Ghaziabad News: मैसेज अलर्ट समय से आ गया, लेकिन गाजियाबाद में अब तक नहीं पहुंची कोरोना वैक्सीन की डोज

पढ़िए नवभारत टाइम्स की ये खबर…

हालात यह है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज ले ली, वे अब दूसरी डोज के लिए एक सेंटर से दूसरे सेंटर पर भटक रहे हैं। हफ्ताभर बीतने के बाद भी उन्हें डोज नहीं मिल रही है। कहीं पर सेंटर ही बंद मिल रहा है तो किसी सेंटर पर वैक्सीन खत्म सुनने को मिल रहा है।

गाजियाबाद। स्वास्थ्य विभाग की ओर से वैक्सीनेशन शुरू होने पर जगह-जगह पर लोगों को जागरूक किया जा रहा। लोगों को तैयार किया जा रहा था कि वैक्सीन से डरे नहीं, सामने आकर डोज जरूर लें और अपनी सुरक्षा करें और जब लोग तैयार हो गए और सेंटरों पर पहुंचकर वैक्सीनेशन कराने लगे तो देखा गया कि स्वास्थ्य विभाग सिर्फ जागरूक करने में लगा रहा। लेकिन वैक्सीन की कमी से निपटने का कोई इंतजाम नहीं किया।

हालात यह है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज ले ली, वे अब दूसरी डोज के लिए एक सेंटर से दूसरे सेंटर पर भटक रहे हैं। हफ्ताभर बीतने के बाद भी उन्हें डोज नहीं मिल रही है। कहीं पर सेंटर ही बंद मिल रहा है तो किसी सेंटर पर वैक्सीन खत्म सुनने को मिल रहा है। ऐसे में दूसरी डोज के लिए कई लोगों को 10 दिन से भी ऊपर हो चुका है। ऐसे में लोग परेशान हैं कि दूसरी डोज में देरी होने से कहीं दिक्कत तो नहीं होगी। वह लगातार डॉक्टरों से संपर्क कर रहे हैं।

अब तो सेंटर ही हो गया बंद
49 साल के गोविंद वल्लभ पंत वैशाली में रहते हैं। पहली डोज भीड़ के कारण प्राइवेट अस्पताल से ले ली थी। लेकिन तभी सोच लिया था कि दूसरी डोज सरकारी सेंटर से ले लूंगा। दूसरी डोज के लिए 12 दिन से अधिक का समय बीत चुका है। पहले वैशाली सेंटर जा रहा था लेकिन जब तक पहुंचता डोज खत्म हो चुकी होती थी। अभी तीन दिन पहले गया तो वहां पर सेंटर ही बंद कर दिया गया। सोमवार को वसुंधरा के सेंटर पर भी समय से पहुंच गया लेकिन वहां पर स्टाफ ने वैक्सीन नहीं है यह कहकर लौटा दिया।

दिल्ली का करना पड़ेगा रुख
वैशाली में रहने वाली ज्योति जोशी (48 वर्ष) ने जब पहली डोज लगवाई थी तब स्लॉट बुक नहीं हो रहे थे। हर जगह पांच मिनट में स्लॉट फुल जा रहे थे। कहीं पर लंबी लाइन तो कहीं पर जगह नहीं मिल पा रही थी लेकिन अंत में पहली डोज जैसे-तैसे करके लग गई। अब दूसरी डोज तो लगना नामुमकिन सा ही लग रहा है। अब तक ट्रांस हिंडन के चारों सरकारी सेंटरों पर घूमकर आ गई लेकिन कहीं पर वैक्सीन नहीं है तो कोई सेंटर समय से पहले ही बंद मिला। अब चिता सता रही है कि कहीं दूसरी डोज लगाने में ज्यादा देरी न हो जाए।

73 साल की उम्र में भटक रहे
पीपी अग्रवाल 73 साल के हैं। उन्होंने पहली डोज बृजविहार में लगवाई थी लेकिन दूसरी डेाज के लिए जगह-जगह भटकना पड़ रहा है। उनका कहना है कि यहां से बेहतर व्यवस्था तो दिल्ली की है, जब सेंटर में पहुंचे तो वहां पर बता दिया गया कि वैक्सीन नहीं है लेकिन जब आएगी तो बता दिया जाएगा। यहां पर तो वैक्सीन के नाम पर सामुदायिक केंद्र का सेंटर ही बंद कर दिया गया। पहले व्यवस्था मजबूत करनी थी तक टीकाकरण शुरू होता तो बेहतर रहता।

कोशिश करें कि ना हो 2 हफ्ते से ज्यादा लेट
ईएसआईसी में कोविड नोडल इंचार्ज डॉक्टर अनिल कुश ने बताया कि वैसे तो वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने में दो हफ्ते से ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। कोशिश करें किसी ना किसी सेंटर पर जाकर जरूर दूसरी डोज ले लें। वहीं साथ ही उन्होंने बताया कि यदि डोज इससे भी ज्यादा लेट होगी तो एंटी बॉडी बनने में देरी होगी और वह एक प्रक्रिया के साथ बनने में देर लगाएगी।

वहीं उन्होंने लोगों के भ्रम को दूर करते हुए भी कहा कि यदि दूसरी डोज लेट हो रही है तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि पहली डोज लगवाना व्यर्थ रहा। ऐसा नहीं है पहली डोज अपना काम कर रही है। दूसरी डोज लगने पर उस वैक्सीन का असर शरीर में होगा। साभार-नवभारत टाइम्स

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