देश में ऑक्सीजन उत्पादन की नहीं है कमी। सिर्फ एक समस्या बनी हुई है। ऑक्सीजन की मांग पश्चिमी व मध्य भारत के राज्यों में जबकि उत्पादक इकाइयां पूर्वी राज्यों में। देश में राज्यों की मांग से अधिक हो रहा ऑक्सीजन का उत्पादन। जानिए समस्या।
गाज़ियाबाद –देश में ऑक्सीजन उत्पादन की नहीं, बल्कि उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने की चुनौती है। समस्या यह है कि कोरोना के कारण दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पश्चिम भारत के राज्यों में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है, लेकिन ऑक्सीजन उत्पादन की अधिकांश इकाइयां झारखंड, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में हैं। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध होने के बावजूद ज्यादा दूरी के कारण उसे समय पर जरूरतमंदों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऑक्सीजन की बढ़ी मांग के बावजूद उसका उत्पादन अब भी ज्यादा है। प्रतिदिन 7500 मीट्रिक टन के उत्पादन की तुलना में सबसे अधिक संक्रमण वाले 20 राज्यों ने 6785 मीट्रिक टन प्रतिदिन की मांग की है। उत्पादन लगातार बढ़ाया भी जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बैठक में महाराष्ट्र ने बुधवार को 1500 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन की जरूरत बताई, लेकिन उसे 1661 मीट्रिक टन का आवंटन किया गया। इसी तरह गुजरात की 1000 टन की मांग को देखते हुए 975 टन का आवंटन किया गया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यों की मांग के अनुरूप कमोवेश ऑक्सीजन का कोटा आवंटित कर दिया गया है। लेकिन राउरकेला, विसाखापट्टनम, जमशेदपुर और बोकारो से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों को समय पर ऑक्सीजन पहुंचाना आसान काम नहीं है।
ऑक्सीजन लाने में लगने वाले समय को घटाने के लिए टैंकर भेजने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस जैसी ट्रेन शुरू की गई है। लेकिन यह उपाय भी पर्याप्त साबित नहीं हुआ। कई अस्पतालों से ऑक्सीजन की कमी का अल्टीमेटम जारी होने के बाद खाली टैंकरों को जहाज से पहुंचाने का काम भी शुरू हुआ है। समस्या ऑक्सीजन की उपलब्धता की दूरी की ही नहीं है। टैंकरों और सिलिंडरों की कमी के कारण नजदीक की उत्पादक इकाइयों से जरूरतमंदों तक ऑक्सीजन पहुंचाना मुश्किल साबित हो रहा है। सरकार एक लाख नए सिलेंडर खरीद रही है, लेकिन उनकी आपूर्ति में समय लगेगा। इसी तरह सरकार ने नाइट्रोजन टैंकरों को ऑक्सीजन के लिए इस्तेमाल करने के साथ ही विदेश से टैंकर आयात करने और नए टैंकर बनाने का आर्डर देने जा रही है। लेकिन इसमें भी समय लगेगा। तब तक सरकार मौजूदा संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल कर सप्लाई सुचारु करने का प्रयास कर रही है। साभार-दैनिक जागरण
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