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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए जवानों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है. नक्सल ऑपरेशन के डीजी अशोक जुनेजा ने बीबीसी से इसकी पुष्टि की है. वहीं एक जवान शनिवार को मुठभेड़ के बाद से ही लापता है.
गृहमंत्री अमित शाह ने मुठभेड़ के बाद मौजूदा हालात की दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा की है. इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
दिल्ली पहुंचने से पहले गुवाहाटी में संवाददाताओं से बात करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था, “मैं जवानों के परिवारों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.”
बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने कहा है कि ताज़ा जानकारी के मुताबिक, “22 जवानों के शव बरामद हो गए हैं. 31 जवान घायल हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी हालत स्थिर बनी हुई है. एक कोबरा जवान लापता है. तलाशी अभियान जारी है.”
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने कहा है कि “ऑपरेशन में किसी तरह की इंटेलीजेंस चूक नहीं हुई है. बीजापुर मुठभेड़ में 25-30 नक्सली मारे गए हैं.”
छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में मारे गए जवानों के नाम हैं. 1. दीपक भारद्वाज (सब इंस्पेक्टर), 2. रमेश कुमार जुर्री (हेड कॉन्स्टेबल), 3. नारायण सोढ़ी (हेड कॉन्स्टेबल), 4. रमेश कोरसा (कॉन्स्टेबल), 5. सुभाष नायक (कॉन्स्टेबल), 6. किशोर एंड्रिक (असिस्टेंट कॉन्स्टेबल), 7. सनकूराम सोढ़ी (असिस्टेंट कॉन्स्टेबल), 8. भोसाराम करटामी (असिस्टेंट कॉन्स्टेबल), 9. श्रवण कश्यप (हेड कॉन्स्टेबल), 10. रामदास कोर्राम (कॉन्स्टेबल), 11. जगतराम कंवर (कॉन्स्टेबल), 12. सुखसिंह फरस (कॉन्स्टेबल), 13. रमाशंकर पैकरा (कॉन्स्टेबल), 14. शंकरनाथ (कॉन्स्टेबल), 15. दिलीप कुमार दास (इंस्पेक्टर), 16. राजकुमार यादव (हेड कॉन्स्टेबल), 17. शंभूराय (कॉन्स्टेबल), 18. धर्मदेव कुमार (कॉन्स्टेबल), 19. शखामुरी मुराली कृष्ण (कॉन्स्टेबल), 20. रथू जगदीश (कॉन्स्टेबल), 21. बबलू रंभा (कॉन्स्टेबल), 22. समैया माड़वी (कॉन्स्टेबल).
हमले में मारे गए एएसआई दीपक भारद्वाज
कुछ बड़े माओवादी हमलों में से एक
इससे पहले नक्सल ऑपरेशन के डीजी अशोक जुनेजा ने बताया था कि “घटनास्थल पर पहुँची सुरक्षाबलों की टीम को आज (रविवार सुबह) 20 शव बरामद हुए. इसके अलावा ख़बर मिली है कि मुठभेड़ के बाद माओवादी अपने घायल साथियों को तीन ट्रैक्टर-ट्रालियों की मदद से ले गये थे. इस घटना की जाँच की जा रही है.”
बीबीसी ने मौक़े पर पहुँचे अलग-अलग स्रोतों से इस संबंध में बात की. उन्होंने बताया कि एक किलोमीटर के दायरे में कई जगह जवानों के शव पड़े हुए थे, जिन्हें मौक़े पर पहुँची एसटीएफ़ की टीम ने बरामद किया.
पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में यह माओवादियों का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माओवादियों से मुठभेड़ में जवानों की मौत पर दुख व्यक्त किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना के बाद एक ट्वीट में लिखा, “छत्तीसगढ़ में माओवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए जवानों के परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं. वीर शहीदों की कुर्बानियों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.”
