍सों तक फैल चुका होता है, तब हमारी कोशिश होती है कि इस दवाइयों के द्वारा रोका जाए या उनकी स्‍पीड को धीमा कर दिया जाए ताकि मरीज को ज्‍यादा से ज्‍यादा समय दे सकें। सर्जरी की बात करें स्‍टेज 1, 2 और 3 में यह इलाज का एक हिस्‍सा है. इसमें कीमोथेरेपी और रेडिएशन भी आती है।

साभार- TV9 Hindi

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