गाजियाबाद की प्राची ने 3 साल पहले घर से ही होम डेकोरेशन आइटम्स का स्टार्टअप शुरू किया, अब सालाना 14 लाख रुपए है टर्नओवर

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हाल के कुछ सालों में क्रिएटिव प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है। लोग अपने घरों को सजाने के लिए, किचन डेकोरेशन या ऑफिस को बेहतर लुक देने के लिए ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। गाजियाबाद की रहने वाली प्राची भाटिया ऐसे ही क्रिएटिव प्रोडक्ट की डिजाइनिंग और मार्केटिंग कर रही हैं। उन्होंने तीन साल पहले अपना स्टार्टअप शुरू किया था। जिसके जरिए वे अपने प्रोडक्ट की सप्लाई देशभर में कर रही हैं। पिछले साल उनका टर्नओवर 14 लाख रुपए रहा था। इस साल उनका टारगेट 25 से 30 लाख रुपए रेवेन्यू हासिल करना है।

26 साल की प्राची एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में हुई। इसके बाद 2017 में उन्होंने गुरुग्राम के एक कॉलेज से प्रोडक्ट डिजाइनिंग में बैचलर्स की पढ़ाई पूरी की।

अपने प्रोडक्ट की डिजाइनिंग के बाद उसकी फोटोग्राफी करतीं प्राची। मार्केटिंग के लिए फोटो को वे सोशल मीडिया पर अपलोड करती हैं।

प्राची कहती हैं कि मैं सेल्फ डिपेंडेंट होना चाहती थी। इसलिए लास्ट ईयर में थी तब से ही एक कंपनी में काम करने लगी थी। बैचलर्स के बाद मेरा प्लेसमेंट भी हो गया। बहुत अधिक सैलरी नहीं थी लेकिन ठीक ठाक आमदनी हो जा रही थी। करीब एक साल काम करने के बाद मुझे लगा कि प्रोडक्ट डिजाइनिंग का काम तो मैंने सीख लिया। अब इसकी मार्केटिंग का भी एक्सपीरियंस लेना चाहिए, ताकि जरूरत पड़े तो खुद का भी काम कर सकूं।

प्राची अपनी पहली जॉब के दौरान ही खुद का स्टार्टअप लॉन्च करना चाहती थीं, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति और फिर जॉब की वजह से कोई डिसीजन नहीं ले पा रही थीं। इसी बीच 2018 में उन्होंने एक नई कंपनी जॉइन की। 45 हजार महीने की उनकी सैलरी थी। घर परिवार के लोग उनके इस जॉब से खुश थे, लेकिन प्राची को शुरुआती दिनों में ही सेटबैक लगा। ऑफिस में उनके साथ सही वर्ताव नहीं हुआ। इससे वे मेंटली काफी परेशान रहीं।

प्राची कहती हैं कि घर के लोग भी कुछ हद तक मेरी जॉब पर डिपेंडेंट थे। इसलिए नौकरी छोड़ना मुश्किल फैसला था लेकिन मैंने तय किया कि इस चैलेंज को फेस किया जाए। शायद यही स्टार्टअप शुरू करने के लिए सही वक्त है। अगर अभी नहीं कर पाई तो आगे मुश्किल हो जाएगी। यही सोचकर मैंने नौकरी छोड़ दी।

एक लाख रुपए से घर से ही शुरू किया स्टार्टअप

प्राची का डिजाइन किया हुआ पिंजरे के शेप में बास्केट। वे अभी 70 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती हैं।

प्राची बताती हैं कि करीब एक लाख रुपए मेरी सेविंग्स थी। उसकी हेल्प से मैंने 5 से 6 प्रोडक्ट डिजाइन किए और एक लोकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से उन्हें तैयार करवाए। जिसमें पिंजरे के शेप में बास्केट और कुछ किचन के इस्तेमाल के प्रोडक्ट थे। ये सभी प्रोडक्ट यूनिक, क्रिएटिव और कम प्राइस के थे। इसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मार्केटिंग शुरू कर दी। धीरे-धीरे उनके प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ती गई। अभी हर महीने 100 से ज्यादा उनके पास ऑर्डर्स आ रहे हैं। कोरोना के दौरान जरूर थोड़ा असर पड़ा था उनके स्टार्टअप और मार्केटिंग पर लेकिन अब फिर से उनका बिजनेस रफ्तार पकड़ रहा है। हर दिन नए कस्टमर्स जुड़ रहे हैं।

अभी प्राची देशभर में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रही हैं। उन्होंने 5 बड़े कुरियर कंपनियों से टाइअप किया है। जिसके जरिए वे अपने प्रोडक्ट की डिलीवरी करती हैं। उनकी टीम में 5 लोग काम करते हैं। साथ ही उन्होंने कुछ इंटर्न्स भी रखे हैं। जो प्रोडक्ट की डिजाइनिंग और पैकेजिंग में उनकी मदद करते हैं।

मार्केटिंग के लिए क्या स्ट्रैटजी अपनाई?

दिल्ली और उसके आसपास जो ऑर्डर आते हैं, उसकी डिलीवरी के लिए प्राची खुद भी स्कूटी चलाकर जाती हैं।

प्राची बताती हैं कि शुरुआत मैंने सोशल मीडिया से की थी। इसके बाद chokhat.in नाम से खुद की वेबसाइट लॉन्च की। मुझे लगा था कि इसके जरिए दिन में दो-चार ऑर्डर तो मिल ही जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहले महीने मुझे सिर्फ एक ही ऑर्डर मिला था। तब मुझे रियलाइज हुआ कि सोशल मीडिया पर हमारी पहुंच बहुत नहीं है। 100-200 लोग मुझे जानते हैं। इसी तरह ऐसी वेबसाइट भी गूगल पर हजारों हैं। ऐसे में लोग हमारा ही प्रोडक्ट क्यों खरीदेगा और उस तक हम कैसे पहुंचेंगे?

