अहमदाबाद के CA ने नौकरी छोड़ शुरू किया शहद का बिजनेस, 6 महीने में ही खड़ी कर ली 30 लाख की कंपनी

अहमदाबाद के प्रतीक घोडा ने CA की पढ़ाई की है। कई बड़ी कंपनियों में काम भी किया है। अब वे मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

अहमदाबाद के प्रतीक घोडा ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की पढ़ाई की। 14 साल तक अलग-अलग बड़ी कंपनियों में नौकरी करते रहे। अच्छी सैलरी थी, सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कुछ अपना बिजनेस करने की बात शुरू से ही उनके मन में थी। आखिरकार, उन्होंने अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़ी और शहद का बिजनेस शुरू किया। फैसला रंग लाया और सिर्फ छह महीने में ही उन्होंने 30 लाख रुपए टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी।

वैद्य जी के यहां से आया आइडिया
दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रतीक ने बताया, ‘मैंने 2006 में CA की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कैडिला, टोरेंट, मोटिफ इंडिया इन्फोटेक और स्टरलाइट टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियों में नौकरी की, लेकिन मन हमेशा बिजनेस की तरफ जाता रहता था। आखिरकार 2020 में शहद का बिजनेस शुरू किया।

शहद का ही बिजनेस क्यों? इसकी भी दिलचस्प कहानी है। प्रतीक रिसर्च के लिए जामनगर के एक वैद्यराज के पास गए थे। वैद्य जी के पास कुछ मरीज आए हुए थे। इन लोगों के शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द था। वैद्यराज ने एक बॉक्स मंगवाया और उसमें से एक मधुमक्खी निकाली। मरीज के शरीर के जिस हिस्से में दर्द था, वहां पर मधुमक्खी से डंक लगवाए।

प्रतीक इस वाकये के बारे में बताते हैं, ‘चौंकाने वाली बात यह थी कि मधुमक्खी के डंक से उन मरीजों का दर्द पल भर में कम हो गया। वैद्यराज से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह कोई चमत्कार नहीं है, बल्कि थैरेपी का एक हिस्सा है।’ प्रतीक कहते हैं, ‘इसके बाद वैद्य जी से शहद और मधुमक्खी पालन के बारे में काफी बातें हुईं। और, मेरे दिमाग में आइडिया आया कि इसमें मैं भी कुछ नया कर सकता हूं।’

कंपनी की शुरुआत कैसे हुई
प्रतीक ने उन किसानों से मिलना शुरू किया, जो मधुमक्खी पालन कर रहे थे। कई एक्सपर्ट से भी बात की। पूरी रिसर्च के बाद उन्होंने शहद का बिजनेस करने का मन बना लिया। उनके प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा मदद की उनके मामा विभाकर घोडा ने। विभाकर पहले से ही खेती और डेयरी का काम कर रहे थे, जिनके अनुभव का फायदा प्रतीक को मिला। सबसे पहले वे ही प्रतीक के साथ काम करने के लिए राजी हुए। फिर टीम में लोग जुड़ते गए।

काफी रिसर्च के बाद जामनगर के पास के आमरण गांव में मधुमक्खी पालन के लिए एक जगह तय की गई। इसके बाद 15 अगस्त 2020 को BEE BASE PVT LTD नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया।

15 लाख रुपए से की शुरुआत

इन पेटियों के अंदर ही मधुमक्खियां रहती हैं और अपना छत्ता बनाकर शहद का निर्माण करती हैं। एक पेटी से करीब ढाई किलो शहद निकलता है।

प्रतीक ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने 300 मधुमक्खियों की पेटियों के लिए 15 लाख रुपए का निवेश किया। 300 पेटियों में से हर 15 दिनों में 750 किलो शहद इकट्‌ठा हो जाता है। प्रतीक बताते हैं कि कंपनी बने अभी करीब 6 महीने हुए हैं और अब तक करीब 3 टन का शहद का उत्पादन हो चुका है। आमतौर पर एक पेटी से करीब ढाई किलो शहद निकलता है।

शहद के कई फ्लेवर वाले प्रोडक्ट्स
सामान्य शहद के अलावा प्रतीक की कंपनी कई तरह के फ्लेवर वाले शहद भी तैयार करती है। इसमें अदरक, जामुन, केसर, लीची प्रमुख हैं। साथ ही वैक्स, चॉकलेट हनी, हनी चॉकलेट ट्रफल, हनी फिलेड चॉकलेट जैसे प्रोडक्ट भी तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रोबायोटिक शहद पर भी उनकी कंपनी काम कर रही है। ऑर्गेनिक लिपस्टिक, लिप बाम जैसे प्रोडक्ट तैयार करने की योजना पर भी काम चल रहा है।

मार्केटिंग कैसे की?

प्रतीक कई तरह के फ्लेवर में शहद तैयार कर रहे हैं। वे 15 दिन में करीब 750 किलो शहद पैदा कर उसकी सप्लाई कर रहे हैं।

प्रतीक के मामा विभाकर घोडा ने मार्केटिंग की रणनीति के बारे में बताया, ‘हमने सोशल मीडिया पर कंपनी का एक पेज बनाकर वहां अपने सभी प्रोडक्ट्स की जानकारी उपलब्ध करवाई। लोग इसके जरिए संपर्क में आते गए और प्रोडक्ट्‍स की सप्लाई बढ़ती गई। अभी तक हमने किसी भी रिटेल चेन या डिस्ट्रीब्यूशन एजेंसी का सहारा नहीं लिया है। इसके बावजूद हर 15 दिन में करीब 750 किलो शहद पैदा कर उसकी सप्लाई कर रहे हैं।’ सिर्फ छह महीने में ही कंपनी की मार्केट वैल्यू 30 लाख रुपए तक पहुंच गई है। प्रतीक इसका क्रेडिट क्वालिटी को देते हैं। वे कहते हैं, ‘गुणवत्ता के चलते शुरुआत के 15 दिनों में ही हमने 6 लाख रुपए का बिजनेस कर लिया था।’

20 कर्मचारियों में 10 महिलाएं
प्रतीक के मधुमक्खी पालन केंद्र और ऑफिस में 20 लोग काम करते हैं। खास बात यह है कि इस टीम से जुड़ी 10 महिलाएं प्रोडक्ट्स घर-घर तक पहुंचाने का काम करती हैं। कंपनी की डायरेक्टर सामाजिक कार्यकर्ता कृतिबेन मंकोडी कहती हैं, बिजनेस के साथ-साथ हमारा मकसद महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना भी है।’साभार-दैनिक भास्कर

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