पुलिस को भी सूचना दी गई, स्वास्थ विभाग को भी बताया गया, लेकिन कोई उनकी मदद के लिए नहीं आया। यह सूचना कौशांबी के स्थानीय पार्षद मनोज गोयल को मिली तो उन्होंने इंसानियत का परिचय देते हुए मौके पर पहुंचे और युद्धवीर की मदद की।
गाजियाबाद। दिल्ली के अलावा अब गाजियाबाद में भी कोविड-19 संक्रमण लोगों को लगातार अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है, जिसके कारण जनपद में भी हालात इस तरह के हो गए हैं कि यहां सभी हॉस्पिटल पूरी तरह फुल हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी भी लगातार बताई जा रही है। मरीजों के परिजन अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें बेड भी नहीं मिल रहा है।
ऐसा ही एक मामला उस वक्त सामने आया, जब दिल्ली के जगतपुरी इलाके के रहने वाले युद्धवीर सिंह के 70 वर्षीय पिता को कोरोना होने के बाद बुखार के बाद ऑक्सीजन लेवल कम हो गया। दिल्ली में कई दिन तक भटकने के बाद जब उन्हें किसी भी अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन नहीं मिला तो गाजियाबाद का रुख किया।
पिता को बाइक से लेकर गाजियाबाद पहुंचे
युद्धवीर सिंह पिता को बाइक पर बैठाकर वैशाली के मैक्स हॉस्पिटल आए, लेकिन यहां भी उनके लिए कोई बेड की व्यवस्था हो पाई। उसके बाद वह अन्य अस्पतालों को खोजने के लिए चल दिए, ताकि उनके पिता का इलाज हो सके और उन्हेंऑक्सीजन मिल सके, लेकिन जैसे ही वह मैक्स हॉस्पिटल से चले और स्थित दूसरे अस्पताल नवीन हॉस्पिटल की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान रास्ते में युद्धवीर के 70 वर्षीय पिता ने दम तोड़ दिया और वहीं सड़क पर गिर गए। उनकी बॉडी करीब 2 घंटे तक सड़क पर पड़ी रही, लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली।
पुलिस को भी सूचना दी गई, स्वास्थ विभाग को भी बताया गया, लेकिन कोई उनकी मदद के लिए नहीं आया। यह सूचना कौशांबी के स्थानीय पार्षद मनोज गोयल को मिली तो उन्होंने इंसानियत का परिचय देते हुए मौके पर पहुंचे और युद्धवीर की मदद की। पार्षद ने युद्धवीर के पिता की डेड बॉडी को ऐंबुलेंस से दिल्ली पहुंचाया।
दिल्ली के अलावा गाजियाबाद में भी हालात बदतर
इस घटना ने जहां दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं का पता चला तो वहीं यूपी के गाजियाबाद के स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी किए गए तमाम दावे खोखले नजर आए। गाजियाबाद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि पर्याप्त मात्रा में उनके पास बेड है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी उपलब्ध है, लेकिन जिस तरह का यह मामला सामने आया है, उससे साफ है कि गाजियाबाद की हालात बहुते बुरे हैं। पढ़िए नवभारत टाइम्स
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