कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके 77% लोगों को नहीं पड़ी अस्पताल की जरूरत: स्टडी

पढ़िये NEWS 18 हिन्दी की ये विशेष खबर 

Vaccination in India: स्टडी में शामिल 10600 लोगों में से केवल 679 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. इनमें से केवल 64 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जबकि चार लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत लगी. वहीं केवल दो मरीजों को ICU में दाखिल करने की नौबत आई.

नई दिल्ली. कोविड-19 (Covid-19) की वैक्सीन के खिलाफ दोनों डोज ले चुके लोगों के लिए राहत की खबर है. हाल ही में आई एक स्टडी से पता चला है कि वैक्सीन (Covid Vaccine) की दोनों डोज ले चुके 94 फीसदी लोगों को कोरोना संक्रमित होने पर ICU में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ी, जबकि 77 फीसदी लोगों को तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं पड़ी. एक्सपर्ट्स लगातार महामारी के खिलाफ जंग में वैक्सीनेशन प्रोग्राम को बेहद जरूरी बता रहे हैं.

स्टडी को ऐसे समझें

वेल्लूर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के 10 हजार 600 कर्मचारियों को इस स्टडी में शामिल किया गया. इनमें से 84.8 फीसदी यानी 8 हजार 990 सदस्य 21 जनवरी से 30 अप्रैल तक टीका प्राप्त कर चुके थे. इनमें से 93.4 प्रतिशत लोगों को कोविशील्ड लगी थी, जबकि अन्य लोगों ने कोवैक्सीन लगवाई थी. स्टडी में शामिल लोगों में 7 हजार 80 सदस्यों को दोनों डोज मिल चुके थे.

इनमें से 679 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. बीमार होने के बाद 64 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. चार लोगों को ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत लगी. खास बात यह है कि इनमें से केवल दो मरीजों को ICU में दाखिल करने की नौबत आई. एक और राहत की खबर यह है कि इस दौरान कोई मौत नहीं हुई. मेयो क्लीनिकल प्रोसीडिंग्स में प्रकाशित हुई ‘Protective Effect of Covid-19 Vaccine Among Healthcare Workers During the Second Wave of the Pandemic’ के लेखकों ने यह साफ किया है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को जल्द से जल्द टीका लगाया जाना बेहद जरूरी है.

सुरक्षा देता है टीका

स्टडी में पता चला है कि दोनों डोज प्राप्त करने से अस्पताल में भर्ती, ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत और ICU में दाखिले को कम कर देते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में स्टडी के लेखक डॉक्टर जेवी पीटर्स के हवाले से कहा गया है कि पहले डोज के बाद से ही सुरक्षा मिलना शुरू हो जाती है. वैक्सीन का सिंगल डोज ICU में भर्ती होने से 95 फीसदी सुरक्षा देता है.

उन्होंने कहा, ‘यह एफिकेसी नहीं ऑब्जर्वेशनल स्टडी थी. इसमें हमने सीमित समूह की स्टडी की, लेकिन हमें हर स्तर पर वैक्सीनेशन के फायदे नजर आए.’ उन्होंने बताया, ‘केवल एक ही स्टाफ सदस्य था, जिसकी महामारी की शुरुआत में मौत हो गई थी. उन्हें कई बीमारियां थी और वैक्सीन भी नहीं ली थी.

साभार NEWS 18  हिन्दी

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