गाजियाबाद गांजा तस्करी में जेल जा चुके विजयनगर निवासी युवक ने नगर कोतवाली
गाजियाबाद : गांजा तस्करी में जेल जा चुके विजयनगर निवासी युवक ने नगर कोतवाली पुलिस की एसओजी टीम पर घर से उठाकर पीटने, हवालात में डालने, पांच लाख रुपये की मांग करने और फिर एक लाख रुपये लेकर छोड़ने का आरोप लगाया है। मामला 15 जनवरी का है। इसमें दो दिन बाद ही दो सिपाहियों को कप्तान ने लाइन हाजिर किया था। पीड़ित का कहना है कि शिकायत के बाद भी पुलिस अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। परेशान हो पीड़ित ने सोमवार को वाट्सएप ग्रुपों पर अपनी शिकायत वायरल कर इंसाफ की गुहार लगाई। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल को जांच दी है।
बोले, जेल जा या झेल जा
विजयनगर के शांतिनगर निवासी राजेश पांडेय ने बताया कि वह पूर्व में गलत काम करते थे। इंदिरापुरम और विजयनगर थाने से 2017 व 2018 में उन्हें जेल भेजा गया था। स्वजन की चेतावनी पर उन्होंने गलत काम छोड़कर पीएमजीएसवाइ (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) के तहत अपना पंजीकरण करा लिया और बिहार के छपरा में वह सरकारी निर्माण कार्य कराते हैं। पढ़ाई के लिए बच्चे यहीं रहते हैं। 28 दिसंबर-2020 को गांव से गाजियाबाद आए और 15 जनवरी को उन्हें लौटना था। आरोप है कि इसी दिन 12 बजे डस्टर कार से नगर कोतवाली की एसओजी टीम में तैनात सिपाही दीपक व चंद्रशेखर एक अन्य पुलिसकर्मी व एक मुखबिर के साथ आए और उन्हें घर से ले गए। आरोप है कि कार में बैठाते ही आरोपितों ने मारपीट शुरू कर दी। कोतवाली में लाते ही चंद्रशेखर व दीपक बोले, जेल जा या झेल जा। दोनों पांच पेटी यानी पांच लाख रुपये मांगे। मना करने पर डंडे व पट्टे से बुरी तरह पीटा। फिर हवालात में डाल दिया।
खेलते रहे बैडमिटन, नहीं की सुनवाई
आरोप है कि राजेश को हवालात में डाल आरोपित पुलिसकर्मी दारोगा व अन्य के साथ नगर कोतवाली में बने कोर्ट में बैडमिटन खेलते रहे और पीड़ित छोड़ने की गुहार लगाता रहा। हवालात में एक दारोगा पूछताछ करने आए। शाम को दोबारा कमरे में लाकर पीटा और राजेश की पत्नी से वाट्सएप पर वीडियो काल कर रुपये मांगे। पत्नी ने 24.5 हजार रुपये ही घर पर होने की बात कही तो आरोपित पुलिसकर्मियों ने फोन काट दिया। दोबारा काल की, जिसके बाद एक परिचित से उधार आदि लेकर 99,500 रुपये लेकर कोतवाली पहुंचा। इसके बाद पुलिस ने राजेश को छोड़ा। साथ ही 16 जनवरी को 50 हजार रुपये और भिजवाने को कहा।
रंगे हाथ पकड़वाने को नहीं मानी पुलिस
राजेश ने बताया कि अगले ही दिन उन्होंने कप्तान के पीआरओ तक अपनी बात पहुंचाई कि वह 50 हजार रुपये देकर आरोपित पुलिसकर्मियों को रंगे हाथ पकड़ सकते हैं। उनके आदमी के साथ कोई पुलिसकर्मी भेज दें। आरोप है कि पीआरओ ने ध्यान नहीं दिया। फिर वह एसपी सिटी प्रथम के पास पहुंचे। वहां पुलिसकर्मी बुलाए गए, लेकिन तीन में से दो दीपक व चंद्र शेखर ही आए। पूछताछ के बाद अगले दिन दोनों सिपाही लाइन हाजिर कर दिए गए। राजेश के मुताबिक पुलिसकर्मियों की पिटाई से उनके हाथ, पैर व आंख के पास चोट आई थी, लेकिन मांग के बाद भी अधिकारियों ने उनका चिकित्सीय परीक्षण नहीं कराया। एसएसपी और सीएम योगी आदित्यनाथ को भी शिकायत भेजी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। पीड़ित ने आरोपित तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के साथ उक्त दारोगा और नगर कोतवाल के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की।
राजेश गांजा तस्करी के आरोप में कई बार जेल जा चुका है। उसे पूछताछ के लिए लाए थे और फिर छोड़ दिया।
– दीपक, सिपाही।
पुलिस से बचने के लिए राजेश ड्रामा कर रहा है। पैसे लेने, मांगने व पीटने के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
– चंद्र शेखर, सिपाही।
पेशेवर अपराधियों को पुलिस पूछताछ के लिए लाती है। उनका सत्यापन भी करती है। आरोपों में सत्यता नहीं है।
– संदीप सिंह, नगर कोतवाल।
रात आठ बजे बयान के लिए दारोगा ने फोन किया। चोट के चलते नहीं जा पाया तो अगले ही दिन मेरे बयान के बिना ही जांच रिपोर्ट भेज दी। वैसे जांच के नाम पर पुलिस महीनों लगा देती है, लेकिन पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए जल्दबाजी दिखाई। गनीमत थी कि घर से ले जाते पुलिसकर्मी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। सभी जिम्मेदारों पर कार्रवाई होने चाहिए।
– राजेश पांडेय, पीड़ित।
राजेश के आने पर अपने स्तर की जांच में मुझे मामला संदिग्ध लगा। मेरी रिपोर्ट पर एसएसपी ने दोनों सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया।
– निपुण अग्रवाल, एसपी सिटी प्रथम।
वाट्सएप ग्रुपों से जानकारी मिलते ही एसपी सिटी प्रथम को जांच दी गई है। आरोप साबित हुए तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करूंगा।साभार-दैनिक जागरण
– कलानिधि नैथानी, एसएसपी।
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