इसके बाद मैंने मार्केटिंग पर फोकस किया। यूट्यूब पर कई सारे वीडियो देखे। तब मुझे फेसबुक ऐड के बारे में पता चला। इसके बाद मैंने उसकी प्रॉसेस समझी और फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पेड ऐड रन करना शुरू कर दिया। इसी तरह वेबसाइट का भी प्रमोशन करना शुरू कर दिया। इसका मुझे फायदा भी हुआ और लोगों के ऑर्डर्स आने शुरू हो गए। अभी प्राची सोशल मीडिया और अपनी वेबसाइट के जरिए मार्केटिंग कर रही हैं। कई लोग फोन और वॉट्सऐप के जरिए भी उनसे प्रोडक्ट खरीदते हैं।

कैसे तैयार करती हैं प्रोडक्ट और क्या है उसकी खासियत?

प्राची मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में अपना प्रोडक्ट तैयार करवाती हैं। उसके बाद अपने ऑफिस से उसकी मार्केटिंग करती हैं।

प्राची ने अब गाजियाबाद में अपना ऑफिस खोल लिया है। जहां उनकी टीम काम करती है। इसमें डिजाइनिंग से लेकर मार्केटिंग प्रोफेशनल शामिल हैं। सबसे पहले प्राची प्रोडक्ट की डिजाइनिंग करती हैं। उसका डमी मॉडल तैयार करती हैं। फिर उसे लोकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में भेजती हैं। वहां से प्रोडक्ट बनने के बाद उस पर क्रिएटिव वर्क किया जाता है। फिर क्वालिटी टेस्टिंग के बाद उनके ऑफिस में पहुंचता है। यहां से पैकेजिंग के बाद वे कस्टमर्स के पास भेजती हैं।

अभी प्राची 70 से ज्यादा प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही हैं। इसमें होम डेकोरेशन से लेकर किचन और वेडिंग डेकोरेशन के प्रोडक्ट शामिल हैं। पिंजरे के शेप में बास्केट उनका बेस्ट सेलिंग प्रोडक्ट है। इसी तरह ट्रे भी खूब बिकता है। ये सभी प्रोडक्ट लकड़ी या मेटल के बने हैं। इनका डिजाइन और लुक नेचर और इनवायरमेंट से जुड़ा है। इनकी प्राइस रेंज 500 से 3000 के बीच है। प्राची का दावा है कि मार्केट प्राइस के मुकाबले उनके प्रोडक्ट सस्ते हैं। वे कहती हैं कि हमारा फोकस है कि प्रोडक्ट की प्राइस कम से कम रखें और सेलिंग ज्यादा से ज्यादा। जिससे हमें भी फायदा हो और लोगों को भी कोई प्रोडक्ट महंगा नहीं लगे।

हर महीने प्राची के पास अभी देशभर से 100 से ज्यादा ऑर्डर्स आ रहे हैं।

प्रोडक्ट डिजाइनिंग में करियर स्कोप कितना है, कहां से ले सकते हैं ट्रेनिंग
देश में प्रोडक्ट डिजाइनिंग की डिमांड काफी ज्यादा है। आजकल घर से लेकर ऑफिस की जरूरत की चीजों में क्रिएटिव प्रोडक्ट की मांग है। बड़ी-बड़ी कंपनियां ऐसे प्रोफेशनल को बढ़िया पैकेज पर हायर कर लेती हैं। कई प्रोफेशनल खुद भी स्टार्टअप चला रहे हैं तो कई लोग फ्रीलांस वर्क से भी अच्छी आमदनी जेनरेट कर रहे हैं।

प्राची बताती हैं कि इस तरह के कोर्स की ट्रेनिंग के लिए बैचलर, मास्टर्स और डिप्लोमा तीनों तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। कुछ संस्थान सर्टिफिकेट कोर्स भी कराते हैं। चूंकि यह एक प्रोफेशनल कोर्स है तो प्राइवेट संस्थान थोड़ी महंगी फीस लेते हैं। जबकि सरकारी और छोटे संस्थानों में फीस कम होती है। अगर निफ्ट में दाखिला मिल जाए तो सबसे बढ़िया है। इसके साथ ही कई प्रोफेशनल खुद भी ट्रेनिंग देने का काम करते हैं। प्राची भी अपने यहां इंटर्नशिप के जरिए बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं। वे कहती हैं कि महंगे संस्थानों के चक्कर में न पड़कर प्रैक्टिकल वर्क पर ज्यादा फोकस करना चाहिए।

आप इस तरह का स्टार्टअप प्लान कर रहे हैं तो इन चीजों का ध्यान रखें
सबसे पहले मार्केट रिसर्च करना जरूरी है। ताकि आपको यह जानकारी मिल सके कि आप क्या नया लॉन्च करने वाले हैं और मार्केट में किस तरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं। उनकी लागत और कीमत क्या है? इससे आपको बजट का अंदाजा हो जाएगा। देश में कुछ मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियां हैं जो इस तरह के प्रोडक्ट्स बनाती हैं। आप उनसे टाइअप करके अपने हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करवा सकते हैं। अगर आपका बजट ज्यादा है तो आप अपने यहां भी मशीनें लगा सकते हैं।

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