UP New Population Policy: आबादी में बुजुर्गों की बढ़ेगी हिस्सेदारी, देखभाल होगी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती

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UP New Population Policy यूपी नई जनसंख्या नीति ने आने वाले समय में बुजुर्गों के देखभाल की बढ़ने वाली चुनौतियों की ओर भी इशारा किया है। जनसंख्या को नियंत्रित करने के संकेतकों में समय के साथ आने वाले बदलावों के कारण वृद्धजन के देखभाल की चुनौती बढ़ना तय है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। UP New Population Policy: उत्तर प्रदेश में लागू हुई नई जनसंख्या नीति ने आने वाले समय में बुजुर्गों के देखभाल की बढ़ने वाली चुनौतियों की ओर भी इशारा किया है। जनसंख्या को नियंत्रित करने के संकेतकों में समय के साथ आने वाले बदलावों के कारण वृद्धजन के देखभाल की चुनौती बढ़ना तय है। इस चुनौती से निपटने के लिए नई जनसंख्या नीति में कई प्राविधान किये गए हैं। इसके मद्देनजर जिला अस्पतालों तथा सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को बुजुर्गों के स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों से लैस करने का इरादा है।

उत्तर प्रदेश में बुजुर्गों की संख्या लगभग डेढ़ करोड़ है। राज्य की कुल प्रजनन दर लगातार कम हो रही है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 के मुताबिक वर्तमान में यूपी में कुल प्रजनन दर 2.7 है जिसे वर्ष 2026 तक घटाकर 2.1 और 2030 तक 1.9 तक लाने का लक्ष्य है। स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि के कारण जीवित रहने की प्रत्याशा बढ़ी है। इसमें और बढ़ोतरी के आसार हैं। प्रदेश में अभी जीवित रहने की प्रत्याशा 64.3 वर्ष है जिसे 2026 तक बढ़ाकर 66 वर्ष और 2030 तक 69 वर्ष करने का लक्ष्य है।

प्रजनन दर में कमी और जीवित रहने की प्रत्याशा बढ़ने से सूबे की आबादी में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। इस आधार पर अगले 20 वर्षों में राज्य की आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी का अनुपात बढ़ेगा। बुजुर्गों की रुग्णता दर और बीमारियां बढ़ेंगी जिससे स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च होगा। अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा, एकल परिवार में तेजी से बढ़ोतरी और अधिक निर्भरता अनुपात (कुल आबादी में 14 साल तक के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों का अनुपात) से बुजुर्गों के देखभाल की अतिरिक्त चुनौती बढ़ेगी।

लिहाजा नई जनसंख्या नीति में बुजुर्गों की देखभाल पर भी फोकस है। प्रदेश के सभी जिलों के सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बुजुर्गों के लिए समर्पित सेवाएं, स्क्रीनिंग डिवाइस, उपकरण, प्रशिक्षण, अतिरिक्त मानव संसाधन (सीएचसी पर) और प्रचार-प्रसार की सामग्री उपलब्ध करायी जाएगी। जिला अस्पतालों में बुजुर्गों के इलाज के लिए 10 बेड वाले समर्पित वार्ड स्थापित किये जाएंगे जिसमें अतिरिक्त मानव संसाधन, उपकरण, दवाएं आदि की व्यवस्था होगी।

सरकार चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम में जराचिकित्सा में विशेषज्ञता की शुरुआत सुनिश्चित करेगी। सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को बुजुर्गों की गरिमा और सम्मान के साथ उपचार पर जोर देने के साथ बुनियादी जीरियाट्रिक्स में प्रशिक्षित किया जाएगा। बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और सलाह को शामिल करने के लिए ई-संजीवनी जैसे टेली परामर्श प्लेटफार्म का विस्तार किया जाएगा। साभार-दैनिक जागरण

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