नई दिल्ली, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में हाल ही में नई जनसंख्या नीति का एलान किया गया है। जिसके बाद से पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसद जनसंख्या नीति पर विचार कर रहे हैं। इन सबके बीच भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुधीर गुप्ता ने जनसंख्या अनियंत्रण के लिए बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान जैसे लोगों को जिम्मेदार ठहराया है।

सुधीर गुप्ता मध्यप्रदेश के मंदसौर से बीजेपी सांसद हैं। अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे की खबर के अनुसार सुधीर गुप्ता ने कहा है कि भारत की आबादी बढ़ाने में आमिर खान जैसे लोगों का हाथ है। सुधीर गुप्ता ने कहा, ‘आमिर खान की पहली पत्नी रीना दत्ता 2 बच्चों के साथ, दूसरी किरण राव कहां भटकेगी अपने एक बच्चे के साथ, उसकी चिंता नहीं, लेकिन दादा आमिर तीसरी खोज में जुट गए हैं। क्या सही संदेश देगा भारत दुनिया को.?

सुधीर गुप्ता ने आगे कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में जनसंख्या असंतुलन के पीछे आमिर खान जैसे लोगों की भूमिका है।’ पता हो कि आमिर खान और किरण राव ने हाल ही में अपने तलाक की घोषणा की हैं। दोनों ने 15 साल बाद आपसी सहमति से तलाक लेने का फैसला किया है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी की। इस नई जनसंख्या नीति का उद्देश्य जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त करना, मातृ मृत्यु और बीमारियों के फैलाव पर नियंत्रण, नवजात और पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की मृत्यु रोकना और उनकी पोषण स्थिति में सुधार करना है।

उत्तर प्रदेश की तरह देश के अन्य राज्यों में ही नहीं, वरन राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए आगे बढ़ने की भी जरूरत है। ज्ञात हो कि इन दिनों देश की जनसंख्या से संबंधित विभिन्न रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक-सामाजिक चुनौतियां लगातार विकराल रूप लेती जा रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत में जहां एक ओर जनसंख्या विस्फोट को रोकना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर जनसंख्या में कमी से भी बचना होगा।

इसी परिप्रेक्ष्य में जहां देश में कुछ राज्य दो बच्चों की जनसंख्या नीति के लिए आगे बढ़ रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रीम कोर्ट से भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग की जा रही है। सप्रीम कोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करने वाले याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा है कि देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन, कृषि भूमि, पेयजल और अन्य मूलभूत जरूरतों की उपलब्धता की तुलना में जनसंख्या लगातार चिंताजनक स्थिति निर्मित करते हुए दिखाई दे रही है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि चूंकि जनसंख्या नियंत्रण समवर्ती सूची में हैं, इसलिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह नागरिकों के गुणवत्तापरक जीवन के लिए कड़े और प्रभावी नियम, कानून और दिशानिर्देश तैयार करे।साभार-दैनिक जागरण

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