गाजियाबाद Coronavirus: बेड, एंबुलेंस और न इलाज.. फिर भी सबकुछ ठीक के दावे, सच्चाई एकदम उलट

पढ़िए दैनिक जागरण की ये खबर

कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर फैल रहा है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तमाम दावे कर रहा है मगर हकीकत इसके उलट है। संक्रमितों को बेड नहीं मिल रहा है। अस्पताल के लिए एंबुलेंस मांगो तो वह भी गायब। गंभीर मरीजों को आक्सीजन व वेंटिलेटर नहीं मिल रहा है।

गाजियाबाद। कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर फैल रहा है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तमाम दावे कर रहा है, मगर हकीकत इसके उलट है। संक्रमितों को बेड नहीं मिल रहा है। अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस मांगो तो वह भी गायब। गंभीर मरीजों को आक्सीजन व वेंटिलेटर नहीं मिल रहा है। रोजाना इस अव्यवस्था की भेंट कोई न कोई मरीज चढ़ता है। अधिकारियों से पूछो तो कहते हैं सब ठीक है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि लोगों का आरोप है।

इंटरनेट पर ढूंढ़ रहे प्लाज्मा और रेमडेसिविर

परेशान लोग अब सरकारी तंत्र के बजाय इंटरनेट पर प्लाज्मा, रेमडेसिविर और आक्सीजन ढूंढ़ रहे हैं। एक निजी अस्पताल में 10 दिन से भर्ती अवनीत गंगवार के लिए 16 अप्रैल को चिकित्सक ने प्लाज्मा की व्यवस्था करने को कहा। पत्नी ने जानकारों से संपर्क किया। फेसबुक व वाट्सएप ग्रुपों पर गुहार लगाई तो सोमवार को एक यूनिट की व्यवस्था हुई। मंगलवार को चिकित्सकों ने एक और यूनिट प्लाज्मा की जरूरत बताई।

वायरल हो रही पोस्ट

रेमडेसिविर और आक्सीजन को लेकर कई पोस्ट वायरल हो रही हैं, जिनमें दिए गए नंबरों पर काल करने पर व्यवस्था करने की बात कही गई है। स्वस्थ लोग भी आक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर खरीदने के प्रयास में है। उनका कहना है कि प्रशासन का क्या भरोसा। यदि भविष्य में संक्रमित होते हैं तो उसकी व्यवस्था अभी से कर लें।

मिथलेश को नहीं मिला वेंटिलेटर

लोनी के संदीप के घर चार दिन पूर्व लखनऊ से उनकी मौसी मिथलेश आई थीं। सोमवार दोपहर तबीयत बिगड़ी। आक्सीजन का स्तर घटा। अस्पतालों में भर्ती नहीं किया गया तो किसी तरह एक सिलेंडर की व्यवस्था कर घर पर ही उन्हें आक्सीजन दी गई। सिलेंडर के खत्म होते ही मिथलेश की तबीयत गंभीर होती गई। दोबारा अस्पतालों के चक्कर काटे तो इंदिरापुरम के एक अस्पताल ने भर्ती किया, लेकिन दो घंटे बाद यह कहकर बाहर निकाल दिया कि उनके पास वेंटिलेटर है। संदीप का आरोप है कि इंदिरापुरम, कौशांबी व साहिबाबाद से लेकर नोएडा तक के अस्पतालों में मौसी को ले गए, लेकिन कहीं भर्ती नहीं किया गया। देर रात मिथलेश ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया।

पहले बेड नहीं मिला और फिर गाड़ी में पड़ा रहा शव

वैशाली निवासी मनोज ने बताया कि सोसायटी में एक व्यक्ति बीते हफ्ते कोरोना संक्रमित हुए थे। बेड न मिलने के चलते होम आइसोलेशन में थे। सोमवार दोपहर उनकी तबीयत बिगड़ी तो स्वजन एक से दूसरे कई अस्पताल चक्कर काटते रहे। बेड नहीं मिला। आधी रात सरकारी एंबुलेंस आई और उन्हें ले गई। मगर ढाई घंटे बाद उनका शव लेकर लौटी। शव को भी कोई छूने को तैयार नहीं। स्वजन ने गाड़ी में शव रखवाया। पूरी रात उनका शव गाड़ी में ही पड़ा रहा।

अंतिम संस्कार के लिए भी भटकना पड़ रहा

क्रासिंग रिपब्लिक स्थित जीएच-7 सोसायटी निवासी रविंद्र एमएमजी अस्पताल में रविवार को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उन्हें ले जाने को एंबुलेंस नहीं मिली तो पत्नी निजी गाड़ी से उन्हें एक अस्पताल ले गईं, जहां से दो घंटे बाद ही निकाल दिया गया। दोबारा एमएमजी आईं और कंट्रोल रूम के सभी नंबर डायल किए, लेकिन मदद नहीं मिली और रविंद्र ने देर शाम दम तोड़ दिया। हरनंदी घाट पर अंतिम संस्कार करने से इन्कार कर दिया। पत्नी र¨वद्र के शव को छिजारसी ले गई, यहां भी दो घंटे बाद अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिली।

सीएमओ का बयान

रविंद्र के मामले में जांच जारी है। बाकी दोनों मामले संज्ञान में नहीं हैं। जांच के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे। – डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ

स्वास्थ्य विभाग के पास संक्रमितों का नाम, नंबर और पता होता है। प्रशासन चाहे तो प्लाज्मा का इंतजाम ठीक होने वालों की सूची अलग से बनाकर सहयोग कर सकता है। प्लाज्मा, रेमडेसिविर और आक्सीजन के लिए अलग से हेल्पलाइन नंबर जारी करें। (- संकल्प जैन, राजनगर एक्सटेंशन)-साभार-दैनिक जागरण

आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad

हमारा गाजियाबाद के व्हाट्सअप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करें

Exit mobile version