एक्सपर्ट्स का दावा- इनफ्लुएंजा वैक्सीन बच्चों को कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचाएगी, क्या है ये और कोरोना के खिलाफ कितनी कारगर, जानें सबकुछ

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कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हर रोज नई बातें सामने आ रही हैं। एम्स दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। महाराष्ट्र सरकार के कोविड टास्क फोर्स ने तो यह तक कह दिया कि तीन-चार हफ्ते में ही केस बढ़ने लगेंगे। इसके बाद सरकार ने वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ा दी है, पर बच्चों के लिए सितंबर से पहले वैक्सीन नहीं मिलने वाली।

इसे देखते हुए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और महाराष्ट्र की कोविड टास्क फोर्स ने अंडर-5 बच्चों को इनफ्लुएंजा वैक्सीन लगाने की सिफारिश की है। डॉक्टरों ने तो मानसून और उसके बाद आने वाली सर्दियों को देखते हुए बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी इनफ्लुएंजा वैक्सीन लगाने की सिफारिश की है।

पर क्या इनफ्लुएंजा यानी फ्लू की वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ इम्युनिटी हासिल करने में मदद कर सकती है? क्या फ्लू वैक्सीन के डोज कोविड-19 के खिलाफ इफेक्टिव हैं? इसी तरह के सवालों को लेकर हमने नई दिल्ली के कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स डॉ. हिमांशु बत्रा (मणिपाल हॉस्पिटल्स) और अहमदाबाद की कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स डॉ. उर्वशी राणा (नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल) और मुंबई की इन्फेक्शियस डिजीज विभाग में कंसल्टेंट डॉ. माला कानेरिया (जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर) से बात की। आइए, समझते हैं कि इस विषय में विशेषज्ञ क्या कहते हैं-

सबसे पहले जानते हैं कि इनफ्लुएंजा की वैक्सीन है क्या?

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) का कहना है कि फ्लू वैक्सीन इनफ्लुएंजा और कई अन्य बीमारियों से बचाती है। आम तौर पर फ्लू और कोविड-19 के लक्षण एक-से हैं, पर इसका मतलब यह नहीं है कि इनफ्लुएंजा की वैक्सीन कोविड से बचा ही लेगी।

हमने यह भी देखा है कि दूसरी लहर में इन्फेक्ट होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। बच्चों को इन्फेक्शन का कम खतरा बताया गया था, पर पिछले कुछ महीनों में कुछ बच्चों में गंभीर लक्षण भी दिखे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि तीसरी लहर में बच्चों को खतरा बढ़ सकता है। उनके लिए वैक्सीन नहीं है, इसलिए युवा आबादी का खतरा कम करने के लिए अन्य तरीकों की ओर देख रहे हैं। इसमें एक फ्लू वैक्सीन भी है।

मार्च 2021 में अमेरिका के मिशिगन मेडिकल हेल्थकेयर सिस्टम ने फरवरी-जुलाई 2020 की एक स्टडी के आधार पर देखा कि जिन्हें फ्लू वैक्सीन दी गई थी, उनके पॉजिटिव टेस्ट होने या इन्फेक्ट होने पर गंभीर लक्षण होने की संभावना बेहद कम हो जाती है। इस तरह फ्लू के शॉट्स भी इन्फेक्शन के खतरे को कुछ हद तक कम कर सकते हैं।

इनफ्लुएंजा वैक्सीन इम्यूनिटी विकसित करने में कैसे मदद करती है?

इनफ्लुएंजा वैक्सीन (फ्लू शॉट) आम तौर पर फ्लू के खिलाफ प्रोटेक्शन देती है। फ्लू एक वायरल इन्फेक्शन है जो इनफ्लुएंजा वायरस की वजह से होता है। यह बच्चे की इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है और अक्सर बारिश और सर्दियों में बच्चों में रेस्पिरेटरी शिकायतें बढ़ जाती हैं।

इनफ्लुएंजा वैक्सीन फ्लू से प्रोटेक्शन देगी, कोविड से नहीं। पर बच्चों में फ्लू से प्रोटेक्शन गंभीर लक्षणों और हॉस्पिटलाइजेशन का बोझ कम होता है। इससे कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के दौरान अस्पतालों पर बोझ ज्यादा नहीं होगा।

