वर्किंग प्रोफेशनल या बैचलर्स को अक्सर खाने की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई लोग काम के वक्त पर खाना नहीं पका पाते, उन्हें खाने के लिए बाहर होटल में जाना पड़ता है। घर से दूर रहकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को भी इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोरोना के दौरान तो ये मुसीबत और भी बढ़ गई थी क्योंकि तब होटल भी बंद पड़ गए थे।
पुणे की रहने वालीं आकांक्षा और खुशबू ने इस परेशानी को कम करने के लिए एक साल पहले खुद का स्टार्टअप शुरू किया। रेडी टू कुक मॉडल पर वे ऐसे प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग कर रही हैं, जिसे बहुत ही कम वक्त में तैयार किया जा सके। एक के बाद एक लॉकडाउन के बाद भी हर महीने 1.5 लाख का बिजनेस कर रही हैं।
30 साल की खुशबू प्रोफेशनल CA हैं। जबकि 27 साल की आकांक्षा ने फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई की है। दोनों एक ही कॉलोनी में रहती हैं। पिछले 4 साल से एक-दूसरे को जानती हैं।
ऑफिस जाने की जल्दी में कई बार खाना पकाना मुश्किल टास्क होता था
आकांक्षा कहती हैं कि तब हम दोनों जॉब कर रही थीं। अक्सर हमें ऑफिस जाते वक्त खाना पकाने की टेंशन होती थी। कभी वक्त मिला तो कुछ बना लिया, नहीं तो कई बार कैंटीन या होटल के सहारे ही काम चलाना पड़ता था। इससे वक्त की बर्बादी तो होती ही थी साथ ही सही खाना भी नहीं मिल पाता था।
खुशबू कहती हैं कि 2019 के अंत में हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे से आपस में बात कर रहे थे। खाने को लेकर जो दिक्कत आकांक्षा की थी वही दिक्कत मुझे भी। दोनों ने तय किया कि इसको लेकर हमें कुछ काम करने की जरूरत है, क्योंकि हमारी तरह और भी लोग हैं, जिन्हें ये परेशानी उठानी पड़ती है। इसलिए हम लोग प्रोफेशनल लेवल पर भी इसे शुरू कर सकते हैं।
इडली-डोसा बैटर के साथ बिजनेस की शुरुआत
इसके बाद दोनों ने मिलकर कुछ दिन रिसर्च की कि कौन-कौन से ऐसे प्रोडक्ट हैं या तरीका है, जिससे कम वक्त में कुछ हेल्दी और टेस्टी डाइट तैयार किया जा सके। अलग-अलग प्रोडक्ट्स की सैम्पलिंग और लैब टेस्टिंग के बाद दोनों ने खुद की नौकरी छोड़ दी और जस्ट कुक नाम से खुद के बिजनेस की शुरुआत की। इडली-डोसा बैटर के रूप में उन्होंने अपने प्रोडक्ट की लॉन्चिंग की।
तब देशभर में कोरोना पीक पर था और लोग अपने-अपने घरों में कैद। ऐसे में एक तरफ जहां रिसोर्सेज के लिए दोनों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं बिजनेस के लिहाज से इसका फायदा भी हुआ। जो लोग घर पर खाना पकाने में सक्षम नहीं थे, उन्हें यह प्रोडक्ट काफी पसंद आया। आकांक्षा बताती हैं कि हमारे सभी प्रोडक्ट केमिकल फ्री और हेल्दी हैं। हमने न्यूट्रिशनल वैल्यू के साथ ही टेस्ट का भी खास ध्यान रखा है।
पांच लाख के बजट से शुरुआत
खुशबू कहती हैं कि हमने अपने काम की शुरुआत घर से ही की थी। उसमें बहुत बड़ा बजट नहीं लगा, लेकिन जब प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी तो हमने पुणे में एक वेयर हाउस लिया। कुछ मशीनें खरीदीं, लोगों को काम पर रखा। कंपनी रजिस्टर की, लाइसेंस लिया। इसमें करीब 5 लाख रुपए खर्च हो गए।
हालांकि हमने बहुत जल्द इसे रिकवर भी कर लिया। अभी हमें एक इन्वेस्टर की तरफ से 20 लाख रुपए फंड भी मिला है। धीरे-धीरे हमारे ग्राहक और रेवेन्यू दोनों में इजाफा हो रहा है। पिछले एक साल के दौरान 10 हजार से ज्यादा कस्टमर्स तक हम पहुंचे हैं। अभी हमारे पास ढोकला, इडली डोसा बैटर, हेल्दी स्नैक्स, चटनी जैसे 5 प्रोडक्ट हैं। 7 लोगों की टीम हमारे साथ काम कर रही है।
सोशल मीडिया को बनाया मार्केटिंग का जरिया
आकांक्षा बताती हैं कि मार्केटिंग को लेकर हमने सोशल मीडिया पर प्रमोशन करना शुरू किया। लोगों को अपने प्रोडक्ट के बारे में बताया। अपने दोस्तों के बीच शेयर किया। धीरे-धीरे हमारे बारे में लोगों को जानकारी मिलती गई और हमारा कारोबार बढ़ता गया। एक के बाद एक हम प्रोडक्ट्स की संख्या बढ़ाते गए। हमारे बिजनेस में माउथ पब्लिसिटी का बड़ा योगदान रहा।
इसके बाद हमने ऑनलाइन मार्केटिंग शुरू की। फ्लिपकार्ट और अमेजन पर भी हमारे प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं। कोई फोन या वॉट्सऐप के जरिए भी ऑर्डर कर सकता है। हाल ही में हमने कई लोगों को रिटेलरशिप भी दी है। 15 के करीब सुपर मार्केट में भी हमारे प्रोडक्ट्स की सेल होती है। कई और भी बड़े डीलर्स हमारे कॉन्टैक्ट में हैं।
क्या है रेडी टू कुक, क्यों बढ़ी है इसकी डिमांड?
रेडी टू कुक यानी बहुत कम वक्त में तैयार होने वाला फूड। जिसे बनाने में कोई खास मेहनत नहीं लगे। जैसे हम इडली बनाने के लिए पहले बैटर तैयार करते हैं, बैटर बनाने में ही घंटों वक्त जाया होता है। अगर हमारे पास पहले से तैयार बैटर रहेगा तो सिर्फ पकाने का टाइम खर्च होगा। उसी तरह चटनी, हेल्दी स्नैक्स जैसे प्रोडक्ट होते हैं।
कोरोना काल में रेडी टू कुक फूड सेगमेंट में तेजी से ग्रोथ देखने को मिली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल रेडी टू कुक कबाब, मैरिनेटिड मीट और सीफूड में करीब दोगुनी ग्रोथ हुई है। RedSeer Consulting and Research के मुताबिक कोरोना काल में लोग बाहर खाना खाने नहीं जा सके, जिसकी वजह से खाने पर लोगों का खर्च करीब 61% बढ़ गया है। रेडी टू कुक सेगमेंट में इडली का बैटर और पनीर भी खूब बिका। साभार-दैनिक भास्कर
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