My thoughts are with the families of those martyred while fighting Maoists in Chhattisgarh. The sacrifices of the brave martyrs will never be forgotten. May the injured recover at the earliest.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 3, 2021
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जायेगी.
7 injured security personnel who were shifted to Raipur are out of danger. 21 personnel are missing & rescue team is searching for them. I received a call from HM Amit Shah. He has sent CRPF DG to the state. I'll return to Chhattisgarh in the evening: Chhattisgarh CM in Guwahati pic.twitter.com/SbPvoj7W5r
— ANI (@ANI) April 4, 2021
नक्सल ऑपरेशन पर निकले थे जवान
अधिकारियों ने बताया कि माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच क़रीब चार घंटे तक मुठभेड़ चली. इस घटना में माओवादियों को भी काफ़ी क्षति पहुँची है. जिन सात जवानों को रायपुर शिफ़्ट किया गया था, वो अब ख़तरे से बाहर हैं. एक जवान अभी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.
मारे गए जवानों की सूची
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को सुकमा और बीजापुर के अलग-अलग इलाक़ों से सीआरपीएफ़, डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड, स्पेशल टॉस्क फ़ोर्स और कोबरा बटालियन के 2059 जवान नक्सल ऑपरेशन के लिए निकले थे.
इनमें नरसापुर कैंप से 420 जवान, मिनपा कैंप से 483 जवान, उसुर कैंप से 200 जवान, पामेड़ कैंप से 195 जवान और तर्रेम कैंप से 760 जवान शामिल थे.
घायल जवान रायपुर के अस्पताल में
शनिवार को ऑपरेशन के बाद वापसी के दौरान तर्रेम थाना के सिगलेर से लगे जोन्नागुंड़ा के जंगल में माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला बोल दिया था. मुठभेड़ में घायल हुए 37 जवानों को बीजापुर और रायपुर के अस्पतालों में भर्ती किया गया है.
इस बीच, राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने शनिवार की रात रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किये गये जवानों से मुलाक़ात की थी.
22 security personnel have lost their lives in the Naxal attack at Sukma-Bijapur in Chhattisgarh, says SP Bijapur, Kamalochan Kashyap
Visuals from the Sukma-Bijapur Naxal attack site pic.twitter.com/C3VvAdvjaN
— ANI (@ANI) April 4, 2021
पहले भी बड़े माओवादी हमले होते रहे हैं
छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से प्रभावित रहा है और पहले भी इस तरह के बड़े माओवादी हमले होते रहे हैं.
श्यामगिरी: 9 अप्रैल 2019
दंतेवाड़ा के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था. माओवादियों के इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गये थे.
दुर्गपाल: 24 अप्रैल 2017
सुकमा ज़िले के दुर्रपाल के पास नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान उस समय मारे गये, जब वे सड़क निर्माण में सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे.
दरभा: 25 मई 2013
बस्तर के दरभा घाटी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे.
धोड़ाई: 29 जून 2010
नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर माओवादियों ने हमला किया. इस हमले में पुलिस के 27 जवान मारे गए.
दंतेवाड़ा: 17 मई 2010
एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने बारूदी सुरंग लगा कर हमला किया था, जिसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग मारे गए थे.
ताड़मेटला: 6 अप्रैल 2010
बस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के लिए निकले थे, जहां संदिग्ध माओवादियों ने बारुदी सुरंग लगा कर 76 जवानों को मार डाला था.
मदनवाड़ा: 12 जुलाई 2009
राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला बोला और उनकी हत्या कर दी.
उरपलमेटा: 9 जुलाई 2007
एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था. इस दल पर माओवादियों ने हमला बोला, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए.
रानीबोदली: 15 मार्च 2007
बीजापुर के रानीबोदली में पुलिस के एक कैंप पर आधी रात को माओवादियों ने हमला किया और भारी गोलीबारी की. इसके बाद कैंप को बाहर से आग लगा दिया. इस हमले में पुलिस के 55 जवान मारे गए. साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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