सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल कर रही है जांच:सवालों के घेरे में फाइजर और मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन, युवाओं में वैक्सीनेशन के बाद दिखी रेयर हार्ट डिजीज

पढ़िए दैनिक भास्कर की ये खबर…

ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के बाद अब फाइजर और मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन भी सवालों के घेरे में आ गई हैं। अमेरिका में इन दोनों ही कंपनियों की वैक्सीन लगवाने वाले युवाओं में सीने में जलन की समस्या उभरने के कई मामले सामने आए हैं।

अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के मुताबिक, 31 मई तक 16 से 24 साल के लाभार्थियों में फाइजर या मॉडर्ना वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने के बाद ‘मायोकार्डाइटिस’ या ‘पेरिकार्डाइटिस’ के 275 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि, विशेषज्ञों ने ऐसी 102 शिकायतें मिलने की संभावना जताई थी। सीडीसी इन मामलों की जांच में जुटी है। सीडीसी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के बाद दुर्लभ दिल की बीमारियों के 800 मामलों की जांच कर रही है।

‘मायोकार्डाइटिस’ या ‘पेरिकार्डाइटिस’ में हृदय या उसके आसपास की मांसपेशियों में सूजन आने से सीने में जलन की समस्या होने लगती है।

वैक्सीन के फायदे रेयर कॉम्प्लिकेशन के रिस्क से कहीं ज्यादा
एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसे सभी मामलों की वैक्सीन से जुड़े होने की संभावना कम है और वैक्सीन के फायदे इन रेयर कॉम्प्लिकेशन के रिस्क से कहीं ज्यादा हैं। लेकिन ऐसी रिपोर्ट ने कुछ रिसर्चर्स की चिंता को बढ़ा दिया है, क्योंकि 50% से ज्यादा दिल की समस्या के मामले 12 से 24 साल के उम्र के लोगों में पाए गए हैं। जबकि कुल वैक्सीनेटेड लोगों में इस उम्र के लोगों की तादाद केवल 9% है।

सीडीसी में वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ. टॉम का कहना है कि ये आंकड़े असंतुलित हैं। 18 जून को एजेंसी के सभी एडवाइजर दिल से जुड़ी इन बीमारियों (मायोकार्डाइटिस, दिल की मांसपेशियों की सूजन, और पेरिकार्डाइटिस, दिल के आस-पास झिल्ली की सूजन) के कारणों पर बात करने के लिए एक मीटिंग करेंगे।

रेयर हार्ट डिजीज के मामले अपेक्षा से कहीं ज्यादा
रेयर हार्ट डिजीज के लगभग दो-तिहाई मामले युवा पुरुषों में मिले, जिनकी औसत उम्र 30 साल है। इस पर अधिकारियों का मानना है कि यह संख्या उस आयु वर्ग के लिए अपेक्षा से कहीं ज्यादा है, लेकिन इन सभी मामलों के वैक्सीनेशन से जुड़े होने के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।

फाइजर की वैक्सीन के बाद ऐसे मामले ज्यादा
31 मई तक वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद 216 लोगों ने और दूसरी डोज के बाद 573 लोगों ने मायोकार्डाइटिस या पेरिकार्डाइटिस की शिकायत की थी। ज्यादातर केस माइल्ड थे, जबकि 15 मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था। ऐसे मामले माडर्ना की वैक्सीन से ज्यादा फाइजर की वैक्सीन लगने के बाद सामने आए हैं।

16 से 17 साल की उम्र के लोगों में 79 केस सामने आए जबकि एक्सपर्ट को इस एज ग्रुप में ज्यादा से ज्यादा 19 केस मिलने की उम्मीद थी। वहीं 18 से 24 साल की उम्र के लोगों में 196 केस सामने आए जबकि एक्सपर्ट को इस एज ग्रुप में ज्यादा से ज्यादा 83 केस मिलने की उम्मीद थी।

‘मायोकार्डाइटिस’ या ‘पेरिकार्डाइटिस’ के ज्यादातर शिकार पुरुष
सीडीसी के अनुसार, 30 साल या उससे कम उम्र के लाभार्थियों की बात करें तो ‘मायोकार्डाइटिस’ या ‘पेरिकार्डाइटिस’ के 475 मामले दर्ज किए गए। 81 फीसदी मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। हालांकि, 31 मई तक 15 को छोड़ सभी ठीक होकर घर लौट चुके थे। सीडीसी ने बताया कि ‘मायोकार्डाइटिस’ या ‘पेरिकार्डाइटिस’ के ज्यादातर शिकार पुरुष थे। उनमें फाइजर या मॉडर्ना के एम-आरएनए आधारित वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने के दो से तीन दिन के भीतर इन बीमारियों के लक्षण उभरे।

डॉक्टर टॉम का कहना है कि टीनएजर्स में वैक्सीनेशन पिछले महीने ही शुरू हुआ है और आंकड़ा काफी कम है, इसलिए इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही है कि ऐसे मामले वैक्सीनेशन की वजह से सामने आ रहे हैं। साभार-दैनिक भास्कर

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