मोदी सरकार का पंजाब को पत्र, यूपी-बिहार के मज़दूरों को बंधुआ बनाने और ड्रग्स देने का ज़िक्र: प्रेस रिव्यू

पढ़िए BBC NEWS की ये खबर…

केंद्र की मोदी सरकार ने पंजाब सरकार को पत्र लिखकर राज्य में बिहार और यूपी के मज़दूरों को बंधुआ बनाने और लंबे समय तक काम कराने के लिए उन्हें ड्रग्स देने की बीएसएफ़ की शिकायतों की जांच करने को कहा है.

अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेसके मुताबिक़, गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को 17 मार्च को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि 2019-20 में बीएसएफ़ ने पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे ज़िलों में ऐसे 58 मज़दूरों को पकड़ा था.

ग़ौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पत्र के सामने आने के बाद किसान संगठनों के नेताओं ने इसकी ख़ासी आलोचना की है.

बीकेयू डकौंदा के महासचिव और ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमिटी के सदस्य जगमोहन सिंह ने केंद्र सरकार पर ‘किसानों की छवि को ख़राब’ करने का आरोप लगाया है.

पंजाब पुलिस के एक अफ़सर ने नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर अख़बार को पत्र में लिखी बातों की पुष्टि की है लेकिन उनका कहना है कि यह जांच परिणाम ‘अवास्तविक’ हैं.

केंद्र के लिखे पत्र में कहा गया है, “गुरदासपुर, अमृतसर, फ़िरोज़पुर और अबोहार जैसे सीमावर्ती इलाक़ों से मिले मज़दूरों से पूछताछ में सामने आया कि उनमें से या तो मानसिक रूप से अक्षम थे या फिर कमज़ोर स्थिति में थे जिनसे बंधुआ मज़दूरी कराई जाती है. पकड़े गए लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के दूर-दराज़ इलाक़ों के ग़रीब परिवारों से थे.”

पत्र में मानव तस्करी का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि इन्हें अच्छी तनख़्वाहों के नाम पर उनके घरों से लाया जाता है और यहां पर बंधुआ मज़दूरी कराई जाती है. लंबे समय तक खेतों में काम करने के लिए इन्हें ड्रग्स दी जाती है जो इनको शारीरिक और मानसिक रूप से नुक़सान पहुंचाती है.

जगमोहन सिंह का कहना है कि ‘हमें ख़ालिस्तानी और आतंकी कहने के बाद अब केंद्र सरकार एक दूसरा सांप्रदायिक कार्ड खेल रही है. बीएसएफ़ के 2019-20 में किए गए सर्वे को अब पंजाब सरकार को क्यों भेजा जा रहा है जब किसानों का प्रदर्शन चरम पर है.’

जीएन साबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय से निष्कासित

माओवादी संगठनों से संबंधों को लेकर साल 2017 में महाराष्ट्र की एक कोर्ट से आजीवन कारावास की सज़ा पाए दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक जी.एन. साईबाबा को रामलाल आनंद कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया है.

अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय अधिकारियों का कहना है कि यह फ़ैसला तय नियमों के हिसाब से लिया गया है.

साईबाबा के परिवार को गुरुवार को भेजे गए नोट में कॉलेज के प्रिंसिपल राजेश गुप्ता ने लिखा, “रामलाल आनंद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा की सेवाएं 31 मार्च 2021 को समाप्त की जा रही हैं. उनके सेविंग्स बैंक अकाउंट में तीन महीने की तनख़्वाह का भुगतान कर दिया गया है.”

साईबाबा की पत्नी वासंथा कुमारी ने पत्र मिलने की पुष्टि की है और साथ ही यह भी कहा है कि इसमें कॉलेज से निष्कासन का कारण नहीं बताया गया है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ़ कॉलेज बलराम पाणी ने कहा कि कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने पहले से मौजूद नियमों के हिसाब से फ़ैसला लिया है.साभार-BBC NEWS

आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad

 हमारा गाजियाबाद के व्हाट्सअप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करें

Exit mobile version