वैक्सीन लगने के बाद शरीर का सामना कमजोर या मृत वायरस से कराया जाता है। इसके खिलाफ ही शरीर इम्यून सिस्टम विकसित करता है। वैक्सीन लगने के दो हफ्ते बाद एंटीबॉडी बनती है। यह एंटीबॉडी व्यक्ति को उस बीमारी से बचाती हैं। इनफ्लुएंजा वायरस के खिलाफ सीजनल फ्लू वैक्सीन काफी हद तक प्रोटेक्शन देती है। ये वायरस बारिश और उसके बाद सर्दियों में बहुत ज्यादा सक्रिय रहते हैं।

बाजारों में उपलब्ध इनफ्लुएंजा वैक्सीन की कीमत और वैराइटी क्या है?

इनफ्लुएंजा वैक्सीन इंजेक्शन और नेजल स्प्रे के तौर पर उपलब्ध है। स्प्रे की सिफारिश 2 से 49 वर्ष के लोगों के लिए की जाती है। प्रेग्नेंट या इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड लोगों को वैक्सीन नहीं देते। इनफ्लुएंजा वैक्सीन ट्राइवेलेंट भी हो सकती है, जिसमें तीन अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। क्वाड्रिवेलेंट में चार स्ट्रेन होते हैं। यह वैक्सीन हर साल अपडेट होती रहती है, जिसके लिए वैज्ञानिक उस समय प्रचलित वायरस के आधार पर उन्हें विकसित करते हैं।

इनफ्लुएंजा वैक्सीन बाजारों में इनएक्टिवेटेड क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन के तौर पर उपलब्ध हैं। यह इनफ्लुएंजा A के साथ ही इनफ्लुएंजा B के दोनों स्ट्रेनों के खिलाफ प्रोटेक्शन देती है। अलग-अलग ब्रांड्स में इस वैक्सीन का 0.5 मिली डोज 1,100 रुपए से 2,400 रुपए तक में उपलब्ध है।

क्या इनफ्लुएंजा वैक्सीन लेना कोरोना के खिलाफ पर्याप्त होगा?

जब बच्चों के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, तब इनफ्लुएंजा वैक्सीन बच्चों में रिस्क कम करने में मदद कर सकती है। रिसर्च बताते हैं कि कोविड-19 और इनफ्लुएंजा के एपिडेमियोलॉजिकल और क्लिनिकल फीचर एक-से हैं। इस वजह से बच्चों को फ्लू वैक्सीन से वैक्सीनेट करना कोविड-19 के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। कम से कम उन्हें गंभीर इन्फेक्शन होने से तो बचाएगी ही।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक फ्लू वैक्सीन के शॉट्स बच्चों को गंभीर लक्षणों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जब कोविड वैक्सीन आ जाएगी, तब पेरेंट्स अपने बच्चे को दोनों वैक्सीन लगाने का प्लान कर सकते हैं। यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि दो वैक्सीन में चार हफ्ते का अंतर रखा जाना चाहिए। इससे बच्चे में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने के लिए भरपूर समय मिल जाएगा।

तो इनफ्लुएंजा की वैक्सीन कौन लगवा सकता है?

IAP की सिफारिशों के अनुसार बच्चे के जन्म के 6 महीने बाद फ्लू का पहला शॉट दिया जाना चाहिए। उस समय तक बच्चे को अपनी मां के दूध से इम्यूनिटी मिलती है। छह महीने का होने के बाद पेरेंट्स को अपने बच्चों को पांच साल की उम्र तक हर साल यह डोज देना चाहिए। 5 साल के बाद सिर्फ हाई-रिस्क ग्रुप में ही इनफ्लुएंजा वैक्सीन लगाई जाती है।

चूंकि कोविड-19 और फ्लू के लक्षण एक-से हैं। अगर बच्चे को इनफ्लुएंजा वैक्सीन लगी होगी तो यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि कोविड हुआ है या नहीं। पेरेंट्स अपने बच्चे को वायरस के खिलाफ प्रोटेक्शन देने के लिए इनफ्लुएंजा वैक्सीन लगवा सकते हैं। हालांकि यह जानना महत्वपूर्ण है कि एक सीजन से दूसरे सीजन में एफिकेसी बदल जाती है और इसका असर भी उम्र और हेल्थ की स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। साभार-दैनिक भास्कर

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