- रिपोर्टर ने 110 किमी में 30 गांवों के 34 ठगों संग 8 दिन बिताकर खंगाला पूरा नेटवर्क
- 5 मिनट में ही आधार-पैन कार्ड का क्लोन बना देते हैं और कुछ पल में ही खाता साफ
झारखंड का जामताड़ा साइबर ठगी के लिए देश में कुख्यात है..मगर अब मेवात भी नया जामताड़ा बन चुका है। देश में कहीं भी साइबर फ्रॉड हो, 70% मामलों के तार मेवात से जुड़ते हैं। जामताड़ा में ताे अब सिर्फ कार्ड क्लोनिंग ही रह गई है। बाकी हर तरह की साइबर ठगी मेवात से हो रही है। मेवात तीन राज्यों के बॉर्डर का इलाका है। हरियाणा का नूंह, यूपी का मथुरा और राजस्थान का भरतपुर, अलवर और भिवाड़ी।
भास्कर ने साइबर ठगी के इस नेटवर्क को खंगाला तो कई चौंकाने वाली चीजें सामने आईं। जेलों में एक्सपर्ट्स से ट्रेनिंग लेकर ठगों ने यहां अपना अड्डा बना लिया है। यहां के अनपढ़ या 10वीं फेल युवा भी कॉल सेंटर वालों की तरह अंग्रेजी के 5-7 वाक्य बाेलकर हर दिन 300-400 लोगों को ठग रहे हैं। यानी 3 शहरों के 150 गांवों में 8 हजार साइबर ठग रोज 1.6 से 2.4 करोड़ रु. तक लूट रहे हैं।
बैंकों के फर्जी कर्मचारी बन फोन करना, ओएलएक्स जैसी साइटों पर नकली बिकवाल बनने जैसे तरीकों से हर ठग दिन में 3 हजार रु. तक कमा लेता है। आईजी जयपुर रेंज हवासिंह घुमरिया ने बताया- भरतपुर, अलवर और भिवाड़ी के 150 गांवों में हजारों युवा ठगी से जुड़े हैं। ठग फर्जी कागजात, सिम, खाते व पते इस्तेमाल करते हैं, इसलिए पकड़ना मुश्किल होता है। हम विशेष प्लान बना रहे हैं।
भरतपुर-कामां का गांवड़ी गांव; झोपड़ी में एक साथ 5 ठग बैठे कॉलिंग कर रहे थे। भास्कर रिपोर्टर ने पूछा- कैसे करते हैं ये सब? …तो बोले- बहुत आसान है, फेसबुक-ओएलएक्स पर महंगी चीज को सस्ते में डालो, लोग खुद कॉल करते हैं। इन अनपढ़ साइबर ठगों ने अंग्रेजी के 5-7 वाक्य रट रखे हैं। हर कॉल पर इन वाक्यों को दोहराते हैं, जैसे ही बातचीत आगे बढ़ती है, हिंदी में बोलने लगते हैं।
देश में 70% साइबर फ्रॉड मेवात से और यहांं 3 हिस्सों में बंटी है ठगी
एक हजार लोग फर्जी आधार-पैन बना रहे, ये अलवर-भिवाड़ी के हैं
भिवाड़ी से नूंह की ओर जाने वाले रास्ते पर एक ई-मित्र पर बलकार सिंह से फर्जी आधार कार्ड बनाने की बात की। उसने 500 रु. मांगे। बोला- दो पासपाेर्ट साइज फोटो व एड्रेस दो। कम्प्यूटर पर किसी अन्य के आधार में फोटो-एड्रेस बदला और 5 मिनट में ही कार्ड बना दिया।
दो हजार लोग फर्जी कागजात पर 50-50 सिम लेकर बेच रहे
अलवर-भिवाड़ी मार्ग पर फोन दुकानदार गुरमीत सिंह से फर्जी आधार देकर रिपोर्टर ने सिम लिया तो उसने पूरा नेटवर्क समझा दिया। नूंह, अलवर, भिवाड़ी के ठग फर्जी कागजों पर 400 रु./सिम लेते हैं। दुकानदार को 80 रु. कमीशन देते। फिर भरतपुर के ठगों को 1000-1500 रु. में बेच देते हैं।
पांच हजार लोग ठगी की रकम खातों में ले कमीशन खा रहे हैं
खेड़ा निवासी यूनुस ने बताया-5 महीने पहले एक कॉल कर ठगी गिरोह से जुड़ा। ये उसके खाते में पैसे जमा कराते हैं। युनूस राशि में 12% कमीशन काटकर इन्हें देता है। वह औसतन 50-80 हजार/माह कमाता है। ऐसे करीब 5000 लोग हैं। फर्जी अकाउंट भी किराए भी दिए जाते हैं।
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