Blood Cancer : क्या है स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, जो ब्लड कैंसर के मरीजों को देता है नया जीवन… यह कैसे काम करता है?

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ग्लोबोकैन 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 1 लाख से ज्यादा लोगों में लिम्फोमा, ल्यूकेमिया और मल्टिपल माइलोमा जैसे ब्लड के किसी न किसी कैंसर से जूझते हैं। कैंसर का सीधा मतलब है, इंसान की स्वस्थ कोशिकाओं का खराब होते चला जाना। इसी तरह ब्लड कैंसर तब होता है, जब ब्लड बनाने के सिस्टम में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और सेहतमंद कोशिकाओं पर हावी हो जाती हैं।

भारतीयों को प्रभावित करने वाले ब्लड कैंसर में तीन सबसे आम हैं। पहला- लिम्फोमा, ब्लड कैंसर के उस समूह का नाम है जो लिम्फेटिक सिस्टम में विकसित होता है. हॉजकिन लिम्फोमा आम तौर से खून और बोन मैरो में होता है, जबकि नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा आम तौर से लिम्फ नोड और लिम्फेटिक टिश्यू में होता है। दूूसरा होता है- ल्यूकेमिया ब्लड कैंसर, जिसमें ब्लड की सामान्य कोशिकाएं बदल जाती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। और तीसरा होता है- मल्टिपल मायलोमा, जो बोन मैरो में तब शुरू होता है, जब प्लाज़्मा कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं।

ब्लड कैंसर के मरीजों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट

देश में ब्लड कैंसर के बारे में आम लोगों के बीच जागरूकता की कमी बड़ी चुनौती है। डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया के सीईओ पैट्रिक पॉल बताते हैं कि कुछ दशक पहले तक यह निदान जानलेवा होता था। लेकिन आज, ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से ब्लड कैंसर एवं अन्य खून की बीमारियों के मरीजों की जान बचाई जा सकती है। ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में मरीज की विकृत स्टेम सेल्स हटाकर स्वस्थ सेल्स डाली जाती हैं।

खराब सेल्स को हटाकर स्वस्थ सेल लगाना

ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में अस्वस्थ्य बोन मैरो सेल्स को हटाकर सेहतमंद सेल्स डाली जाती हैं। पॉल बताते हैं कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में प्रोटीन होते हैं, जिन्हें ह्यूमन ल्यूकोसाईट एंटीजन (एचएलए) कहते हैं, जो शरीर की एवं शरीर के बाहर से आई सेल्स के बीच में अंतर करते हैं। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट तभी सफल हो सकता है, जब डोनर का एचएलए टाइप मरीज के एचएलए टाइप के समान हो।

समान टिश्यू टाइप का डोनर तलाशना है चुनौती

अफसोस इस बात का है कि बहुत से मरीजों को इस प्रक्रिया का लाभ और सही इलाज नहीं मिल पाता है। कारण कि समान टिश्यू टाइप के डोनर को तलाशना आसान काम नहीं है। रिश्तेदारों में केवल 30 प्रतिशत मरीजों को ही मैचिंग मिल पाती है और बाकी 70 फीसदी मरीज, डोनर पर निर्भर होते हैं। पॉल बताते हैं कि समान परिवेश के लोगों के डोनर में परफेक्ट मैच मिलने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि भारतीय परिवेश के मरीजों को मैचिंग डोनर तलाशने में ज्यादा दिक्कत आती है क्योंकि भारतीय रजिस्ट्री में संभावित डोनर्स की कमी है।

कैसे काम करता है ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट?

18 से 50 साल की उम्र के बीच का कोई भी सेहतमंद व्यक्ति भारत में किसी भी स्टेम सेल रजिस्ट्री में संभावित ब्लड स्टेम सेल डोनर के रूप में रजिस्टर करा सकता है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बेहत आसान है। इसके लिए आपको स्टेम सेल रजिस्ट्री के ऑनलाईन पोर्टल द्वारा रजिस्टर करना होता है, जिसके बाद आपको एक डीआईवाई होम स्वैब किट मिलती है।

किट मिलने के बाद आपको अपने गाल के अंदर का स्वैब सैंपल लेना होता है, दिया गया अनुमति पत्र भरना होगा है और उसे रजिस्ट्री को लौटाना होता है। इसके बाद एक विशेष लैबोरेटरी आपके एचएलए (टिश्यू टाईप) का आंकलन करती है और आपका विवरण ब्लड स्टेम सेल डोनर्स की ग्लोबल सर्च में आ जाता है। हालांकि किसी जरूरतमंद मरीज को दूसरा जीवन देने के लिए आपको परफेक्ट मैच के रूप में आने में हफ्तों, महीनों या सालों का समय लग सकता है।

परफेक्ट मैचिंग मिल जाने के बाद क्या होता है?

जब आप मैचिंग के रूप में चिह्नित हो जाते हैं तो रजिस्ट्री आपसे संपर्क करती है। यदि आप डोनेट करने के लिए मेडिकल रूप से स्वस्थ पाए जाते हैं और डोनेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आपसे पेरिफेरल ब्लड स्टेम सेल कलेक्शन प्रक्रिया (पीबीएससी) द्वारा ब्लड स्टेम सेल्स डोनेट करने को कहा जाता है।

आपके द्वारा डोनेट की गई ब्लड स्टेम सेल्स को मरीज तक पहुंचाया जाता है और फिर मरीज में वो सेल्स डाली जाती हैं। ये नई ब्लड स्टेम सेल्स संख्या में बढ़ने लगती हैं और रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटेलेट्स का उत्पादन करती हैं तथा मरीज की बीमारीग्रस्त सेल्स की जगह ले लेती हैं।पॉल बताते हैं कि दुनियाभर में गैरसंबंधी 38 मिलियन से ज्यादा संभावित डोनर्स स्टेम सेल डोनर केंद्रों और रजिस्ट्रीज में रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से केवल 0.04 प्रतिशत भारतीय हैं। भारत से और ज्यादा संभावित स्टेम सेल डोनर्स की रजिस्ट्री करके इस स्थिति को बदला जा सकता है।

साभार-टीवी 9

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