उत्तराखंड में आपदा:तबाही के तीसरे दिन ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की साइट से भी 2 शव मिले, NTPC की टनल में फंसे 35 वर्कर्स का रेस्क्यू जारी

उत्तराखंड के चमोली में तपोवन की NTPC टनल में फंसे 35 लोगों को निकालने का काम तीसरे दिन भी जारी है। ढाई किलोमीटर लंबी इस टनल में पानी की वजह से मलबा दलदल में तब्दील हो गया है। इस वजह से ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। ITBP की अधिकारी अपर्णा कुमार ने बताया कि रातभर टनल से मलबा हटाया गया है। अभी तक टनल में फंसे किसी भी मजदूर से हमारा संपर्क नहीं हो पाया है।

रविवार को हुए हादसे में तपोवन स्थित निजी कंपनी के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और NTPC प्रोजेक्ट साइट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा था। 3 दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन में पहली बार ऋषिगंगा प्रोजेक्ट साइट से 2 शव बरामद हुए हैं। सोमवार को रेस्क्यू टीम ने तपोवन एरिया से 26 शव और 5 मानव अंग निकाले थे। यहां से 171 लोग लापता हैं, इनमें टनल में फंसे वर्कर्स भी शामिल हैं। पूरे चमोली में हादसे के बाद 197 लोग लापता हैं।

जगह कितने लोग लापता
रैणी गांव 5
तपोवन ऋत्विक कंपनी 121
करछौ 2
रिंगी गांव 2
ऋषिगंगा कंपनी 46
ओम मैटल 21
HCC 3
तपोवन गांव 2

* इस टेबल के मुताबिक कुल 202 लोग लापता थे। इनमें से 5 को रेस्क्यू कर लिया गया है। हालांकि, अब तक यह पता नहीं लग पाया है कि रेस्क्यू किए गए लोग किस इलाके के हैं।

टनल के 130 मीटर हिस्से से मलबा हटाया
NTPC की ढाई किलोमीटर लंबी दूसरी टनल में रविवार रात पानी बढ़ जाने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा था। NDRF की टीम ने सोमवार सुबह जलस्तर घटने के बाद ऑपरेशन फिर शुरू कर दिया था। देर शाम तक इस टनल के 130 मीटर हिस्से से मलबा हटा दिया गया है। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दोबारा प्रभावित इलाके में पहुंच गये हैं। वे सोमवार की रात में भी यहीं रुके।

सेना और BRO बनाएंगे चीन बॉर्डर को जाने वाला पुल
उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सरहद को जोड़ने वाला पक्का पुल भी टूट गया था। यह पुल बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन, यानी BRO ने बनाया था। सेना की इंजीनियरिंग कोर और BRO मिलकर यहां पर जल्द ही एक लोहे का वैली पुल बनाएंगे ताकि सेना की गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो सके।

सीएम रावत ने आपदा के दूसरे दिन चौंकाने वाला बयान दिया
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हादसे के बारे में जानकारी देते वक्त एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि कल तक, यानी रविवार तक, उन्हें तपोवन में किसी सहयोगी कंपनी के प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी ही नहीं थी।

उत्तराखंड की आपदा कब आई, कैसे आई और कितना नुकसान हुआ, 3 पॉइंट में समझें..

1. ऋषिगंगा और धौलीगंगा में जल स्तर बढ़ा
चमोली के तपोवन इलाके में रविवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया। इससे नदी का जल स्तर बढ़ गया। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है इसीलिए उसका जल स्तर भी बढ़ गया। नदियों के किनारे बसे घर बह गए। इसके बाद आसपास के गांवों को खाली कराया गया।

2. ऋषिगंगा और NTPC का प्रोजेक्ट तबाह
ऋषिगंगा नदी के किनारे स्थित रैणी गांव में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बना था। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गया। यहीं पर जोशीमठ मलारिया हाईवे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया ब्रिज भी टूट गया। ऋषिगंगा का पानी जहां धौलीगंगा से मिलता है, वहां भी जल स्तर बढ़ गया। पानी NTPC प्रोजेक्ट में घुस गया। इस वजह से गांव को जोड़ने वाले दो झूला ब्रिज बह गए।

3. रेस्क्यू में लगी आर्मी और एयरफोर्स
SDRF, NDRF, ITBP के अलावा आर्मी ने अपने 600 जवान चमोली भेजे हैं। इसके अलावा वायुसेना ने Mi-17 और ध्रुव समेत तीन हेलिकॉप्टर रेस्क्यू मिशन पर भेजे हैं। वायुसेना के C-130 सुपर हरक्यूलस विमान राहत सामग्री लेकर देहरादून पहुंच गए हैं। तपोवन की NTPC स्थित टनल में फंसे वर्कर्स को निकालने के अलावा एरियल सर्वे से भी लोगों की तलाश की जा रही है। रैणी गांव के लापता लोगों को ढूंढने के लिए भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। साभार-दैनिक भास्कर

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